'लड़की हूं लड़ सकती हूं' ब्रांड की तीसरी लड़की ने कांग्रेस के खिलाफ लड़ाई छेड़ दी!
'लड़की हूं लड़ सकती हूं मुहीम कांग्रेस का वो गुब्बारा है जिसकी हवा हर बीतते दिन के साथ निकल रही है और इसकी पुष्टि कैम्पेन की पोस्टर गर्ल पल्लवी सिंह के भाजपा में जाने ने कर दी है. पल्लवी कैम्पेन की तीसरी पोस्टर गर्ल हैं जो कल तक कांग्रेस की गलियों में भटक रही थीं लेकिन आज भाजपा के खेमे में हैं.
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यूपी चुनाव का पहला चरण हो चुका है. जैसे हालात हैं माना यही जा रहा है कि कांग्रेस, बसपा, ओवैसी वोटकटवा रहेंगे और मुख्य लड़ाई भारतीय जनता पार्टी बनाम समाजवादी पार्टी रहेगी. राजनीतिक पंडित भले ही ऐसे या इससे मिलते जुलते तर्क दें लेकिन प्रियंका गांधी और कांग्रेस का मानना यही है कि लड़की हूं. लड़ सकती हूं' का नारा यूपी चुनाव में न केवल निर्णायक भूमिका में रहेगा बल्कि ये स्त्रियों और महिलाओं को एकजुट कर कांग्रेस को बड़ा फायदा पहुंचाएगा. मगर क्या कोंग्रेस और प्रियंका गांधी की ये सोच दुरुस्त है? क्या सिर्फ इस नारे के दम पर यूपी की सियासत में अपना जनाधार खो चुकी कांग्रेस पार्टी इतिहास रचने में कामयाब होगी? सवाल कई हैं और जिनका एकमात्र जवाब है नहीं. ये बात यूं ही नहीं है. प्रियंका गांधी के लड़की हूं लड़ सकती हूं कैम्पेन की पोस्टर गर्ल पल्लवी सिंह ने कांग्रेस का हाथ छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया है और इस बात की पुष्टि कर दी है कि 'लड़की हूं लड़ सकती हूं मुहीम कांग्रेस का वो गुब्बारा है जिसकी हवा हर बीतते दिन के साथ निकल रही है.
कांग्रेस को छोड़ भाजपा का दामन थाम पल्लवी सिंह ने कांग्रेस और प्रियंका दोनों को आईना दिखा दिया है
उत्तर प्रदेश के परिदृश्य में कहें तो जैसे हालात बन गए हैं 10 मार्च आते आते ये गुब्बारा पूरी तरह फुस्स हो जाएगा और कांग्रेस एवं प्रियंका गांधी को भी जमीनी हकीकत दिख जाएगी.
एक ऐसे समय में जब यूपी में दूसरे चरण का मतदान चल रहा हो भाजपा ने कांग्रेस के खेमे में बड़ी सेंधमारी करते हुए उस शख्स को अपने पाले में कर लिया है जिसके दम पर कांग्रेस इतर प्रदेश में इतरा रही थी. लड़की हूं लड़ सकती हूं कैंपेन की पोस्टर गर्ल पल्लवी सिंह का कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जाने को इसलिए भी एक बड़ी घटना के रूप में देखा जा सकता है क्योंकि उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी के कंधों का सहारा पाकर कांग्रेस अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है. उसे उस जनाधार को वापस हासिल करना है जिसे कांग्रेस ने 2014 के आम चुनावों के बाद लगभग खो दिया है.
बताते चलें कि पल्लवी सिंह कांग्रेस की तीसरी पोस्टर गर्ल हैं, जिन्होंने कांग्रेस की गलियां छोड़ भाजपा के खेमे का रुख किया है. पल्लवी सेपहले प्रियंका मौर्य और वंदना सिंह बीजेपी में आई थीं और मामले में दिलचस्प ये कि कांग्रेस छोड़कर भाजपा का रुख करते हुए दोनों ने ही उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी पर गंभीर आरोप लगाए थे.
