दिल्ली और देश के बाकी शहरों की तरह लखनऊ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भी कोरोना वायरस पैदा हुए हालात बेकाबू ही नजर आ रहे हैं, लेकिन योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) का दावा है कि उनके राज्य में ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं हैं - और किसी ने ऑक्सीजन की कमी बताने की कोशिश की तो उसके खिलाफ मुख्यमंत्री ने अपने अफसरों को 'ठोक दो' वाले अंदाज में ही हुक्म की तामील करने को कहा है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का दावा है कि उत्तर प्रदेश के निजी या सरकारी किसी भी कोविड अस्पताल में ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है - अगर कोई समस्या है तो वो जमाखोरी और ब्लैकमार्केटिंग की है.
अंग्रेजी अखबार द हिंदू की एक रिपोर्ट के मुताबिक योगी आदित्यनाथ ने ये बातें कुछ चुनिंदा पत्रकारों के साथ एक वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये कही और ये जानकारी सरकारी प्रवक्ता ने दी.
साथ ही, अफसरों के साथ एक उच्चस्तरीय मीटिंग में योगी आदित्यनाथ ने आदेश दिया कि ऑक्सीजन कमी बताकर माहौल खराब करने वालों, अफवाह फैलाने वालों, दवाओं की कालाबाजारी करने वालों और असामाजिक तत्वों के खिलाफ NSA और गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की जाये - और उनकी प्रॉपर्टी भी सीज कर ली जाये.
मतलब, मान कर चलना चाहिये कि जो कोई भी यूपी में ऑक्सीजन की कमी का मुद्दा उठाएगा उसके खिलाफ यूपी की पुलिस वैसे ही एनकाउंटर वाले अंदाज में पेश आएगी जैसे अब तक देखी जाती रही है. मतलब ये भी कि अब भी और आगे के लिए भी हर कोई मान कर चले कि यूपी में कभी ऑक्सीजन की कमी नहीं होती.
यूपी में कभी ऑक्सीजन की कमी नहीं होती!
दिल्ली में तो अस्पतालों को ऑक्सीजन सप्लाई के मामले में कहीं कोई सुनवाई न होने पर हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा है. उत्तर प्रदेश में तो, बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ अस्पतालों ने बाहर 'ऑक्सीजन आउट ऑफ स्टॉक' की तख्ती लगा दी है.
परमवीर चक्र विजेता अब्दुल हमीद के बेटे अली हसन ने कानपुर के अस्पताल में ऑक्सीजन नहीं मिलने की वजह दम तोड़ दिया. हमीद के...
दिल्ली और देश के बाकी शहरों की तरह लखनऊ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भी कोरोना वायरस पैदा हुए हालात बेकाबू ही नजर आ रहे हैं, लेकिन योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) का दावा है कि उनके राज्य में ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं हैं - और किसी ने ऑक्सीजन की कमी बताने की कोशिश की तो उसके खिलाफ मुख्यमंत्री ने अपने अफसरों को 'ठोक दो' वाले अंदाज में ही हुक्म की तामील करने को कहा है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का दावा है कि उत्तर प्रदेश के निजी या सरकारी किसी भी कोविड अस्पताल में ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है - अगर कोई समस्या है तो वो जमाखोरी और ब्लैकमार्केटिंग की है.
अंग्रेजी अखबार द हिंदू की एक रिपोर्ट के मुताबिक योगी आदित्यनाथ ने ये बातें कुछ चुनिंदा पत्रकारों के साथ एक वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये कही और ये जानकारी सरकारी प्रवक्ता ने दी.
साथ ही, अफसरों के साथ एक उच्चस्तरीय मीटिंग में योगी आदित्यनाथ ने आदेश दिया कि ऑक्सीजन कमी बताकर माहौल खराब करने वालों, अफवाह फैलाने वालों, दवाओं की कालाबाजारी करने वालों और असामाजिक तत्वों के खिलाफ NSA और गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की जाये - और उनकी प्रॉपर्टी भी सीज कर ली जाये.
