5 बातें, जो स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का कद और बढ़ाती हैं
जहां एक ओर इस बात को लेकर बहस छिड़ी हुई है कि आखिर इसकी क्या जरूरत थी, आखिर क्यों इसमें 2900 करोड़ रुपए खर्च कर दिए गए? वहीं दूसरी ओर ये भी समझने वाली बात है कि इससे पूरी दुनिया में भारत को एक अलग पहचान मिली है.
-
Total Shares
पीएम मोदी ने भारत के लौह पुरुष कहे जाने वाले सरदार वल्ल्भभाई पटेल की प्रतिमा 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' का अनावरण कर दिया है. यह उद्घाटन सरदार पटेल की 143वीं जयंती पर 31 अक्टूबर को किया गया. जहां एक ओर इस बात को लेकर बहस छिड़ी हुई है कि आखिर इसकी क्या जरूरत थी? आखिर क्यों इसमें 2900 करोड़ रुपए खर्च कर दिए गए? वहीं दूसरी ओर ये भी समझने वाली बात है कि इससे पूरी दुनिया में भारत को एक अलग पहचान मिली है. चलिए जानते हैं 5 ऐसी बातों के बारे में, जो सरदार पटेल की प्रतिमा का कद और ऊंचा कर रही हैं.
सरदार पटेल की ये प्रतिमा 182 मीटर ऊंची है, जो दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है.
दुनिया की सबसे ऊंची इमारत
सरदार पटेल की ये प्रतिमा 182 मीटर ऊंची है. यह अमेरिका की 'स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी' से तो ऊंची है ही, साथ ही चीन की 'स्प्रिंग टेंपल बुद्धा' से भी 177 फुट ऊंची है. यानी ये प्रतिमा दुनिया में सबसे ऊंची है, जो एक रिकॉर्ड है. इस रिकॉर्ड की वजह से ही दुनिया चाह कर भी सरदार पटेल की प्रतिमा को अनदेखा नहीं कर सकती है. 3 नवंबर से यह आम जनता के लिए खुल भी जाएगा. इसकी फीस 350 रुपए है, जिसकी ऑनलाइन बुकिंग भी शुरू हो गई है. मूर्ति में सरदार पटेल को धोती पहले और शॉल ओढ़े दिखाया गया है. आईआरसीटीसी ने तो 'यूनिटी एक्सप्रेस' नाम से एक खास ट्रेन भी चला दी है, जो महीने में 12 दिन चलेगी. राजकोट, सुरेंद्र नगर, विरामगाम, साबरमती, आनंद, वडोदरा, भरूच, सूरत, वापी, कल्याण और पुणे इस ट्रेन के बोर्डिंग प्लाइंट रखे गए हैं, ताकि अधिक से अधिक लोग स्टैच्यू ऑफ यूनिटी तक पहुंच सकें.
On the inauguration of World's Tallest Statue #StatueOfUnity, IRCTC is operating a special Tourist Train #UnityExpress from Rajkot to #Rameshwaram - #Madurai - #Kannyakumari - #Kochuveli - #Trivendrum - #Tirupati - #Shirdi - #ShaniSignapur. To book visit https://t.co/8AU96ljK4G pic.twitter.com/ttAUaFMk7x
— IRCTC (@IRCTCofficial) October 29, 2018
रिकॉर्ड समय में बनकर तैयार
182 मीटर की ये प्रतिमा 5 सालों में बनकर तैयार हो गई है, जिसने अपने आप में एक बड़ा रिकॉर्ड बना दिया है. ये दिखाता है कि अगर काम करने की इच्छा से कोई काम किया जाए तो मुश्किल से मुश्किल डेडलाइन तक भी काम पूरा किया जा सकता है. इस प्रोजेक्ट की शुरुआत पीएम मोदी ने 31 अक्टूबर 2013 को की थी, जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे. इस मूर्ति को पद्म भूषण से सम्मानित शिल्पकार राम वी सुतार ने डिजाइन किया है. इसे बनाने का काम लार्सेन एंड टर्बो और राज्य सरकार की सरदार सरोवर नर्मदा निगम लिमिटेड ने किया है. इसे बनाने में 250 इंजीनियर और 3400 मजदूर लगे थे, जिन्होंने 33 महीनों तक काम कर के मूर्ति का निर्माण किया. इस मूर्ति पर न तो तेज हवाओं का कोई असर होगा, ना ही भूकंप का. इसका बाहरी हिस्सा कांसे के 553 पैनल से बनाया गया है. हर पैनल में 10-15 माइक्रो पैनल हैं.
