बिना किसी युद्ध के 3 साल में 200 जवान शहीद !
जब मनमोहन सरकार के वक़्त जवान शहीद हो रहे थे, तब बीजेपी ने कहा कि ये मौन-मोहन सरकार है. सुषमा स्वराज ने कहा एक सर के बदले 10 लेकर आएंगे. मगर स्थिति क्या है आपके सामने है.
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कश्मीर के हालात क्या हैं? इस पर आसानी से कह देना कि बहुत ख़राब हालात हैं या ये कहना कि वहां तो हमेशा से ही ऐसे हालात थे, ये वाकई में गलत होगा. हमारे देश के जवान लगातार शहीद हो रहे हैं. दिन-प्रतिदिन सीमा पर जवानों के शहीद होने की खबरें आती हैं. जब ये आंकड़ा ज़्यादा होता है तो मीडिया में हल्ला होता है. नेता बयान देते हैं. हाल ही में पाक ने जम्मू के राजौरी जिले के केरी सेक्टर में आतंकियों की घुसपैठ करवाने के लिए जमकर गोलाबारी की. इसमें भारतीय सेना के एक मेजर व तीन जवान शहीद हो गए. एक जवान गंभीर रूप से घायल हो गया. सारे देश में एक बार फिर आक्रोश देखा गया. बदले में सेना ने पाकिस्तान में घुस कर कार्रवाई को अंजाम दिया और पाकिस्तान के तीन सैनिक मार गिराए. इसे सर्जिकल स्ट्राइक-2 कहा गया. लोग जश्न मनाने लगे. ऐसा लगा जैसे हमने बहुत बड़ी जंग जीत ली हो. मगर आपको पता है पिछले 3 सालों में हमारे देश के कितने जवान शहीद हुए हैं? पैरों तले ज़मीन खिसक जाएगी आंकड़े सुनकर.
मई, 2014 से अक्टूबर 2017 तक जम्मू कश्मीर में 183 जवान शहीद हो चुके हैं. वहीं 2 महीने की बात की जाए यानि कि नवंबर और दिसंबर की तो आंकड़ा 200 तक पहुँचता नज़र आता है. ये 200 रोहित शर्मा के बनाए हुए रन नहीं हैं. 200 जवान शहीद हो गए हैं. वो भी बिना किसी जंग के. आपको कारगिल युद्ध तो याद ही होगा. मई 1999 से आधी जुलाई तक हुए इस युद्ध में रक्षा संसाधनों के इस्तेमाल में देश को 15 सौ करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च करने पड़े थे. वहीं इस युद्ध में 527 जवानों ने अपने प्राण देश के लिए न्यौछावर कर दिए थे.
ये हाल एक युद्ध का था. तो क्या माना जाए? कश्मीर में इस वक़्त एक युद्ध ही चल रहा है. ये आंकड़े मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद के हैं.
दरअसल नोएडा के आरटीआई एक्टिविस्ट रंजन तोमर ने होम मिनिस्ट्री से आतंकवाद से जुड़े चार सवाल पूछे थे. इस पर होम मिनिस्ट्री ने अपना जवाब दिया -
सरकार से पूछे गए चार सवाल -
सवाल - मोदी सरकार के तीन साल में कितनी आतंकी वारदातें हुईं?
जवाब - मई, 2014 से मई, 2017 तक 812 आतंकवादी घटनाएं हुईं. इनमें 62 नागरिक मारे गए. 183 जवान शहीद हुए.
सवाल - मनमोहन सरकार (यूपीए) के आखिरी तीन साल में कितनी आतंकी घटनाएं हुईं?
जवाब - मई, 2011 से मई, 2014 के बीच में जम्मू एवं कश्मीर में 705 आतंकवादी घटनाएं हुईं. 59 आम नागरिक मारे गए. 105 जवान शहीद हुए.
सवाल - मनमोहन सरकार ने आतंकी घटनाओं से निपटने के लिए आखिरी तीन साल में कितना फंड जारी किया?
जवाब - आतंकी घटनाओं से निपटने के लिए होम मिनिस्ट्री ने 850 करोड़ रुपए जारी किए. आंकड़ा मई, 2011 से मई, 2014 के बीच का है.
सवाल - मोदी सरकार ने अपने शुरुआती तीन साल में आतंकी घटनाओं को रोकने के लिए कितना फंड जारी किया?
जवाब - 1,890 करोड़ रुपए जारी किए. यह आंकड़ा मई, 2014 से मई, 2017 तक का है.
यूपीए सरकार और मोदी सरकार की तुलना करना भी गलत है. क्योंकि मोदी सरकार को चुना ही इसीलिए गया था कि अब हमारे जवान शहीद नहीं होंगे. एक शहीद भी हुआ तो 10 सर लेकर आएंगे. हमारे देश में ऐसा कोई मुद्दा नहीं, जिस पर राजनीति न हो. जब मनमोहन सरकार के वक़्त जवान शहीद हो रहे थे, तब बीजेपी ने कहा कि ये मौन-मोहन सरकार है. सुषमा स्वराज ने कहा एक सर के बदले 10 लेकर आएंगे. मगर स्थिति क्या है आपके सामने है. नरेंद्र मोदी ने कहा कि पाकिस्तान को उसी की भाषा में जवाब देंगे. आपको क्या लगता है पाकिस्तान को जवाब मिला है? शायद नहीं. क्योंकि अगर जवाब मिलता तो पाकिस्तान बार-बार ये नापाक हरकत नहीं करता. मगर यहाँ तो पाकिस्तान 15 अगस्त के दिन भी गोलीबारी करता नज़र आता है. जब प्रधानमंत्री मोदी शपथ ले रहे थे, तब उन्होंने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ को भी भारत बुलाया था. उस दिन भी सीमा पर सीज़फायर उल्लंघन हुआ.
कुछ नेता और लोग ऐसे भी हैं हमारे देश में जो इन शहीदों के आंकड़े देख कर कहते हैं कि सेना में जवान तो शहीद होंगे. अरे भैया / नेताजी / आदरणीय सेना में जवान मरने के लिए नहीं मारने के लिए भर्ती होता है. अगर कोई जवान युद्ध में शहीद हो और उस युद्ध का नतीजा निकले कि भारत ने इस युद्ध में फतह हासिल की, तब तो ये बात समझ आती है. मगर यहाँ तो कोई नतीजा ही नहीं नज़र आता. ना तो कश्मीर में हालात सुधरते दिखाई देते हैं? ना ही पाकिस्तान अपनी आतंकी गतिविधियां बंद कर रहा है. वाकई में सरकार को अब कुछ नहीं, बल्कि बहुत कुछ करने की ज़रूरत है.
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