मतलब, मान कर चलना चाहिये कि जो कोई भी यूपी में ऑक्सीजन की कमी का मुद्दा उठाएगा उसके खिलाफ यूपी की पुलिस वैसे ही एनकाउंटर वाले अंदाज में पेश आएगी जैसे अब तक देखी जाती रही है. मतलब ये भी कि अब भी और आगे के लिए भी हर कोई मान कर चले कि यूपी में कभी ऑक्सीजन की कमी नहीं होती.
यूपी में कभी ऑक्सीजन की कमी नहीं होती!
दिल्ली में तो अस्पतालों को ऑक्सीजन सप्लाई के मामले में कहीं कोई सुनवाई न होने पर हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा है. उत्तर प्रदेश में तो, बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ अस्पतालों ने बाहर 'ऑक्सीजन आउट ऑफ स्टॉक' की तख्ती लगा दी है.
परमवीर चक्र विजेता अब्दुल हमीद के बेटे अली हसन ने कानपुर के अस्पताल में ऑक्सीजन नहीं मिलने की वजह दम तोड़ दिया. हमीद के परिवार का आरोप है कि डॉक्टरों से तमाम गुजारिश की गयी लेकिन ऑक्सीजन का सिलिंडर नहीं दिया - और आखिरकार ऑक्सीजन के अभाव में अली हसन की सांसें थम गयीं.
खबरें ऐसी और भी हैं - और हर कोई टीवी पर लोगों को ऑक्सीजन के लिए भाग दौड़ करते देख भी रहा है, लेकिन यूपी सरकार ऐसी बातों को कोरा अफवाह बता कर खारिज कर रही है.
योगी आदित्यनाथ का दावा है कि उत्तर प्रदेश में ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है - वैसे भी यूपी सरकार का ट्रैक रिकॉर्ड तो यही है कि सरकार कभी मानने को तैयार भी नहीं होती कि राज्य में ऑक्सीजन की कभी कमी हो सकती है.
2017 में गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से ही बच्चों की मौत की खबर आयी थी, लेकिन तब भी न तो योगी आदित्यनाथ ने कभी ये बात स्वीकार की और न ही उनकी सरकारी टीम. योगी आदित्यनाथ के मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने तो एक जुमला भी पेश कर दिया - 'अगस्त में तो बच्चों की मौत होती ही है.'
जब बच्चों की मौत की खबर आयी तभी स्थानीय मीडिया में डॉक्टर कफील खान के बारे में कई रिपोर्ट प्रकाशित हुई कि कैसे वो दोस्तों से ऑक्सीजन सिलिंडर उधार लेकर बच्चों की जिंदगी बचाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन तभी उनके खिलाफ जांच बिठायी गयी और बताया गया कि वो हीरो नहीं बल्कि लापरवाही के दोषी पाये गये हैं - और फिर जेल भेज दिया गया.
हाल ही में गोरखपुर के बड़हलगंज के एक निजी अस्पताल में भर्ती तीन मरीजों की ऑक्सीजन की कमी से मौत होने की खबर आयी. मरीजों के घरवालों ने ये आरोप लगाते हुए हंगामा भी किया, लेकिन अस्पताल प्रबंधन के साथ साथ जिला प्रशासन ने भी ऑक्सीजन की कमी के चलते मौत होने की बात सिरे से खारिज कर दी.
योगी का एक और विवादित फरमान
गोरखपुर के अस्पताल में बच्चों की मौत की घटना के बाद से डॉक्टर कफील खान कई बार जेल भेजे जा चुके हैं - और एक बार फिर जमानत पर छूटे हैं, लेकिन यूपी की सरहद से दूर राजस्थान में डेरा जमाने को मजबूर हैं. डॉक्टर कफील खान को डर है कि यूपी पुलिस कभी भी किसी न किसी केस में फंसाकर जेल भेज सकती है.
