मोदी के तीन साल, जनता के तीन बड़े सवाल
नरेंद्र मोदी की सरकार को तीन साल पूरे होने जा रहे हैं और लोग आज भी मोदी द्वारा किये वादे भूले नहीं. क्या मोदी सरकार जनता के इन 3 सवालों के जवाब दे पाएगी.
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2014 के लोकसभा चुनाव की आहट के साथ तेज तर्रार नेता के रूप में नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री के रूप में देश को मिले. पहले लोग मनमोहन सिंह की खामोशी से परेशान थे, भ्रष्टाचार पर न बोलने की सजा कांग्रेस को मिली.
नरेंद्र मोदी की सरकार को तीन साल पूरे होने जा रहे हैं और लोग आज भी नरेंद्र मोदी द्वारा किये वादे भूले नहीं.
मोदी जी के 3 बड़े वादे जो उन्होंने 2014 के चुनावों में किए थे
1. "100 दिन में काला धन नहीं आया तो सारे आम आप मुझे फांसी दे देना"
आज 3 साल पूरे हो गए और काला धन अभी तक नहीं आया, अपितु काले धन की वापसी के लिए मोदी सरकार ने बोल्ड निर्णय लेते हुए नोटबंदी की घोषणा की और इस घोषणा के बाद कम से कम 50 बार रिज़र्व बैंक को निर्णय बदलने के लिए कहा गया और गवर्नर उर्जित पटेल मानो मौनी बाबा बने देखते रहे.
आज तक नोटबंदी के फायदे जनता नहीं समझ पाई है और कहीं न कहीं मोदी को भी लगने लगा था कि नोट बंदी फेल हो गयी, इसलिये फिर इसे कैशलेस इकॉनमी के नाम से सरकार भुनाने में लग गयी. नोटबंदी के समय मानो पूरा देश एटीएम की लाइन में लग गया और उर्जित पटेल की जगह नरेंद्र मोदी आरबीआई के गवनर लगने लगे.
2. "हर साल 2 करोड़ नए रोजगार के अवसर"
इन तीन सालों में नरेंद्र मोदी ने लगभग पूरे विश्व का दौरा कर एक इतिहास रच डाला है, कोई ऐसा देश नही जहां पर मोदी न गए हों. मोदी के इतने विश्व भ्रमण के बाद भी आज तक नए रोजगार के अवसर बनाने में सरकार नाकाम रही है, अपितु इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी में करीब 3 लाख नौकरियों के जाने की खबरें हैं.
नए रोजगार के अवसर बनाने में सरकार की विफलता साफ-साफ देखी जा सकती हैं. 2 करोड़ नौकारियां तो दूर, लगता है इन पांच सालों में करोड़ों की नौकरियों जरूर जाने वाली हैं.
3. "कश्मीर और बॉर्डर का मुद्दा"
2014 के बीजीपी के नेताओं के बयान से मानो लग रहा था कि यदि मोदी जी देश के प्रधानमंत्री बने तो भारतीय सेना कराची पहुंच जाएगी. पर आ 3 सालों के बाद भी पाकिस्तान अपनी आदत से बाज नहीं आ रहा है. कश्मीर में पत्थरबाजी की घटना हो या फिर सैनिकों के साथ क्रूरतम व्यवहार की, या फिर उरी में सेना के कैम्प पर हमला हो.
लगभग इन तीन सालों में करीब 6000 सेना के जवान बॉर्डर पर मारे गए हैं और ये गिनती अब भी जारी है. कुछ घटनाएं मीडिया के माध्यम से जनता तक पहुंच जाती हैं और कुछ नहीं. आये दिन बॉर्डर पर हमले हो रहे हैं. इन 3 सालों में सरकार इस मुद्दे पर फेल होती नजर आ रही हैं.
क्या मोदी सरकार अपने इन तीन सालों की उपलब्धि पर जनता के इन 3 सवालों के जवाब दे पाएगी.
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