पंजाब से सांसद और कांग्रेस नेता मनीष तिवारी इन दिनों जी-23 नेता के तौर पर पार्टी में अकेले ही नजर आ रहे हैं. जी-23 के बाकी के नेताओं की तरह ही मनीष तिवारी भी किसी जमाने में कांग्रेस आलाकमान के करीबियों में शामिल थे. लेकिन, राहुल गांधी के साथ 2014 में चुनाव न लड़ने को लेकर शुरू हुई अदावत अब इस कदर बढ़ चुकी है कि वह कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व के खिलाफ मोर्चा खोलने का कोई भी मौका नहीं छोड़ रहे हैं. बीते दिनों जम्मू-कश्मीर से खबर आई थी कि कांग्रेस के असंतुष्ट गुट जी-23 के नेता गुलाम नबी आजाद के करीबी नेताओं और विधायकों ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को अपना सामूहिक इस्तीफा सौंप दिया था. कांग्रेस आलाकमान के खिलाफ ताल ठोंकने के बाद पंजाब में अब उनकी राजनीति का सूर्य कभी भी अस्त हो सकता है. जिसे केवल कैप्टन अमरिंदर सिंह ही बचा सकते हैं. इस स्थिति में सवाल उठना लाजिमी है कि क्या पंजाब में मनीष तिवारी भी गुलाम नबी आजाद की तरह कांग्रेस को झटका देंगे?
खुलकर सामने आ रही है जी-23 नेताओं की बगावत
जम्मू-कश्मीर में इस्तीफा देने वाले नेताओं में से चार पूर्व मंत्री और तीन विधायक थे. इन नेताओं ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गुलाम अहमद मीर पर अनदेखी करने का आरोप लगाते हुए इस्तीफा दिया था. ये सभी नेता जी-23 का नेतृत्व करने वाले गुलाम नबी आजाद के करीबी माने जाते हैं. जी-23 नेताओं की कांग्रेस आलाकमान से अदावत किसी से छिपी नहीं है. कुछ समय पहले हुई कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में एक बार फिर से राहुल गांधी को पार्टी अध्यक्ष बनाए जाने की चर्चा के बाद बहुत हद तक संभव है कि अलग-अलग राज्यों में कांग्रेस के इस असंतुष्ट गुट जी-23 के नेता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व पर दबाव बनाने के लिए पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी करें. पंजाब में विधानसभा चुनाव होने है. और, कांग्रेस की राष्ट्रवादी सोच को लोगों के सामने कठघरे में खड़ा करने के लिए मनीष...
पंजाब से सांसद और कांग्रेस नेता मनीष तिवारी इन दिनों जी-23 नेता के तौर पर पार्टी में अकेले ही नजर आ रहे हैं. जी-23 के बाकी के नेताओं की तरह ही मनीष तिवारी भी किसी जमाने में कांग्रेस आलाकमान के करीबियों में शामिल थे. लेकिन, राहुल गांधी के साथ 2014 में चुनाव न लड़ने को लेकर शुरू हुई अदावत अब इस कदर बढ़ चुकी है कि वह कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व के खिलाफ मोर्चा खोलने का कोई भी मौका नहीं छोड़ रहे हैं. बीते दिनों जम्मू-कश्मीर से खबर आई थी कि कांग्रेस के असंतुष्ट गुट जी-23 के नेता गुलाम नबी आजाद के करीबी नेताओं और विधायकों ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को अपना सामूहिक इस्तीफा सौंप दिया था. कांग्रेस आलाकमान के खिलाफ ताल ठोंकने के बाद पंजाब में अब उनकी राजनीति का सूर्य कभी भी अस्त हो सकता है. जिसे केवल कैप्टन अमरिंदर सिंह ही बचा सकते हैं. इस स्थिति में सवाल उठना लाजिमी है कि क्या पंजाब में मनीष तिवारी भी गुलाम नबी आजाद की तरह कांग्रेस को झटका देंगे?
खुलकर सामने आ रही है जी-23 नेताओं की बगावत
जम्मू-कश्मीर में इस्तीफा देने वाले नेताओं में से चार पूर्व मंत्री और तीन विधायक थे. इन नेताओं ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गुलाम अहमद मीर पर अनदेखी करने का आरोप लगाते हुए इस्तीफा दिया था. ये सभी नेता जी-23 का नेतृत्व करने वाले गुलाम नबी आजाद के करीबी माने जाते हैं. जी-23 नेताओं की कांग्रेस आलाकमान से अदावत किसी से छिपी नहीं है. कुछ समय पहले हुई कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में एक बार फिर से राहुल गांधी को पार्टी अध्यक्ष बनाए जाने की चर्चा के बाद बहुत हद तक संभव है कि अलग-अलग राज्यों में कांग्रेस के इस असंतुष्ट गुट जी-23 के नेता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व पर दबाव बनाने के लिए पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी करें. पंजाब में विधानसभा चुनाव होने है. और, कांग्रेस की राष्ट्रवादी सोच को लोगों के सामने कठघरे में खड़ा करने के लिए मनीष तिवारी ने अपनी किताब की एक झलक लोगों के सामने रख ही दी है. पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू वैसे भी इमरान को अपना बड़ा भाई बता चुके हैं, जो पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह के लिए फायदे का सौदा साबित हो सकता है.
