क्या कोविड और उसके खतरे टल गए हैं? क्या वैक्सीन आने के बाद अब लोगों को लापरवाह हो जाना चाहिए. क्या दो गज की दूरी और मास्क है जरूरी अब सिर्फ कहने सुनने की बातें हैं? सभी सवालों का जवाब है नहीं. वो तमाम लोग जो पूरी तरह से बेफिक्र हो गए हैं और मान बैठे हैं कि सब कुछ नार्मल हो गया है. जान लें कि, डेल्टा और ओमिक्रॉन को मिलाने वाला कोविड का एक नया स्ट्रेन डेल्टाक्रॉन कई स्थानों पर फैल रहा है. जैसी रिपोर्ट्स आई हैं कहा गया है कि इस नए स्ट्रेन में डेल्टा जैसे फेफड़ों पर हमला करने और ओमाइक्रोन की तरह आसानी से फैलने की क्षमता है. भले ही भारत में 'डेल्टाक्रॉन' के मामले न हों लेकिन जैसी इस नए स्ट्रेन की गंभीरता है चाहे वो साइंस एक्सपर्ट्स हों या फिर डॉक्टर्स दोनों की ही दिल की धड़कनें बढ़ी हुई हैं.
डेल्टाक्रॉन क्योंकि लगातार वैज्ञानियों के बीच सुर्ख़ियों में है इसलिए अगर फॉर्च्यून वेल की रिपोर्ट पर गौर किया जाए तो, 'डेल्टाक्रॉन' का प्रारंभिक मामला जनवरी में सामने आया था, लेकिन स्ट्रेन अब कोविड के नए वेरिएंट XBC, XAY और XAW के रूप में सामने आया है.
नेचर रिव्यू इम्यूनोलॉजी में प्रकाशित एक स्टडी के मुताबिक, वेरिएंट डेल्टा वेरिएंट जितना ही घातक है और इसके विषय में जो बात सबसे ज्यादा हैरत में डालती है वो ये कि इसकी रिकॉर्ड-सेटिंग ट्रांसमिशन दर पिछले वेरिएंट ओमिक्रॉन जैसी ही है.
जैसा कि हम ऊपर ही इस बात को स्पष्ट कर चुके हैं कि ये एक बेहद खतरनाक वेरिएंट...
क्या कोविड और उसके खतरे टल गए हैं? क्या वैक्सीन आने के बाद अब लोगों को लापरवाह हो जाना चाहिए. क्या दो गज की दूरी और मास्क है जरूरी अब सिर्फ कहने सुनने की बातें हैं? सभी सवालों का जवाब है नहीं. वो तमाम लोग जो पूरी तरह से बेफिक्र हो गए हैं और मान बैठे हैं कि सब कुछ नार्मल हो गया है. जान लें कि, डेल्टा और ओमिक्रॉन को मिलाने वाला कोविड का एक नया स्ट्रेन डेल्टाक्रॉन कई स्थानों पर फैल रहा है. जैसी रिपोर्ट्स आई हैं कहा गया है कि इस नए स्ट्रेन में डेल्टा जैसे फेफड़ों पर हमला करने और ओमाइक्रोन की तरह आसानी से फैलने की क्षमता है. भले ही भारत में 'डेल्टाक्रॉन' के मामले न हों लेकिन जैसी इस नए स्ट्रेन की गंभीरता है चाहे वो साइंस एक्सपर्ट्स हों या फिर डॉक्टर्स दोनों की ही दिल की धड़कनें बढ़ी हुई हैं.
डेल्टाक्रॉन क्योंकि लगातार वैज्ञानियों के बीच सुर्ख़ियों में है इसलिए अगर फॉर्च्यून वेल की रिपोर्ट पर गौर किया जाए तो, 'डेल्टाक्रॉन' का प्रारंभिक मामला जनवरी में सामने आया था, लेकिन स्ट्रेन अब कोविड के नए वेरिएंट XBC, XAY और XAW के रूप में सामने आया है.
