Mob Lynching: 49 सेलिब्रिटी की गलती को जब 62 सेलिब्रिटी ने अपनी गलती से ठीक करना चाहा!
49 सेलेब्रिटीज द्वारा पीएम मोदी को लिखी गई चिट्ठी के विरोध में 62 सेलेब्रिटीज आए हैं जिन्होंने अपने नैरेटिव का परिचय देते हुए पहले के सेलेब्रिटीज को गलत ठहराया है. कह सकते हैं कि अपने-अपने हिसाब से लोगों ने अपना पाला तो चुन लिया मगर मुख्य समस्या छोड़ दी.
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62 सेलेब्रिटीज का शुक्रिया जिन्होंने 49 सेलेब्रिटीज की गलती निकालने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखने की जहमत तो उठाई मगर गलती जस की तस है. साफ पता चल रहा है कि चिट्ठी चिट्ठी खेलकर सेलेब्रिटीज ने अपना निजी स्वार्थ तो पूरा कर दिया मगर वो मुद्दा छूट गया जो इस सारी वैचारिक लड़ाई का मूल है. बात बीते दिनों की है. 49 सेलेब्रिटीज ने अपने मन की बात एक चिट्ठी के जरिये पीएम मोदी से साझा की थी और तमाम ऐसी बातें कहीं थीं जो उनका सेलेक्टिव नजरिये दर्शा रहा था. उन 49 सेलेब्रिटीज ने बड़ी ही सफाई के साथ अपने काम की चीजें अंडरलाइन कीं और एक पत्र में गढ़कर ये बताने का प्रयास किया कि कैसे इन मामलों में देश के प्रधानमंत्री नाकाम हो रहे हैं. जय श्री राम, मॉब लिंचिंग, मुसलमान, दलित, अर्बन नक्सल, टुकड़े-टुकड़े, असहिष्णुता, आर्टिकल 19, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता मतलब जिस चीज में भी उन 49 लोगों को अपना फायदा दिखा सबको अंडरलाइन कर दिया और उन्होंने उन नाकामियों के लिए देश के प्रधानमंत्री को जिम्मेदार ठहरा दिया. मामला प्रकाश में आने के बाद खूब चर्चा हुई. बड़ी बातें हुईं. टीवी पर बड़े बड़े पैनल बैठे.
49 सेलेब्रिटीज की चिट्ठी के विरोध में 62 अन्य सेलेब्रिटीज आए हैं जिन्होंने उनका विरिध किया है और कहा है कि एक खास एजेंडे के तहत पीएम को चिट्ठी लिखी गई है
दिन बीता तो लोगों को लगा मामला खत्म हो जाएगा. लेकिन मुद्दा फिर चर्चा में है. 62 सेलेब्रिटीज जिनमें कंगना रनौत, गीतकार प्रसून जोशी, क्लासिकल डांसर और सांसद सोनल मानसिंह, वादक पंडित विश्व मोहन भट्ट, फिल्म निर्माता मधुर भंडारकर और विवेक अग्निहोत्री शामिल हैं सामने आए हैं और इन्होंने भी एक चिट्ठी लिखी है. इन लोगों की चिट्ठी उन 49 लोगों के विरोध में है जिन्होंने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखी थी, यदि इन 62 सेलेब्रिटीज की चिट्ठी का अवलोकन किया जाए तो मिलता है कि इन लोगों ने उन 49 लोगों को इस बात पर घेरा है कि कैसे उनका 'सेलेक्टिव आउटरेज' पीएम मोदी की कार्यप्रणाली के अलावा देश की अखंडता, एकता और शांति को प्रभावित कर रही है.
61 personalities including actor Kangana Ranaut, lyricist Prasoon Joshi, Classical Dancer and MP Sonal Mansingh,Instrumentalist Pandit Vishwa Mohan Bhatt, Filmmakers Madhur Bhandarkar& Vivek Agnihotri write an open letter against 'selective outrage and false narratives'. pic.twitter.com/ipPst5VIPW
— ANI (@ANI) July 26, 2019
अपने ओपन लैटर में इन 62 सेलेब्रिटीज ने जो कहा है यदि उसका अवलोकन किया जाए तो मिलता है कि उन 49 की तरफ इन 62 ने भी अपने नेरेटिव के चलते खास बातों को अंडर लाइन किया. उसे पत्र में लिखा और इन 49 के विरोध में सामने रख दिया.
61 personalities including actor Kangana Ranaut, lyricist Prasoon Joshi, Classical Dancer and MP Sonal Mansingh,Instrumentalist Pandit Vishwa Mohan Bhatt, Filmmakers Madhur Bhandarkar& Vivek Agnihotri write an open letter against 'selective outrage and false narratives'. pic.twitter.com/RGYIxXeJzS
— ANI (@ANI) July 26, 2019
The 61 personalities who have written an open letter against 'selective outrage and false narratives'. pic.twitter.com/Fdeac3KCri
— ANI (@ANI) July 26, 2019
कह सकते हैं कि ये 62 सेलेब्रिटीज अपनी चिट्ठी में उन चीजों के पक्ष में दिखे जिनका विरोध 49 लोगों ने अपने पत्र में किया. यानी पत्र-पात्र खेलते हुए दोनों ही पक्षों के लोग या ये कहें कि दोनों ही तरफ के सेलेब्रिटीज ने उस प्रमुख मुद्दे को सारे बातों से कहीं दूर कर दिया जिसकी वजह से ये पूरा खेल शुरू हुआ था.