क्या कैप्टन की पार्टी होगी मनीष का नया ठिकाना?
वैसे, कांग्रेस आलाकमान द्वारा अपमानित कर मुख्यमंत्री पद से हटाए गए कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपनी अलग पार्टी की घोषणा कर दी है. बहुत हद तक संभावना है कि पंजाब कांग्रेस के असंतुष्ट नेताओं का अगला ठिकाना कैप्टन अमरिंदर सिंह की पार्टी हो सकती है. कृषि कानूनों की वापसी के बाद पंजाब की राजनीति में काफी बदलाव आया है. अमरिंदर सिंह की पार्टी ने भाजपा के साथ ही अकाली दल से नाराज चल रहे ब्रह्मपुरा और ढींढसा गुट को साथ लाने की कवायद शुरू कर दी है. वहीं, श्री आनंदपुर साहिब सीट से सांसद मनीष तिवारी की बात की जाए, तो वे कैप्टन अमरिंदर सिंह के करीबी हैं. जी-23 नेता के तौर पर कांग्रेस पार्टी में मनीष तिवारी की राह पहले से ही मुश्किल थी, लेकिन किताबी धमाके के बाद इसमें और कांटे बढ़ने की संभावना है. अगर भविष्य में कांग्रेस आलाकमान मनीष तिवारी पर कुछ कड़ा फैसला लेता है, तो उनके लिए अमरिंदर सिंह की पार्टी के दरवाजे खुले हुए हैं. एक अहम बात ये भी है कि मनीष तिवारी पंजाब की 13 लोकसभा सीटों में से इकलौते हिंदू सांसद हैं. जो कैप्टन के लिए हिंदू मतदाताओं को सहेजने के काम आ सकते हैं.
वहीं, जी-23 नेता के तौर पर पंजाब कांग्रेस में अब उनका सियासी सफर बहुत ज्यादा आगे तक जाने की संभावना नहीं है. क्योंकि, मनीष तिवारी केवल पार्टी आलाकमान ही नहीं, बल्कि पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू समेत मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के खिलाफ भी सवाल उठाते रहे हैं. नवजोत सिंह सिद्धू के पाकिस्तानी पीएम इमरान खान को बड़ा भाई बताने पर मनीष तिवारी ने निशाना साधते हुए कहा था कि इमरान खान किसी के भाई हो सकते हैं, लेकिन भारत के लिए वह आईएसआई और सेना के गठजोड़ का मोहरा हैं. जो पंजाब में ड्रोन की मदद से हथियार और मादक पदार्थ भेजता है. और, जम्मू-कश्मीर में रोजाना आतंकियों की घुसपैठ कराता है. क्या हम पुंछ के अपने सैनिकों की शहादत इतना जल्दी भूल गए? ये तकरीबन वैसी ही लाइन नजर आती है, जो कैप्टन अमरिंदर सिंह की ओर से नवजोत सिंह सिद्धू को लेकर इस्तेमाल की जाती रही है. वहीं, मनीष तिवारी ने पंजाब के एडवोकेट जनरल को हटाए जाने और बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र पर चरणजीत सिंह चन्नी की सरकार को केवल खानापूर्ति करने को लेकर भी निशाना साधा था.
बढ़ा सकते हैं कांग्रेस के हिंदू नेताओं की नाराजगी
पंजाब में इस समय हिंदू मतदाताओं को अपने पाले में करने की कोशिशें की जा रही हैं. कांग्रेस आलाकमान ने हिंदू उपमुख्यमंत्री बनाने का दांव इसी वजह से खेला था. लेकिन, कांग्रेस के पास सुनील जाखड़ के अलावा कोई बड़ा हिंदू नेता नहीं है. लेकिन, वह कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व द्वारा चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद से ही नाराज चल रहे हैं. दरअसल, कांग्रेस में बड़े हिंदू नेता के तौर पर पहचान रखने वाले सुनील जाखड़ सीएम बनते-बनते रह गए थे. बहुत संभावना है कि मनीष तिवारी भी पंजाब में कांग्रेस को गुलाम नबी आजाद जैसा ही झटका देने की कोशिश करें. कांग्रेस खिलाफ पंजाब के हिंदू नेताओं को अमरिंदर सिंह की पार्टी के साथ जाने के लिए वह गुलाम नबी आजाद की भूमिका निभा सकते हैं. आसान शब्दों में कहा जाए, तो मनीष तिवारी पंजाब में कांग्रेस की मुश्किलों को बढ़ाने के काम में लग चुके हैं.
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