कर्नाटक में लंबे सियासी ड्रामे के बाद बीजेपी के बीएस येदियुरप्पा ने मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ले ली है. अब कुल मिलाकर वो चार बार प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ले चुके हैं. हालांकि उनकी मुश्किलें अभी भी कम नहीं हुई हैं. उन्हें 29 जुलाई को विधानसभा में फ्लोर टेस्ट पास करना है. इस बीच ऐसी भी खबरें आ रही हैं कि जेडीएस के कुछ विधायकों ने एच डी कुमारस्वामी से येदियुरप्पा सरकार को बाहर से समर्थन देने की मांग की है जिसपर आखिरी फैसला कुमारस्वामी को लेना है. अगर ऐसा होता है तो येदियुरप्पा के लिए कुछ आसानी होगी.
बता दें कि कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन की सरकार 23 जुलाई को विश्वासमत हासिल नहीं कर पायी थी जिसके बाद येदियुरप्पा ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है. मई 2018 के चुनाव के बाद पंद्रहवीं विधानसभा में यह दूसरी बार है कि येदियुरप्पा को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया गया था. इससे पहले 105 सदस्यों वाली बीजेपी को चुनाव के ठीक बाद सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया गया था. लेकिन उस समय येदियुरप्पा सरकार महज दो दिन ही चल सकी थी क्योंकि वो सदन में बहुमत साबित नहीं कर पायी थी.
पिछली बार की तुलना में येदियुरप्पा के लिए इस बार सदन में बहुमत साबित करना आसान है लेकिन अभी कुछ भी नहीं कहा जा सकता. फिलहाल येदियुरप्पा कांग्रेस और जेडीएस के उन 15 विधायकों के खिलाफ स्पीकर के फैसले पर ज्यादा निर्भर हैं जिनकी गैरमौजूदगी की वजह से गठबंधन की सरकार अल्पमत में आयी थी. बता दें कि बृहस्पतिवार को स्पीकर ने कांग्रेस के तीन विधायकों रमेश झारकिहोली, महेश कुमताहल्ली और आर शंकर को अयोग्य घोषित कर दिया था. अगर स्पीकर इन 15 विधायकों का इस्तीफा स्वीकार कर लेते हैं...
कर्नाटक में लंबे सियासी ड्रामे के बाद बीजेपी के बीएस येदियुरप्पा ने मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ले ली है. अब कुल मिलाकर वो चार बार प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ले चुके हैं. हालांकि उनकी मुश्किलें अभी भी कम नहीं हुई हैं. उन्हें 29 जुलाई को विधानसभा में फ्लोर टेस्ट पास करना है. इस बीच ऐसी भी खबरें आ रही हैं कि जेडीएस के कुछ विधायकों ने एच डी कुमारस्वामी से येदियुरप्पा सरकार को बाहर से समर्थन देने की मांग की है जिसपर आखिरी फैसला कुमारस्वामी को लेना है. अगर ऐसा होता है तो येदियुरप्पा के लिए कुछ आसानी होगी.
बता दें कि कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन की सरकार 23 जुलाई को विश्वासमत हासिल नहीं कर पायी थी जिसके बाद येदियुरप्पा ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है. मई 2018 के चुनाव के बाद पंद्रहवीं विधानसभा में यह दूसरी बार है कि येदियुरप्पा को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया गया था. इससे पहले 105 सदस्यों वाली बीजेपी को चुनाव के ठीक बाद सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया गया था. लेकिन उस समय येदियुरप्पा सरकार महज दो दिन ही चल सकी थी क्योंकि वो सदन में बहुमत साबित नहीं कर पायी थी.
पिछली बार की तुलना में येदियुरप्पा के लिए इस बार सदन में बहुमत साबित करना आसान है लेकिन अभी कुछ भी नहीं कहा जा सकता. फिलहाल येदियुरप्पा कांग्रेस और जेडीएस के उन 15 विधायकों के खिलाफ स्पीकर के फैसले पर ज्यादा निर्भर हैं जिनकी गैरमौजूदगी की वजह से गठबंधन की सरकार अल्पमत में आयी थी. बता दें कि बृहस्पतिवार को स्पीकर ने कांग्रेस के तीन विधायकों रमेश झारकिहोली, महेश कुमताहल्ली और आर शंकर को अयोग्य घोषित कर दिया था. अगर स्पीकर इन 15 विधायकों का इस्तीफा स्वीकार कर लेते हैं या फिर उन्हें अयोग्य घोषित करते हैं तो इससे 105 सदस्यों वाली बीजेपी सरकार कि स्थिति काफी मजबूत रहेगी.
पंद्रहवीं विधानसभा में 224 सदस्यों वाले सदन में बीजेपी के 105, कांग्रेस के 79, जेडीएस के 37 और दो निर्दलीय तथा एक बीएसपी का विधायक था. लेकिन तीन कांग्रेस सदस्यों के अयोग्य होने और बाकि बचे 15 बागी सदस्यों के साथ भी कुछ ऐसा ही होता है तो येदियुरप्पा सरकार को छह महीनों तक किसी भी तरह कि दिक्कत नहीं आएगी क्योंकि 206 सदस्यों वाले सदन में उसका बहुमत रहेगा और छह महीनों में फिरसे रिक्त हुई सीटों के लिए चुनाव होगा. चुनाव में अगर बीजेपी के ज्यादा सदस्य जीत कर नहीं आते तो एक बार फिर से सरकार पर मुश्किल आएगी.
कह सकते हैं कि चौथी बार कर्नाटक के मुख्यमंत्री बने येदियुरप्पा के लिए राह अभी तो आसान दिख रही है लेकिन उतनी आसान नहीं है. वैसे भी उनके साथ एक बात जुड़ी है कि उन्होंने कभी भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया है.
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