नेचर रिव्यू इम्यूनोलॉजी में प्रकाशित एक स्टडी के मुताबिक, वेरिएंट डेल्टा वेरिएंट जितना ही घातक है और इसके विषय में जो बात सबसे ज्यादा हैरत में डालती है वो ये कि इसकी रिकॉर्ड-सेटिंग ट्रांसमिशन दर पिछले वेरिएंट ओमिक्रॉन जैसी ही है.
जैसा कि हम ऊपर ही इस बात को स्पष्ट कर चुके हैं कि ये एक बेहद खतरनाक वेरिएंट है. तो ये ये बातें सिर्फ कयास नहीं हैं. जिस नए वेरिएंट यानी नए कोविड वेरिएंट XBB and XBB.1 की बता हुई है ये वैक्सीन एंटीबॉडी से बच सकने में सक्षम है. वेरिएंट यूके में बेहद प्रभावी है और भारत में भी इसे ऐसे ही देखा गया है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि XBC- डेल्टा और 'स्टील्थ ओमिक्रॉन' BA.2 का एक संयोजन, है जो फिलीपींस जैसे एशियाई देशों में घूम रहा है - इसके विषय में कहा ये भी जा रहा है कि इसमें बहुत तेजी से फैलने की क्षमता है.
XBC के अलावा, जीनोमिक विशेषज्ञों ने Covid19 के नवीनतम रीकॉम्बिनेंट वेरिएंट में से एक, यानी XBB को भी बेहद खतरनाक माना जा रहा है.
XBB, दो Omicron सबलाइनेज, BJ.1 और BA.2.75 के बीच एक पुनः संयोजक वंश, हाल के शोध में सबसे प्रमुख के रूप में उभरा है. XBB और इसकी सबलाइन XBB.1 बड़े पैमाने पर सिंगापुर और अब बांग्लादेश में फैल रहा है, वहीं कहा ये भी जा रहा है कि ये वेरिएंट पूरे यूरोप, उत्तरी अमेरिका और एशिया में भी बहुत तेजी से फैल चुका है.
बात इसके प्रसार की हो तो इस नए वेरिएंट के विषय में कहा यही जा रहा है कि मौजूदा वक़्त में ये सबसे ज्यादा तेजी से सिंगापुर में फैल रहा है.वायरस के रिकॉम्बीनैंट वेरिएंट्स के बारे में जो जानकारी हेल्थ एक्सपेरस्ट और डॉक्टर्स ने दी है उसके अनुसार इन निर्माण तब होता है जब दो या उससे अधिक वायरस एक ही समय में किसी सेल को इन्फेक्ट करते हैं.
कहा ये भी जा रहा है कि यूं तो इसके मामले में सीओ इंफेक्शन की सम्भावना दुर्लभ है लेकिन मामले ऐसे भी सामने आए हैं जब ये मरीजों में देखने को मिला है. जीनोमिक सर्विलांस ऐसे रिकॉम्बीनैंट वेरिएंट्स को बड़ी ही कुशलता से अलग कर सकता है लेकिन ये आसान नहीं है और इसमें तमाम तरह की जटिलताएं हैं.
चूंकि कोविड के इस नए वेरिएंट के विषय में ज्यादा जानकारियां अभी नहीं आई हैं.तमाम चीजें सिर्फ कयास को आधार बनाकर कही जा रही हैं इसलिए डॉक्टर्स और हेल्थ एक्सपर्ट्स फिर उसी बात को दोहरा रहे हैं कि व्यक्ति जितना हो सके भीड़ भाड़ वाले स्थानों से बचे और अगर उसे जाना ही पड़ रहा है तो उसे पूरी सावधानी बरतनी चाहिए.
हालांकि भारत में अभी डेल्टाक्रॉन का कोई एक्टिव केस सामने नहीं आया है, बावजूद इसके कहा यही जा सकता है कि हमें अभी से सचेत हो जाने की जरूरत है. कहीं हमारी लापरवाही हमें वो मंजर न दिखाए जिसे अभी बीते दिनों हमने भारत में कोविड की दूसरी लहर के दौरान देखा था.
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