देश के सबसे बड़े राजनीति दल भाजपा के अध्यक्ष और भारतीय सियासत के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं. और नयी दिल्ली स्थित एम्स अस्पताल में भर्ती हैं. इससे पहले कि उन्हें स्वास्थ्य लाभ मिलता, कांग्रेस नेता बीके हरिप्रसाद उनकी बीमारी पर ऐसी टिप्पणी की, जिससे पूरे देश का दिमाग घूम गया. हरिप्रसाद ने कर्नाटक में हो रही उठापटक के लिए अमित शाह को जिम्मेदार बताते हुए कह दिया कि 'उन्हें 'सूअर का रोग' कर्नाटक की सरकार को अस्थिर करने की चाल चलने के लिए हुआ है.' हरिप्रसाद की कड़वाहट अपनी जगह है, लेकिन उनके इस बयान ने राहुल गांधी के लिए परेशानी खड़ी कर दी है. चौतरफा आलोचना झेल रहे हरिप्रसाद पर कार्रवाई के लिए राहुल गांधी से उम्मीद की जा रही है, कि वे इस टिप्पणी पर अपना पक्ष रखें. राहुल गांधी के पास ये रास्ता बचा है कि उन्होंने जिस तरह वित्त मंत्री अरुण जेटली के स्वास्थ्य लाभ की प्रार्थना की है, उसी तरह की कामना वे अमित शाह के लिए भी करें. लेकिन, राहुल गांधी इन सबसे ऊपर उठकर भी एक कदम उठा सकते हैं.
स्वस्थ राजनीति में नीतिगत मुद्दों और विचारधारा की ही लड़ाई होती है. व्यक्तिगत तौर से सब मित्र होते हैं. ऐसे में ये चर्चाएं हो रही हैं कि शाह का कुशलक्षेम लेने राहुल गांधी क्या एम्स पहुंचेंगे? इस बात में कोई शक नहीं कि यदि राहुल भाजपा अध्यक्ष को देखने जाते हैं या स्वस्थ होने की कामना करते हैं तो इससे राहुल गांधी का कद बढ़ेगा. ऐसे में लोग न सिर्फ कांग्रेस अध्यक्ष की बल्कि भारत की स्वस्थ राजनीति की भी सराहना करेंगे.
दुनिया के सबसे बड़े...
देश के सबसे बड़े राजनीति दल भाजपा के अध्यक्ष और भारतीय सियासत के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं. और नयी दिल्ली स्थित एम्स अस्पताल में भर्ती हैं. इससे पहले कि उन्हें स्वास्थ्य लाभ मिलता, कांग्रेस नेता बीके हरिप्रसाद उनकी बीमारी पर ऐसी टिप्पणी की, जिससे पूरे देश का दिमाग घूम गया. हरिप्रसाद ने कर्नाटक में हो रही उठापटक के लिए अमित शाह को जिम्मेदार बताते हुए कह दिया कि 'उन्हें 'सूअर का रोग' कर्नाटक की सरकार को अस्थिर करने की चाल चलने के लिए हुआ है.' हरिप्रसाद की कड़वाहट अपनी जगह है, लेकिन उनके इस बयान ने राहुल गांधी के लिए परेशानी खड़ी कर दी है. चौतरफा आलोचना झेल रहे हरिप्रसाद पर कार्रवाई के लिए राहुल गांधी से उम्मीद की जा रही है, कि वे इस टिप्पणी पर अपना पक्ष रखें. राहुल गांधी के पास ये रास्ता बचा है कि उन्होंने जिस तरह वित्त मंत्री अरुण जेटली के स्वास्थ्य लाभ की प्रार्थना की है, उसी तरह की कामना वे अमित शाह के लिए भी करें. लेकिन, राहुल गांधी इन सबसे ऊपर उठकर भी एक कदम उठा सकते हैं.
