यूपी की योगी सरकार भले ही तमाम चीजों को लेकर आलोचनाओं का सामना करे. लेकिन इस बात में कोई शक नहीं है कि जब बात अपराध -अपराधियों के नियंत्रण की आती है तो यूपी के मुखिया का किसी से कोई मुकाबला नहीं है. एक ऐसे समय में जब अन्य राज्यों के मुखिया कमिटी और पैनल बनाकर अपराधियों पर नकेल कसने की प्लानिंग करते रह जाते हैं योगी एक्शन लेते हैं. सुर्ख़ियों में आते हैं और निकल जाते हैं. लॉ एंड आर्डर के मामले में जैसे हाल यूपी के हैं अच्छी बात ये है कि यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपराधियों का मज़हब नहीं देखते. दोषी पाए जाने पर हंटर अगर अब्दुल पर चलता है तो अमर पर भी तब कोड़े बरसाए जाते हैं जब वो अपराध करता हुआ पाया जाता है. यानी सीएम योगी की नजर में अपराधी न तो हिंदू होता है और न ही मुसलमान वो बस अपराधी है. एक तरफ ये तमाम बातें हैं दूसरी तरफ एजेंडा बाज हैं जिन्हें सीएम योगी के एक्शन में धर्म खोजना है हिंदू मुस्लिम की राजनीति करनी है.
ये राजनीति किस घटिया लेवल पर होती है गर जो इसका अंदाजा लगाना हो तो हम राजधानी लखनऊ में हुए एक एनकाउंटर का रुख कर सकते हैं. अभी बीते दिनों ही पुलिस ने सुफियान नाम के एक युवक का एनकाउंटर किया था. लखनऊ स्थित दुबग्गा के रहने वाले सुफियान पर आरोप था कि उसने अपनी गर्लफ्रेंड निधि गुप्ता की घर के चौथे माले से धक्का देकर हत्या की थी.
निधि को मारने के बाद सुफियान भाग गया था मगर लखनऊ पुलिस ने एक छोटे से एनकाउंटर के बाद इसे गिरफ्तार किया था. मुठभेड़ में सुफियान के पैरों में गोली लगी थी. ध्यान रहे कि इस मामले को लव जिहाद से जोड़ा गया था और मांग उठी थी कि निधि के कातिल को गिरफ्तार कर सख्त से सख्त सजा दी...
यूपी की योगी सरकार भले ही तमाम चीजों को लेकर आलोचनाओं का सामना करे. लेकिन इस बात में कोई शक नहीं है कि जब बात अपराध -अपराधियों के नियंत्रण की आती है तो यूपी के मुखिया का किसी से कोई मुकाबला नहीं है. एक ऐसे समय में जब अन्य राज्यों के मुखिया कमिटी और पैनल बनाकर अपराधियों पर नकेल कसने की प्लानिंग करते रह जाते हैं योगी एक्शन लेते हैं. सुर्ख़ियों में आते हैं और निकल जाते हैं. लॉ एंड आर्डर के मामले में जैसे हाल यूपी के हैं अच्छी बात ये है कि यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपराधियों का मज़हब नहीं देखते. दोषी पाए जाने पर हंटर अगर अब्दुल पर चलता है तो अमर पर भी तब कोड़े बरसाए जाते हैं जब वो अपराध करता हुआ पाया जाता है. यानी सीएम योगी की नजर में अपराधी न तो हिंदू होता है और न ही मुसलमान वो बस अपराधी है. एक तरफ ये तमाम बातें हैं दूसरी तरफ एजेंडा बाज हैं जिन्हें सीएम योगी के एक्शन में धर्म खोजना है हिंदू मुस्लिम की राजनीति करनी है.
ये राजनीति किस घटिया लेवल पर होती है गर जो इसका अंदाजा लगाना हो तो हम राजधानी लखनऊ में हुए एक एनकाउंटर का रुख कर सकते हैं. अभी बीते दिनों ही पुलिस ने सुफियान नाम के एक युवक का एनकाउंटर किया था. लखनऊ स्थित दुबग्गा के रहने वाले सुफियान पर आरोप था कि उसने अपनी गर्लफ्रेंड निधि गुप्ता की घर के चौथे माले से धक्का देकर हत्या की थी.
