हमारे देश का ही नहीं बल्कि विश्व के अनेक देशों का हाल इस कोरोना (Coronavirus) ने बुरा कर रखा है और सरकारें इस समय पिछले कई दशकों के सबसे भयानक आर्थिक संकट से जूझ रही हैं. लोगों के रोजगार छिन गए हैं और बाजार अधिकतर बंद ही चल रहे हैं. नौकरियां जा रही हैं और उद्योग धंधे फिर से शुरू होने की जद्दोजहद कर रहे हैं. कोरोना के चक्कर में शहर वीरान हो गए थे और गांवों में भीड़ बढ़ गयी थी लेकिन जो लोग गांव वापस लौटे उनके पास कोई स्थायी रोजगार या काम नहीं है. इसलिए अब पुनः वापस शहरों की तरफ अधिकांश लोगों का पलायन शुरू हो रहा है. इस समय सबसे बड़ी समस्या लोगों के सामने दो वक़्त के रोटी की है और ऐसे में सरकार उनको रोजगार या रोटी मुहैया कराने के बदले मंदिर (Ram Mandir) का झुनझुना पकड़ा रही है. इस राम मंदिर ने कई चुनावों में एक दल विशेष को जीत दिलाई थी और अब जब इसके बनने का मार्ग माननीय सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) द्वारा खोल दिया गया तो उस दल के पास अब आगे इस मुद्दे को भुनाने की वजह नहीं बची.
ऐसे में इस कोरोना काल में उसके शिलान्यास ने बहुत बड़े तबके का ध्यान खाली पेट, बीमारी से मरती जनसँख्या और ढहती अर्थव्यवस्था से हटा दिया. अब कुछ दिनों तक या कुछ हफ़्तों तक लोग शायद ही रोजगार, गरीबी, इलाज या सरकार की नाकामी के बारे में बात करेंगे.
हमारे समाज में यह बात हमेशा से कही जाती रही है कि जब कोई गंभीर संकट आन पड़ा हो या समाज किसी दुखद परिस्थिति से जूझ रहा हो तो किसी भी तरह का उत्सव नहीं मनाया जाना चाहिए. लेकिन शायद अब समय बदल गया है और ऐसे किसी आयोजन के रास्ते में कोई भी परिस्थिति आये, उसकी परवाह नहीं की जानी चाहिए.
खैर अब जो भी हो लेकिन अयोध्या के भाग्य...
हमारे देश का ही नहीं बल्कि विश्व के अनेक देशों का हाल इस कोरोना (Coronavirus) ने बुरा कर रखा है और सरकारें इस समय पिछले कई दशकों के सबसे भयानक आर्थिक संकट से जूझ रही हैं. लोगों के रोजगार छिन गए हैं और बाजार अधिकतर बंद ही चल रहे हैं. नौकरियां जा रही हैं और उद्योग धंधे फिर से शुरू होने की जद्दोजहद कर रहे हैं. कोरोना के चक्कर में शहर वीरान हो गए थे और गांवों में भीड़ बढ़ गयी थी लेकिन जो लोग गांव वापस लौटे उनके पास कोई स्थायी रोजगार या काम नहीं है. इसलिए अब पुनः वापस शहरों की तरफ अधिकांश लोगों का पलायन शुरू हो रहा है. इस समय सबसे बड़ी समस्या लोगों के सामने दो वक़्त के रोटी की है और ऐसे में सरकार उनको रोजगार या रोटी मुहैया कराने के बदले मंदिर (Ram Mandir) का झुनझुना पकड़ा रही है. इस राम मंदिर ने कई चुनावों में एक दल विशेष को जीत दिलाई थी और अब जब इसके बनने का मार्ग माननीय सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) द्वारा खोल दिया गया तो उस दल के पास अब आगे इस मुद्दे को भुनाने की वजह नहीं बची.
ऐसे में इस कोरोना काल में उसके शिलान्यास ने बहुत बड़े तबके का ध्यान खाली पेट, बीमारी से मरती जनसँख्या और ढहती अर्थव्यवस्था से हटा दिया. अब कुछ दिनों तक या कुछ हफ़्तों तक लोग शायद ही रोजगार, गरीबी, इलाज या सरकार की नाकामी के बारे में बात करेंगे.
हमारे समाज में यह बात हमेशा से कही जाती रही है कि जब कोई गंभीर संकट आन पड़ा हो या समाज किसी दुखद परिस्थिति से जूझ रहा हो तो किसी भी तरह का उत्सव नहीं मनाया जाना चाहिए. लेकिन शायद अब समय बदल गया है और ऐसे किसी आयोजन के रास्ते में कोई भी परिस्थिति आये, उसकी परवाह नहीं की जानी चाहिए.
खैर अब जो भी हो लेकिन अयोध्या के भाग्य तो खुल ही गए हैं और वहां धर्म आधारित पर्यटन के चलते व्यापार में काफी बढ़ोत्तरी होगी, इसमें भी कोई शक नहीं है. जमीनों की कीमत तो अब तक कई गुना बढ़ ही चुकी हैं, होटल व्यवसाय और उससे सम्बंधित अन्य व्यवसाय भी काफी तरक्की करेंगे, इसमें भी कोई शक नहीं है.
जनमानस में इस आयोजन को लेकर जो उत्साह है, उसका स्वागत होना चाहिए लेकिन इसके बाद देश के बाकी हिस्सों में जो हालात हैं, उनका भी ध्यान रखा जाना चाहिए. आखिर प्रभु श्रीराम भी तो यही चाहेंगे कि समस्त जीव जंतुओं का कल्याण हो और सभी सुखपूर्वक और अमन चैन से रहें.
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