भले ही सियासत पर समाज को सांप्रदायिकता और जातिवाद से कमज़ोर करने की तोहमतें लगती हैं पर सियासत वाले अपनी पार्टी को सौहार्द की ताक़त से मज़बूत करने की हर संभव कोशिश करते हैं. राजनेता ये बात बख़ूबी समझते हैं कि राजनीतिक दलों के भीतर सौहार्द और सामंजस्य न हो तो दल बिखर जाते हैं, हार जाते है. जिस पार्टी के घर के अंदर ही नूराकुश्ती हो तो जनता भी ऐसी पार्टी को पराजित कर देती है. ऐसा ही संपूर्ण भारतीय समाज के साथ भी है. जब समाज के भीतर विभिन्न धर्मों के बीच नफरत, टकराव और जातियों के लोगों के बीच दूरियां बनती हैं तो समाज भी कमजोर होता है. विकास के रास्ते रुकते हैं. जब हम एक दूसरे की भावनाओं का आदर करते हैं,एक दूसरे का सम्मान करते हैं. बड़ों के मार्गदर्शन पर चलते हैं. हमारे बड़े हमें आर्शीवाद देते हैं, मार्ग प्रशस्त करते हैं और हम उनकी हिदायतों का अनुसरण करते हैं. हमारे बीच कभी कोई मतभेद न था, न है और न रहेगा. बड़े छोटों को प्यार और छोटे बड़ों को सम्मान देते हैं, तरक्की का रास्ता दिखाते हैं. और हम सब मार्गदर्शन के सही रास्ते पर चलते हुए सफलता की मंजिल पर पंहुचते हैं. ऐसा आपसी सामंजस्य, प्यार और सौहार्द ही हमारी ताकत है.
हमारी पार्टी एक संस्कारवान खुशहाल परिवार की तरह हैं. यहां, दूरियां, सरहदें, टकराव, द्वेष,कलह, प्रतिद्वंदिता और एहसानफरामोशी जैसी मनहूसियत नहीं पनप सकती. यूपी के आगामी विधानसभा चुनाव में मुकाबले में आने वाले दो दल भाजपा और सपा की दो तस्वीरें कुछ ऐसा ही संदेश दे रही हैं. दोनों तस्वीरें लखनऊ की हैं.
एक राजभवन की है जिसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बहुत ही प्यार और अपनेपन के भाव और आंगिक मुद्राओं...
भले ही सियासत पर समाज को सांप्रदायिकता और जातिवाद से कमज़ोर करने की तोहमतें लगती हैं पर सियासत वाले अपनी पार्टी को सौहार्द की ताक़त से मज़बूत करने की हर संभव कोशिश करते हैं. राजनेता ये बात बख़ूबी समझते हैं कि राजनीतिक दलों के भीतर सौहार्द और सामंजस्य न हो तो दल बिखर जाते हैं, हार जाते है. जिस पार्टी के घर के अंदर ही नूराकुश्ती हो तो जनता भी ऐसी पार्टी को पराजित कर देती है. ऐसा ही संपूर्ण भारतीय समाज के साथ भी है. जब समाज के भीतर विभिन्न धर्मों के बीच नफरत, टकराव और जातियों के लोगों के बीच दूरियां बनती हैं तो समाज भी कमजोर होता है. विकास के रास्ते रुकते हैं. जब हम एक दूसरे की भावनाओं का आदर करते हैं,एक दूसरे का सम्मान करते हैं. बड़ों के मार्गदर्शन पर चलते हैं. हमारे बड़े हमें आर्शीवाद देते हैं, मार्ग प्रशस्त करते हैं और हम उनकी हिदायतों का अनुसरण करते हैं. हमारे बीच कभी कोई मतभेद न था, न है और न रहेगा. बड़े छोटों को प्यार और छोटे बड़ों को सम्मान देते हैं, तरक्की का रास्ता दिखाते हैं. और हम सब मार्गदर्शन के सही रास्ते पर चलते हुए सफलता की मंजिल पर पंहुचते हैं. ऐसा आपसी सामंजस्य, प्यार और सौहार्द ही हमारी ताकत है.
हमारी पार्टी एक संस्कारवान खुशहाल परिवार की तरह हैं. यहां, दूरियां, सरहदें, टकराव, द्वेष,कलह, प्रतिद्वंदिता और एहसानफरामोशी जैसी मनहूसियत नहीं पनप सकती. यूपी के आगामी विधानसभा चुनाव में मुकाबले में आने वाले दो दल भाजपा और सपा की दो तस्वीरें कुछ ऐसा ही संदेश दे रही हैं. दोनों तस्वीरें लखनऊ की हैं.
एक राजभवन की है जिसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बहुत ही प्यार और अपनेपन के भाव और आंगिक मुद्राओं के साथ मार्ग प्रशस्त करते नज़र आ रहे हैं. ये तस्वीर जारी होने के दूसरे दिन सपा ने भी एक तस्वीर जारी कर दी. ये सपा संरक्षण मुलायम सिंह और अध्यक्ष अखिलेश यादव की है. जिसमें समाजवादी परिवार एकजुट होने की दलील नज़र आ रही है.
सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के जन्मदिन पर पेश की गई तस्वीरों में ये संदेश दिया गया है कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव अपने पिता का ख़ूब आदर करते हैं. पहले की तरह सपा का हर फैसला और नीतियां मुलायम के इशारों पर लागू होती हैं. सपाई गतिविधियों में जाहिर किया जा रहा है कि अखिलेश अपने पिता की हिदायतों पर चल कर पार्टी चला रहे हैं.
मुलायम परिवार में एकता, प्यार और सौहार्द है. आपसी सामंजस्य में कोई कमी नहीं. तस्वीरों के जरिए ये बयां करने की कोशिश की गई है कि ये इल्ज़ाम झूठे हैं जिसके तहत कुछ लोग कहते हैं कि अखिलेश ने अपने पिता मुलायम को अलग कर दिया. जिसने पार्टी खड़ी की, पुत्र को मुख्यमंत्री बनाया उस पुत्र ने पिता को नज़रंदाज़ कर दिया.
इसी तरह भाजपा ने प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी की तस्वीरें पेश करके कुछ ऐसा ही संदेश दिया है. ज़ाहिर किया है कि यूपी के मुख्यमंत्री सफलता के मार्ग पर आगे बढ़ने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन पर ही हर कदम उठाते हैं. दोनों नेताओं में अथाह स्नेह और एकदिली है. आपसी सामंजस्य से भाजपा विकास पथ पर चलने का रूट तय करती है.
इस तरह की मंशा के जरिए बीते दिनों की उन अटकलों पर भी विराम लगाने की कोशिश के तहत योगी-मोदी के बीच दूरियों की चर्चाएं हुईं थीं. राजनीति के जानकारों का कहना है कि लखनऊ में राज्यभवन से मोदी-योगी की आकर्षित तस्वीरें जारी करने का मकसद यूपी चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता को भुनाने की नियत भी हो सकती है.
यानी ये तय है कि सपा हो या भाजपा, राजनीतिक दल ये समझते हैं कि पार्टी नेताओं के बीच सौहार्द उनकी पार्टी को तरक्की और विकास की तरफ ले जाएगी जबकि दूरियां और टकराव पार्टी के विनाश का कारण बन सकती हैं. काश ये राजनीतिक दल पार्टी के आपसी सौहार्द की कोशिशों के साथ सामाजिक सौहार्द की कोशिशें कर देश-प्रदेश की तरक्की के लिए भी अपने जज्बे की तस्वीरें पेश करें.
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