डॉक्टर कफील खान को इस बार इलाहाबाद हाई कोर्ट से जमानत मिली है - और जेल से छूटते ही कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा की टीम ने उनको राजस्थान में सुरक्षित जगह पहुंचा दिया था. तब से वो परिवार के साथ वहीं रह रहे हैं.
कोरोना संकट में डॉक्टर कफील खान ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुजारिश की है कि वो मरीजों का इलाज करने की परमिशन दे दें. डॉक्टर कफील खान बाल रोग विशेषज्ञ हैं लेकिन अब वो पॉलिटिकल मैटीरियल हो चुके हैं - और आने वाले चुनावों में वो नये रोल में देखे जा सकते हैं.
डॉक्टर कफील खान को प्रोटेक्ट करने और माफिया मुख्तार अंसारी को बचाने का इल्जाम झेल चुकी प्रियंका गांधी वाड्रा ने योगी आदित्यनाथ को चैलेंज किया है कि वो ऑक्सीजन की कमी बताने पर उनकी संपत्ति चाहें तो सीज कर लें.
कानपुर के बिकरू गांव में विकास दुबे का घर जमीदोज किया जाना और दूसरे माफिया-अपराधियों के खिलाफ उनके ठिकानों पर बुलडोजर चलवाने की बात और है, लेकिन ऑक्सीजन के मामले में योगी आदित्यनाथ का फरमान काफी अजीब लगता है.
मुख्यमंत्री ऐसा क्यों मानते हैं कि वो जो बोलते हैं वही आखिरी सच है - और कोई ऑक्सीजन की कमी की बात करता है तो वो सरासर झूठ ही बोलेगा. ये ठीक है कि विकास दुबे की गाड़ी पलटने के मामले में एसआईटी से यूपी पुलिस को क्लीन चिट मिल चुकी है, लेकिन ये भी नहीं भूलना चाहिये कि डॉक्टर कफील पर एनएसए की तामील को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया था. बल्कि, हाई कोर्ट का तो ये मानना रहा कि डॉक्टर कफील के जिस भाषण को लेकर उन पर दंगा भड़काने का आरोप लगाते हुए एनएसए लगाया गया, वो तो असल में सामाजिक सद्भाव बढ़ाने वाला रहा.
सीएए-एनआरसी के विरोध प्रदर्शनकारियों के खिलाफ भी योगी आदित्यनाथ का एक्शन भी विवादित ही रहा, खासकर चौराहों पर लोगों के नाम और फोटो सहित पोस्टर लगाने वाला. मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठते ही योगी आदित्यनाथ ने एंटी रोमियो स्क्वॉड बनाया था, लेकिन विवाद होने पर बंद भी कर दिया. तब होता ये रहा कि लड़कियों और महिलाओं को परेशान करने वालों की जगह पुलिस वाले बाहर निकले भाई-बहन और पति-पत्नी को भी सरेआम परेशान और बेइज्जत करने लगे थे.
योगी आदित्यनाथ की प्रशासनिक क्षमता को लेकर उनके विरोधी अक्सर सवाल तो उठाते ही रहते हैं - और हाथरस जैसे मामलों में उनके अफसर ही फजीहत भी कराते रहे हैं. जैसे हाथरस के मामले में विरोधियों की साजिश की दुहाई दी जा रही थी, वैसे ही वे ही अफसरान अब ऑक्सीजन के मामले में भी बयान जारी कर रहे हैं.
हाथरस गैंग रेप की घटना इस बात का सबूत है कि कैसे योगी आदित्यनाथ के अफसर सरेआम सफेद झूठ बोलते हैं और ये बात सीबीआई जांच में सही साबित हो चुकी है - अगर सब कुछ सही ही था तो भैंसाकुंड के इर्द गिर्द पर्दा लगाने की जरूरत क्यों पड़ी?
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