ध्यान रहे कि अभी बीते दिनों ही 49 सेलेब्रिटीज ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर इस बात से अवगत कराया था कि इस देश में लगातार मुसलमाओं, दलितों और अन्य अल्पसंख्यकों की लिंचिंग की जा रही है. उनके साथ डर का माहौल बनाया जा रहा है. जबकि होना ये चाहिए था कि अगर वो 49 लोग पत्र लिख ही रहे थे तो उसमें उन्हें अपने सिलेक्टिव तत्व को बाहर रखकर सबकी लिंचिंग जिसमें हिंदू, मुसलमान, दलित, ईसाई, पारसी सब शामिल हैं का जिक्र होता. 49 सेलेब्रिटीज का मुद्दे को लेकर सिलेक्टिव होना और केवल अपने फायदे की बात अंडरलाइन करना इनकी नीयत में खोट दर्शाता है.
इसी तरह बात अगर 62 सेलेब्रिटीज की हो तो इन्होंने भी वही किया जिसके कारण 49 सेलेब्रिटीज लगातार देश भर में तीखी आलोचना का शिकार हो रहे हैं. ताज़ी चिट्ठी में एक के बाद एक बंगाल की घटनाओं का जिक्र है. कश्मीरी पंडितों की बातें, कैराना में हिन्दुओं का पलायन, जय श्री राम के नारे के चलते लोगों को जेल में डालना. ये बताता है कि इन 62 लोगों ने अपनी काम की बात को अंडर लाइन किया और उसे इस देश की जनता के सामने रखकर ये कहा उन 49 लोगों ने अपनी लिखी चिट्ठी से देश की शांति और अखंडता को प्रभावित करने का काम किया है.
अभी बीते दिन ही 49 लोगों ने पीएम को पत्र लिखा था और मन की सेलेक्टिव बात की थी
उन 49 सेलेब्रिटीज की तरह ही अगर इन 62 लोगों द्वारा लिखी गई चिट्ठी का अवलोकन किया जाए तो इस ताज़ी चिट्ठी में इन लोगों में ठीक वैसे ही अपनी नीयत दर्शाई है जैसे पीएम मोदी को लिखी उस पुरानी चिट्ठी में 49 ने अपनी नीयत दर्शाई थी.
बात सीधी साफ और एकदम सपाट है. जैसे गलत वो लोग हैं जो अल्लाह हू अकबर कह कर मंदिर तोड़ रहे हैं ठीक वैसे ही गलत वो भी है जो जय श्री राम का नारा लगाकर मस्जिद को निशाना बना रहे हैं. यदि मुस्लिम की हत्या हो तोजैसी बात उसपर हो वैसी ही बातें तब भी हो चाहिए जब एक हिंदू की हत्या मुस्लिम के हाथों हों. हत्या कोई भी बुरी है और ये एक बेहद घिनौना कृत्य है मगर जब सिर्फ और सिर्फ मुस्लिम की हत्या या फिर हिंदुओं द्वारा जय श्री राम के नारे के साथ मंदिर तोड़ने का जिक्र होगा समस्या होगी.
ये हमारा सिलेक्टिव नजरिया दर्शाता है. इसलिए ये कहना हमारे लिए अतिश्योक्ति नहीं है कि गलती 49 ने तो की ही साथ ही ये 62 लोग जो उस गलती को दर्शाने के लिए सामने आए इन्होंने भी वही गलती की और समस्या के मूल और उसकी जड़ को पूरी समस्या से अलग कर एक ऐसा चेहरा दिखाया जो पूरी तरह इनका सेलेक्टिव आउटरेज दर्शाता नजर आ रहा था.
फैक्टचेकर पर कुछ इस तरह आए हेट क्राइम के आंकड़े
बाक़ी 49 लोगों ने अपनी चिट्ठी को वजन देने के लिए आंकड़ों के अलावा कुछ वेबसाइट्स जिसमें फैक्टचेकर.इन भी शामिल है का जिक्र किया था तो हमारे लिए इस साईट को देखना और इसमें बताई गई बातों पर गौर किया. वेबसाइट में आंकड़े हैं जिनके अनुसार 2014 में हेट क्राइम के 18 मामले हुए 2015 में 30 मामले सामने आए. 2016 में 42. 2017 में 73. 2018 में 92 और बात अगर 2019 की हो तो आधा साल बीत गया है और अब तक केवल 19 मामले सामने आए हैं यानी हेट क्राइम की वारदातों में खासी कमी है और केंद्र सरकार इस दिशा में सख्त है और मामलों पर उचित कार्रवाई की गई.
बहरहाल अब जबकि सेलेब्रिटीज के दो वर्ग एक ही मुद्दे पर अपनी अपनी विचारधारा के साथ सामने आ गए हैं तो हम बस ये कहकर अपनी बात को विराम देंगे कि इनकी लड़ाई में उन संस्थाओं को फायदा हो रहा है जो जांच कर रही हैं. अंत में बस इतना ही कि एक मुहीम तभी सफल है जब उसके सभी पक्षों पर बात हो यदि हम उसे लेकर सिलेक्टिव हो गए तो जिस समस्या को आधार बनाकर हमने इस मुहीम का निर्माण किया है वो नष्ट हो जाएगी.
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