निधि को मारने के बाद सुफियान भाग गया था मगर लखनऊ पुलिस ने एक छोटे से एनकाउंटर के बाद इसे गिरफ्तार किया था. मुठभेड़ में सुफियान के पैरों में गोली लगी थी. ध्यान रहे कि इस मामले को लव जिहाद से जोड़ा गया था और मांग उठी थी कि निधि के कातिल को गिरफ्तार कर सख्त से सख्त सजा दी जाए.
मामले में पुलिस का एक्शन लेना भर था फिर ऐसे तमाम लोग सामने आए जिन्होंने इस बात पर बल दिया कि सुफियान पर एक्शन सिर्फ इसलिए लिया गया क्योंकि वो मुस्लिम था. वहीं एजेंडेबाजों की तरफ से ये भी कहा गया कि सुफियान की जगह अगर कोई सुनील होता तो पुलिस उसे गोली मारने के बजाए बाइज्जत जीप में बैठकर ले जाती.
सवाल ये है कि क्या एजेंडे बाजों का ये तर्क सही है? जवाब हमें आजमगढ़ से मिलता है जहां हमेशा ही तरफ एक बार फिर यूपी के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने एजेंडेबाजों और हर दूसरे मुद्दे पर हिंदू मुस्लिम करने वालों के मुंह पर तमाचा जड़ा है. आजमगढ़ पुलिस ने प्रिंस यादव नाम के शख्स को गोली मारने के बाद हिरासत में लिया है. प्रिंस पर अपनी ही प्रेमिका की हत्या कर उसकी बॉडी के 6 टुकड़े करने का आरोप है.
दरअसल अभी बीते दिनों ही आजमगढ़ के अहरौला में सड़क किनारे स्थित एक कुएं में 6 दिन पहले एक सिर कटी व कई टुकड़ों में लाश मिली थी जिसे लेकर पूरे इलाके में सनसनी फैल गयी थी. बाद में जब जांच हुई तो पता चला कि मृतका का नाम आराधना है. आरोपी प्रिंस यादव दूसरे व्यक्ति से शादी करने के कारण आराधना से नाराज था और उसने आराधना को रास्ते से हटाने का प्लान बनाया.
बताया जा रहा है हत्या में प्रिंस के माता-पिता, बहन, मामा, मामी, मामा का लड़का व उसकी पत्नी भी शामिल हैं. जिनकी तलाश में पुलिस जुटी है. इस मामले में भी प्रिंस फरार चल रहा था और पुलिस ने उसे भी मुठभेड़ के बाद ही गिरफ्तार किया.
वो तमाम लोग जो लॉ एंड आर्डर के मद्देनजर यूपी के मुखिया की कार्यप्रणाली पर सवालियां निशान लगाते हैं उन्हें सुफियान से लेकर प्रिंस यादव तक दोनों ही मामलों को देखना चाहिए. ऐसा बिलकुल नहीं है कि यूपी के सीएम किसी धर्म और उस धर्म से संबंध रखने वाले लोगों के खिलाफ हैं. धर्म का चश्मा लगाकर योगी की आलोचना करने वालों को इस बात को समझना होगा कि जब बात यूपी की होगी और लॉ एंड आर्डर से जुड़ी होगी तो दोषियों को सजा देने में सरकार की तरफ से किसी तरह की कोई कोताही नहीं बरती जाएगी.
बाकी वो तमाम लोग जो यूपी के मुखिया को मुसलमानों के घरों पर बुलडोजर चलाने के लिए बदनाम करते हुए यूपी पुलिस की कार्यप्रणाली को सवालों के घेरे में डाल रहे हैं उन्हें हम विकास दुबे हत्याकांड की याद जरूर दिलाना चाहेंगे. ताज्जुब होता है कि लोग कैसे ये भूल गए कि योगी आदित्यनाथ ने पल भर में इनामी गैंगस्टर विकास दुबे को उसकी औकात याद दिलाई थी.
अंत में पुनः हम एजेंडा बाजों से मुखातिब होकर बस इतना ही कहेंगे कि अपराधी सिर्फ अपराधी है और आप भी यूपी के मुखिया योगी आदित्यनाथ से प्रेरणा लीजिये और उन्हें हिंदू मुस्लिम के तराजू पर रखकर तौलना बंद कीजिये.
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