2024 लोकसभा चुनाव को लेकर सियासी माहौल गरमा रहा है. बीजेपी की तरफ से नरेंद्र मोदी फिर से प्रधानमंत्री पद की कुर्सी के दावेदार हैं, तो वहीं विपक्ष में भी इसको लेकर कवायद शुरू हो गई है. ऐसे कई बड़े चेहरे हैं जिन्हें संभावित उम्मीदवार माना जा रहा है लेकिन नीतीश कुमार करीब एक महीने से विपक्षी एकजुटता को लेकर सबसे अधिक सक्रिय है. हाल ही में दिल्ली के दौरे पर नीतीश कुमार ने कांग्रेस के राहुल गांधी ,आम आदमी पार्टी के सीएम अरविंद केजरीवाल, हरियाणा में इनेलो नेता ओमप्रकाश चौटाला, सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव, एनसीपी चीफ शरद पवार, कर्नाटक के पूर्व सीएम एच डी कुमारस्वामी, सीपीएम नेता सीताराम येचुरी, सीपीआई नेता डी राजा से मुलाकात की.
नीतीश की इन मुलाकातों से कयासों का बाजार गरमा गया है. तो क्या विपक्ष की ओर से जिस मजबूत नेता की तलाश की जा रही है, उसकी भरपाई नीतीश कुमार के रूप में हो सकती है. गौरतलब है कि नीतीश कुमार ने इस बात से इनकार किया है कि वे साझा विपक्ष के प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनना चाहते हैं.
नीतीश ने कहा है कि प्रधानमंत्री बनने की उनकी कोई महत्वाकांक्षा नहीं है. लेकिन गाहे बगाहें ऐसे चर्चा होती रहती हैं, ऐसे में अगर सब कुछ नीतीश के मनमुताबिक चला तो हो सकता है कि 2024 के रण में नीतीश कुमार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सीधी टक्कर देते दिखे.
हालांकि इसको लेकर कुछ भी कहना अभी जल्दबाजी होगी, लेकिन अगर वाकई ऐसा होता है तो वो कौन सी बातें है जो नीतीश के पक्ष में जा सकती हैं और क्या उनके खिलाफ आइये जानते हैं...
नीतीश कुमार के पक्ष में बातें...
नीतीश साफ-सुथरी छवि वाले नेता माने जाते हैं. लंबे समय तक सत्ता में...
2024 लोकसभा चुनाव को लेकर सियासी माहौल गरमा रहा है. बीजेपी की तरफ से नरेंद्र मोदी फिर से प्रधानमंत्री पद की कुर्सी के दावेदार हैं, तो वहीं विपक्ष में भी इसको लेकर कवायद शुरू हो गई है. ऐसे कई बड़े चेहरे हैं जिन्हें संभावित उम्मीदवार माना जा रहा है लेकिन नीतीश कुमार करीब एक महीने से विपक्षी एकजुटता को लेकर सबसे अधिक सक्रिय है. हाल ही में दिल्ली के दौरे पर नीतीश कुमार ने कांग्रेस के राहुल गांधी ,आम आदमी पार्टी के सीएम अरविंद केजरीवाल, हरियाणा में इनेलो नेता ओमप्रकाश चौटाला, सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव, एनसीपी चीफ शरद पवार, कर्नाटक के पूर्व सीएम एच डी कुमारस्वामी, सीपीएम नेता सीताराम येचुरी, सीपीआई नेता डी राजा से मुलाकात की.
नीतीश की इन मुलाकातों से कयासों का बाजार गरमा गया है. तो क्या विपक्ष की ओर से जिस मजबूत नेता की तलाश की जा रही है, उसकी भरपाई नीतीश कुमार के रूप में हो सकती है. गौरतलब है कि नीतीश कुमार ने इस बात से इनकार किया है कि वे साझा विपक्ष के प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनना चाहते हैं.
नीतीश ने कहा है कि प्रधानमंत्री बनने की उनकी कोई महत्वाकांक्षा नहीं है. लेकिन गाहे बगाहें ऐसे चर्चा होती रहती हैं, ऐसे में अगर सब कुछ नीतीश के मनमुताबिक चला तो हो सकता है कि 2024 के रण में नीतीश कुमार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सीधी टक्कर देते दिखे.
हालांकि इसको लेकर कुछ भी कहना अभी जल्दबाजी होगी, लेकिन अगर वाकई ऐसा होता है तो वो कौन सी बातें है जो नीतीश के पक्ष में जा सकती हैं और क्या उनके खिलाफ आइये जानते हैं...
नीतीश कुमार के पक्ष में बातें...
नीतीश साफ-सुथरी छवि वाले नेता माने जाते हैं. लंबे समय तक सत्ता में रहने के बाद भी बेदाग रहे हैं.
करीब पांच दशकों का राजनीतिक और सामाजिक अनुभव है.
करीब 17 सालों से बिहार की सत्ता के केंद्र में हैं नीतीश कुमार.
नीतीश राजनीतिक रूप से काफी संतुलन बनाकर चलने वाले नेताओं में हैं.
नीतीश धर्मनिरपेक्ष छवि के है, भाजपा के साथ गठबंधन होने के बाद भी मुस्लिमों का वोट मिलता रहा है .
नीतीश कुमार कुर्मी समुदाय से आते हैं. बिहार के बाहर उत्तर प्रदेश , मध्य प्रदेश और राजस्थान में कुर्मी समुदाय बीजेपी का परंपरागत वोटर है, अगर नीतीश कुमार विपक्ष का चेहरा बनते हैं तो कुर्मी वोटर ही नहीं ओबीसी समीकरण भी बिगड़ सकता है.
बिहार में जेडीयू के साथ कांग्रेस सरकार में शामिल है. ऐसे में कांग्रेस नीतीश के चेहरे पर सहमत हो सकती है.
नीतीश कुमार के विपक्ष में बातें...
बिहार में 8 बार सीएम पद की शपथ लेने वाले जेडीयू नेता नीतीश कुमार कभी अपने दम पर सरकार नहीं बना पाए. कभी बीजेपी तो कभी आरजेडी का सहयोग लेना पड़ा.
टीआरएस नेता के. चंद्रशेखर राव बिना कांग्रेस के तीसरा मोर्चा बनाना चाहते हैं, जिसमें तमाम क्षेत्रीय पार्टियां शामिल हों. लेकिन नीतीश कांग्रेस के बगैर कोई मोर्चा बनाने पर राजी नहीं.
पार्टी नेताओं का कहना है कि टीएमसी 2024 लोकसभा चुनाव में अकेले उतर सकती है और चुनाव बाद सीटों की संख्या के हिसाब से गठबंधन पर विचार सकती है. जो नीतीश के इरादों पर पानी फेर सकती है .
नीतीश कुमार की छवि पलटू राम की है , सत्ता के लिए पाला बदलते रहते हैं.
नीतीश की पार्टी क्षेत्रीय है और उनसे बड़ी कई पार्टियां हैं जिससे विपक्ष में ही चुनौती मिल सकती है.
पैन-इंडिया पॉलिटिशियन की स्वीकारता नहीं.
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