उत्तर प्रदेश का चर्चित और आर्थिक नगरी के नाम से मशहूर नोएडा के बारे में 29 सालों से यह अन्धविश्वास चला आ रहा है कि उत्तर प्रदेश का जो भी मुख्यमंत्री इस शहर का दौरा करता है उसे अपनी सत्ता से हाथ गंवाना पड़ता है. ऐसा नहीं है कि इस अन्धविश्वास को तोड़ने का प्रयास नहीं किया गया. हां, ये बात ज़रूर है कि जिसने भी ऐसा करने का प्रयास किया उसे उसी श्रेणी में आना पड़ा यानि सत्ता से बेदखली अख्तियार करनी पड़ी. आखिरी बार बसपा मुखिया मायावती अक्टूबर 2011 में नोएडा दलित प्रेरणा स्थल के उद्घाटन करने आयी थीं लेकिन 2012 के विधानसभा चुनाव में उन्हें सत्ता से हाथ धोना होना पड़ा था. जहां तक सवाल अखिलेश यादव का है तो वे मुख्यमंत्री रहते हुए कभी भी नोएडा का दौरा करने की हिम्मत नहीं जुटा पाए. यहां तक कि उन्होंने नोएडा से जुड़ी विकास योजनाओं का उद्घाटन भी लखनऊ से ही किया.
और इस बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस अन्धविश्वास को तोड़ते हुए नोएडा के एमिटी विश्वविद्यालय पहुंचे. अवसर था 25 दिसंबर को नोएडा के बोटेनिकल गार्डेन मेट्रो स्टेशन पर होने वाले मेजेंटा लाइन के उद्घाटन समारोह की तैयारियों का जायजा लेना जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उद्घाटन करना है.
लेकिन राजनीतिक गलियारों में सवाल यह उठ रहा है कि क्या 29 सालों में यूपी के 6 मुख्यमंत्रियों के साथ जो हुआ, क्या योगी आदित्यनाथ उसे रोक पाएंगे या होंगे अंधविश्वास के शिकार? ऐसा सवाल उठना लाज़मी भी है क्योंकि इससे पहले जितने भी मुख्यमंत्रियों ने अपने कार्यकाल में नोएडा में कदम रखा, उनकी सत्ता छिन गई.
जानते हैं कुछ ऐसे मुख्यमंत्रियों के बारे में जिन्हें नोएडा के अन्धविश्वास का शिकार होना पड़ा.
वीर बहादुर सिंह:...
उत्तर प्रदेश का चर्चित और आर्थिक नगरी के नाम से मशहूर नोएडा के बारे में 29 सालों से यह अन्धविश्वास चला आ रहा है कि उत्तर प्रदेश का जो भी मुख्यमंत्री इस शहर का दौरा करता है उसे अपनी सत्ता से हाथ गंवाना पड़ता है. ऐसा नहीं है कि इस अन्धविश्वास को तोड़ने का प्रयास नहीं किया गया. हां, ये बात ज़रूर है कि जिसने भी ऐसा करने का प्रयास किया उसे उसी श्रेणी में आना पड़ा यानि सत्ता से बेदखली अख्तियार करनी पड़ी. आखिरी बार बसपा मुखिया मायावती अक्टूबर 2011 में नोएडा दलित प्रेरणा स्थल के उद्घाटन करने आयी थीं लेकिन 2012 के विधानसभा चुनाव में उन्हें सत्ता से हाथ धोना होना पड़ा था. जहां तक सवाल अखिलेश यादव का है तो वे मुख्यमंत्री रहते हुए कभी भी नोएडा का दौरा करने की हिम्मत नहीं जुटा पाए. यहां तक कि उन्होंने नोएडा से जुड़ी विकास योजनाओं का उद्घाटन भी लखनऊ से ही किया.
और इस बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस अन्धविश्वास को तोड़ते हुए नोएडा के एमिटी विश्वविद्यालय पहुंचे. अवसर था 25 दिसंबर को नोएडा के बोटेनिकल गार्डेन मेट्रो स्टेशन पर होने वाले मेजेंटा लाइन के उद्घाटन समारोह की तैयारियों का जायजा लेना जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उद्घाटन करना है.
लेकिन राजनीतिक गलियारों में सवाल यह उठ रहा है कि क्या 29 सालों में यूपी के 6 मुख्यमंत्रियों के साथ जो हुआ, क्या योगी आदित्यनाथ उसे रोक पाएंगे या होंगे अंधविश्वास के शिकार? ऐसा सवाल उठना लाज़मी भी है क्योंकि इससे पहले जितने भी मुख्यमंत्रियों ने अपने कार्यकाल में नोएडा में कदम रखा, उनकी सत्ता छिन गई.
जानते हैं कुछ ऐसे मुख्यमंत्रियों के बारे में जिन्हें नोएडा के अन्धविश्वास का शिकार होना पड़ा.
वीर बहादुर सिंह: नोएडा से जुड़े इस अंधविश्वास की शुरुआत साल 1988 में तब हुई जब उत्तर प्रदेश के कांग्रेसी मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह ने जून के महीने में नोएडा का दौरा किया और उसके बाद स्थिति ऐसी बनी की उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था.
नारायण दत्त तिवारी: वीर बहादुर सिंह के बाद नोएडा के अन्धविश्वास ने नारायण दत्त तिवारी का पीछा किया और उसके अगले ही वर्ष यानि 1989 में ही प्रदेश के दूसरे कांग्रेसी मुख्यमंत्री को नोएडा पदार्पण का शिकार बनाया. नारायण दत्त तिवारी बतौर मुख्यमंत्री एक पार्क का उद्घाटन करने नोएडा गए थे.
मुलायम सिंह यादव: साल 1995 में जब मुलायम सिंह यादव बतौर मुख्यमंत्री नोएडा आए उसके महीने भर के अंदर उन्हें यूपी की सत्ता से हाथ धोना पड़ा था.
कल्याण सिंह: इस बार बारी था भाजपा के मुख्यमंत्री की नोएडा के अन्धविश्वास के शिकार होने की. साल 1999 में यहां के मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने नोएडा का दौरा किया किया और फिर वही हुआ जो होते आ रहा था यानि वो भी इसके शिकार हुए और उन्हें अपनी कुर्सी से हाथ धोना पड़ा.
इतने सारे मुख्यमंत्रियों का नोएडा का दौरा और फिर सत्ता से हाथ धोना, नेताओं में ऐसा वहम आ गया कि वो नोएडा आने से कतराने लगे. इसके बाद जितने भी मुख्यमंत्री बने वो नोएडा आने से कतराते दिखे. अखिलेश यादव भी जब तक सूबे के मुखिया रहे नोएडा नहीं आए और सारी परियोजनाओं का उद्घाटन लखनऊ से ही करते रहे. लेकिन अब बारी भाजपा के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की है. अब देखने वाली बात यह होगी कि वो अपनी कुर्सी बचा पाएंगे या फिर नोएडा के अन्धविश्वास के जाल में एक और नाम दर्ज़ हो जाएगा.
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