स्वस्थ राजनीति में नीतिगत मुद्दों और विचारधारा की ही लड़ाई होती है. व्यक्तिगत तौर से सब मित्र होते हैं. ऐसे में ये चर्चाएं हो रही हैं कि शाह का कुशलक्षेम लेने राहुल गांधी क्या एम्स पहुंचेंगे? इस बात में कोई शक नहीं कि यदि राहुल भाजपा अध्यक्ष को देखने जाते हैं या स्वस्थ होने की कामना करते हैं तो इससे राहुल गांधी का कद बढ़ेगा. ऐसे में लोग न सिर्फ कांग्रेस अध्यक्ष की बल्कि भारत की स्वस्थ राजनीति की भी सराहना करेंगे.
दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत के तमाम राजनेता अक्सर अपनी अपनी पार्टी से दूसरी पार्टी की प्रतिद्वंता को भुलाकर एक दूसरे के अच्छे-बुरे वक्त में शरीक होते रहे हैं. कांगेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी की बीमारी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके स्वस्थ होने की कामना की थी. डीएमके प्रमुख करूणानिधि जिस समय बीमार थे तब राहुल गांधी उन्हें देखने गये थे. वो बात अलग है कि उस वक्त राहुल की तस्वीर में उनकी मुस्कुराहट के भाव उन्हें ट्रोल करने का बहाना बन गये थे.
राहुल गांधी ने अभी हाल ही में संसद में अपनी स्पीच में इस बात पर बल दिया था कि नीतिगत विरोध और व्यक्तिगत प्रेम और सौहार्द-सदभावना दोनों अलग हैं. ये कहते हुए राहुल ने संसद में प्रधानमंत्री मोदी को गले लगा लिया था. इस बात को लेकर भी राहुल ट्रोल हुए थे. और तो और प्रधानमंत्री ने खुद उस दिन अपने वक्तव्य में राहुल द्वारा गले लगने के एक्शन का मजाक उड़ाया था.
प्रतिद्वंद्वी नेताओं के व्यक्तित्व या सियासी फायदे के मिलन अक्सर सुर्खियों में सामने आते रहे हैं. बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राजद नेता तेजस्वी यादव ने अभी हाल ही में पटना से लखनऊ आकर बसपा प्रमुख मायावती से शिष्टाचार भेंट की. तेजस्वी द्वारा मायावती के पैर छूने की तस्वीर भी जारी की गयी. इसी तरह राजनीति नफे के लिए कभी धुर विरोधी रही बसपा से रिश्ता कायम करने वाली सपा के अध्यक्ष बसपा प्रमुख मायावती के जन्मदिवस पर उन्हें बधाई देने उनके आवास पंहुचे. जहां अखिलेश ने मायावती को शाल पहनायी और पुष्पगुच्छ भेंट किया.
इन बातों के सिवा शाह की बीमारी पर भी विरोधी अपनी अपनी गणित लगा रहे हैं. कोई कुछ कह रहा है तो कोई कुछ. ऐसी ही एक चर्चा में ये भी कहा जा रहा है कि भाजपा की हालत पतली है. पार्टी के अंदरूनी सर्वे में पता चल गया है कि लोकसभा चुनाव में भाजपा बुरी तरह पिटने जा रही है. हार के ठीकरे से बचने के लिए पार्टी अध्यक्ष चुनाव की तैयारी के समय डेढ़ दो महीने बीमार रहें तो बाद में कहा जा सकता है कि पार्टी अध्यक्ष और तमाम चुनावी रणनीतिकार ऐन टाइम पर बीमार पड़ गये इसलिए हमें सफलता नहीं मिल सकी.
फिलहाल तो देश के लाजवाब अस्पताल एम्स की मेडिकल टीम का इम्तिहान है कि वो भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की बीमारी को कितनी जल्दी काबू कर पाते हैं. जितनी जल्दी अमित शाह पूरी तरह स्वस्थ होकर लोकसभा चुनाव की तैयारी में सक्रिय हो जायेंगे उतने ही नंबरों से एम्स की मेडिकल टीम पास हो जायेगी. ये तो एम्स की मेडिकल टीम का इम्तिहान था लेकिन शाह का खराब स्वास्थ्य भारतीय राजनीति की भी परीक्षा ले रहा है.
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