182 मीटर की ये प्रतिमा 5 सालों में बनकर तैयार हो गई है.
भारत के सबसे बड़े नेता को सम्मान मिला
पटेल भारत के चीफ आर्किटेक्ट थे. जब अंग्रेजों ने भारत छोड़ने का फैसला किया, तो पटेल ने 562 रियासतों को एक साथ लाने का काम किया, जिनकी वजह से देश धर्म और परंपरा के नाम पर बंटा हुआ था. कौटिल्य जैसे दिमाग वाले पटेल को ये पता था कि सभी रियासतों को एक साथ लाना कितना जरूरी है और वह यह भी जानते थे कि इसे कैसे करना है. ये करने में बहुत सारी पॉलिटिकल बार्गेनिंग करने की जरूरत थी और सौभाग्य से उसके लिए हमारे पास सरदार पटेल थे. लेकिन ये हमारा दुर्भाग्य ही है कि अब तक उन्हें उनके काम के हिसाब से महत्व नहीं मिल सका. न तो राजनीतिक रूप से, ना ही किसी अन्य तरीके से. लेकिन अब उनकी प्रतिमा देश की सबसे ऊंची प्रतिमा है, जो उनके कामों के हिसाब से उनका कद दिखाती है.
लोगों को फिर साथ लाए पटेल
इस मूर्ति को बनाने के लिए देशभर के लोगों से लोहा जमा किया गया है. खास कर कृषि के लिए इस्तेमाल होने वाले लोहे के उपकरण, जो खराब हो चुके थे. इसके लिए पूरे देश में 'लोहा कैंपेन' भी चलाया गया था. इस तरह सरदार पटेल की इस मूर्ति ने लोगों को साथ लाने का काम भी किया है. पटेल को देश की तरफ से इससे अच्छा सम्मान क्या दिया जा सकता था?
इस मूर्ति को बनाने के लिए देशभर के लोगों से लोहा जमा किया गया है.
नौकरियां पैदा हुईं
250 इंजीनियर और 3400 मजदूरों ने मिलकर इस मूर्ति को बनाया. आने वाले समय में यह जगह एक बड़ा टूरिस्ट स्पॉट बनने जा रहा है, जिसकी वजह से भी लाखों लोगों को रोजगार मिलेगा. 4 मीटर प्रति सेकेंड की स्पीड से चलने वाली लिफ्ट और 4647 स्क्वायर मीटर में फैली ऑडियो विजुअल गैलरी भी लोगों को रोजगार देगी.
भले ही सरदार पटेल की मूर्ति को लेकर कितने ही सवाल क्यों ना उठें, लेकिन सच यही है कि इससे देश का मान-सम्मान भी बढ़ा है और खुद सरदार पटेल को भी एक सम्मान मिला है. साथ ही, लोगों को रोजगार मिलने से यह मूर्ति देश की अर्थव्यवस्था में भी योगदान देगी.
ये भी पढ़ें-
सरदार पटेल की विशालकाय प्रतिमा में शामिल है संघ और भाजपा का सपना
सरदार पटेल की प्रतिमा वाली ये तस्वीर दिल छू रही है, लेकिन इसका सच हैरान करता है !
आपकी राय