प्रियंका मौर्य ने टिकट के लिए लगाए थे घूस के आरोप!
चूंकि उत्तर प्रदेश के संदर्भ में डॉक्टर प्रियंका मौर्य का राजनीतिक कद ठीक ठाक था इसलिए भी उत्तर प्रदेश में उन्हें और उनके भाजपा में जाने को लेकर खूब चर्चा हुई. प्रियंका ने प्रियंका गांधी के सचिव पर टिकट के लिए घूस मांगने का आरोप लगाया था. उन्होंने कहा था कि कांग्रेस में धांधली चल रही है. अपना पक्ष रखने के लिए डॉक्टर प्रियंका मौर्य ने सोशल मीडिया का सहारा लिया था और लिखा था कि लड़की हूं, लड़ सकती हूं, पर टिकट नहीं पा सकी क्योंकि मैं ओबीसी थी और प्रियंका गांधी के सचिव संदीप सिंह को घूस नहीं दे सकी.
प्रियंका मौर्य ने कांग्रेस पार्टी पर जातिवाद के गंभीर आरोप लगाते हुए ये भी कहा था कि कांग्रेस में जातिवाद के कारण विधायक नरेश सैनी को पार्टी छोड़नी पड़ी. वहीं उन्होंने ये भी कहा था कि कांग्रेस पार्टी में अनियमितता का अंबार है लेकिन किसी में इतनी हिम्मत नहीं है कि वो प्रियंका गांधी वाड्रा के खिलाफ मुंह खोले और कुछ बोले.
गौरतलब है कि चाहे वो वर्तमान में पार्टी छोड़ने वाली पल्लवी रही हों या फिर पूर्व में प्रियंका मौर्य और वंदना अंदरखाने कांग्रेस पार्टी में बड़ी अजीब स्थिति है. जैसे हालात हैं कांग्रेस पार्टी में नए नए शामिल हुए लोगों को तो हाथों हाथ ले रही है लेकिन जो पुराने लोग हैं, जो जी जान से कांग्रेस जैसी पार्टी की सेवा में लगे हैं उनको कोई पूछने वाला नहीं है.
पूर्व में ख़बरें तो यहां तक आई थीं कि यूपी कांग्रेस में तमाम कार्यकर्ता ऐसे हैं जो प्रियंका गांधी वाड्रा से मिलना चाहते हैं. प्रियंका को पार्टी की कमियां बताते हुए ये कहना चाहते हैं कि कैसे संगठन को मजबूत किया जाए लेकिन प्रियंका के मातहत उन्हें प्रियंका गांधी के करीब फटकने नहीं दे रहे हैं जिससे तमाम कार्यकर्तों में रोष है.
उत्तर प्रदेश की महासचिव के रूप में प्रियंका गांधी वाड्रा को इस बात को भली प्रकार समझ लेना चाहिए कि यूं इस तरह न तो संगठन बनता है न ही चुनाव जीते जाते हैं. किसी भी पार्टी की शान उसके कार्यकर्ता होते हैं. ऐसे में अगर वो कार्यकर्ताओं का कल्याण नहीं कर पा रही हैं तो क्या ख़ाक वो एक नेता के रूप में उत्तर प्रदेश का भला करेंगी?
जिक्र क्योंकि कांग्रेस के 'लड़की हूं, लड़ सकती हूं कैम्पेन का हुआ है. तो लड़कियां बागी बन अपने अधिकारों के लिए लड़ रही हैं यानी जिन तीरों को कांग्रेस ने अपने तरकश में रखा था आज वही उसे घायल कर बेदम कर रहे हैं. कुल मिलाकर अगर एक पार्टी के रूप में कांग्रेस ने दम तोडा तो उसकी जिम्मेदार भाजपा नहीं बल्कि उसकी अपनी खुद की नीतियां होंगी.
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