5 संकेत जो बता रहे हैं गुजरात में बीजेपी हार रही है
योगी आदित्यनाथ को गुजरात भेजकर हिंदू कार्ड खेलने का दांव बुरी तरह से फेल हो गया. कट्टर हिंदू पोस्टर ब्वॉय योगी आदित्यनाथ की सभाओं में बमुश्किल 100-200 लोग ही जुट पा रहे हैं.
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सर्वे एजेंसी सीएसडीएस के ओपिनियन पोल ने बीजेपी के होश उड़ा दिए हैं. कुछ महीने पहले तक जहां यही सर्वे बीजेपी को एकतरफा बहुमत दिला रहा था, वहीं अब चुनाव के 1 हफ्ते पहले के इस सर्वे में बीजेपी और कांग्रेस को बराबरी पर लाकर खड़ा कर दिया. यानी बीजेपी तेजी से घट रही है और कांग्रेस तेजी से बढ़ रही है.
विपक्ष की सभा में भीड़ :
बीजेपी विरोधियों की सभाओं में जबरदस्त भीड़ उमड़ रही है. हार्दिक पटेल की सभा में तो रिकॉर्ड टूट जाते हैं. आरक्षण के नामपर पहले सड़क पर लाखों युवाओं को उतार कर नजारा दिखा चुके हार्दिक, अब अपनी रैलियों में लाखों की भीड़ जुटा रहे हैं. इतनी भीड़ ना तो नरेंद्र मोदी की रैली में आ रही है और ना ही राहुल गांधी की. हालांकि पहले की तुलना में लोग राहुल गांधी को ज्यादा सुनने आ रहे हैं. रैली की भीड़ के मामले में राहुल गांधी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा में हो रही भीड़ से कहीं पीछे नजर नहीं आ रहे.
हिंदू कार्ड बेअसर :
गुजरात में हिंदू कार्ड पूरी तरह से बेअसर नजर आ रहा है. हिंदू अपनी-अपनी जातियों में बंटे दिख रहे हैं. यही परिस्थिति कांग्रेस को फायदा देने वाली है. योगी आदित्यनाथ को गुजरात भेजकर हिंदू कार्ड खेलने का दांव बुरी तरह से फेल हो गया. कट्टर हिंदू पोस्टर ब्वॉय योगी आदित्यनाथ की सभाओं में बमुश्किल 100-200 लोग ही जुट पा रहे हैं. साफ है कि गुजरात में हिंदू कार्ड पूरी तरह से फ्लॉप हो गया है.
भाजपा के सारे दांव फेल होते दिख रहे हैं
मजबूत चेहरे की कमी :
गुजरात में बीजेपी के पास कोई मजबूत चेहरा नजर नहीं आ रहा. मौजूदा मुख्यमंत्री करिश्मा पैदा कर पाने में नाकाम साबित हो रहे हैं. हार्दिक पटेल, जिग्नेश मेवानी, अल्पेश ठाकुर जैसे युवाओं की चमक के सामने मुख्यमंत्री की चमक फीकी पड़ती जा रही है.
बीजेपी के पास मुद्दों की कमी :
दो दशक से राज कर रही बीजेपी के पास मुद्दों की कमी नजर आ रही है. यही वजह है कि स्थानीय मुद्दों का जिक्र ना करके बीजेपी नेता विपक्ष पर हमलावर हो रहे हैं. इसका सीधा असर खुद बीजेपी की छवि पर पड़ रहा है. राहुल गांधी के सभी हुए भाषण और धारदार आंकड़ें बीजेपी को चित् कर रहे हैं. वही हार्दिक, अल्पेश और जिग्नेश की तिगड़ी ने बीजेपी की सभी रणनीतियां ध्वस्त करके रख दी. आलम यह है की विपक्ष के पास मुद्दों की भरमार है, तो बीजेपी के पास एक भी मुद्दा नहीं है.
राम का सहारा :
कहते हैं डूबते को तिनके का सहारा ही काफी होता है. गुजरात में बीजेपी के लिए यह कहावत सटीक बैठती है. मुद्दों की कमी से जूझ रही बीजेपी को सुप्रीम कोर्ट में हुई राम मंदिर मामले की सुनवाई में बैठे बिठाए एक मुद्दा क्या मिला ऊपर से नीचे तक बीजेपी एक सुर में इसे भुनाने के लिए निकल पड़ी. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह प्रेस कॉन्फ्रेंस करके सीधे तौर पर कांग्रेस को राम और हिंदू विरोधी बता रहे हैं. उन्हीं की देखादेखी पूरी बीजेपी पार्टी कपिल सिब्बल की जिरह को आधार बनाकर बीजेपी को हिंदू हितैषी और कांग्रेस को हिंदू विरोधी साबित करने की कोशिश में लग गई है. हालांकि ये दांव भी उतना फिट नहीं बैठ पा रहा है जितना बीजेपी सोच रही है.
जाहिर है गुजरात में बीजेपी की राह इस बार सबसे मुश्किल है और यह बात बीजेपी भी जानती है.
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