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Updated: 15 अप्रिल, 2017 04:41 PM
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कुलभूषण जाधव को लेकर जो युद्ध भारत और पाकिस्तान के बीच छिड़ गया है उसने राजनैतिक गलियारे में एक नया मोड़ ले लिया है. पाकिस्तान का कहना है कि कुलभूषण जाधव रॉ एजेंट है और भारत इस बात से इंकार कर रहा है. कुलभूषण जाधव को बचाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाया जा रहा है.

पाकिस्तान भले ही कोई भी दावा करे, लेकिन पूर्व रॉ एजेंट का मानना है कि 7 ऐसे कारण हैं जिनकी वजह से कुलभूषण जाधव के रॉ में ना होने का सबूत मिलता है. इंडिया टुडे.इन ने इस बारे में पूर्व R&AW (रॉ) एजेंट से बात की और जानकारी ली.

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क्यों नहीं हो सकते कुलभूषण जाधव रॉ एजेंट---

1. रॉ आम तौर पर बाहरी व्यक्ति को पाकिस्तान के किसी भी मिशन पर नहीं भेजती है. पाकिस्तान उन्हीं लोगों को भेजा जाता है जो आस-पास के होते हैं और जिन्हें वहां की भाषा समझ आती है. ताकि वो आसानी से वहां के लोगों से बात कर सकें.

कुलभूषण जाधव महाराष्ट्र के हैं और नेवी में काम कर चुके हैं इसलिए वो पाकिस्तान के मिशन के लिए क्वालिफाइड नहीं हैं.

2. अगर रॉ किसी बाहरी व्यक्ति को पाकिस्तान भेजने का निर्णय लेती है तो उसके पास कोई बेहतर काबिलियत होनी चाहिए जैसे कि वो जल्दी सबकुछ सीख ले और काम में सबसे बेस्ट हो ताकि वो छोटे-छोटे ऑपरेशन के लिए इस्तेमाल किया जा सके. कुलभूषण जाधव का मिशन इतना लंबा नहीं हो सकता था.

3. रॉ का कोई भी एसेट (एजेंट) भारतीय पासपोर्ट का इस्तेमाल करके किसी तीसरे देश से पाकिस्तान में नहीं घुस सकता. कुलभूषण के पास भारतीय पासपोर्ट था और वो ईरान से अवैध तरीके से पाकिस्तान में जाने की कोशिश कर रहा था. ऐसा रॉ के उसूलों के खिलाफ है.

4. रॉ तभी किसी एसेट को किसी दूसरे देश में भेजती है जब उसका कोई सोर्स वहां मौजूद हो. ऐसा होना लगभग नामुमकिन है कि रॉ का कोई एजेंट बॉर्डर क्रॉस करते समय पकड़ा जाए. रॉ के ऑपरेशन फूलप्रूफ होते हैं.

5. पाकिस्तान जिस वीडियो को सबूत बताकर पेश कर रहा है उसके फैक्ट्स असलियत से मेल नहीं खाते. पाकिस्तान ने दावा किया कि कुलभूषण ने रॉ ज्वाइंट सेक्रेटरी अनिल कुमार गुप्ता का नाम लिया है. ऐसा कोई भी एजेंट इस पोस्ट पर रॉ में तैनात नहीं है.

इसके अलावा, पाकिस्तान ने ये दावा भी किया है कि कुलभूषण NSA चीफ अजीत डोवाल से मिला है. ये सच नहीं हो सकता क्योंकि NSA फील्ड एजेंट से नहीं मिलती.

6. जो वीडियो पाकिस्तान द्वारा रिलीज किया गया है उसमें कुलभूषण दो तारीख के बारे में बता रहे हैं जिससे वो नेवी से रिटायर हुए हैं. एक बार कहते हैं कि 2001 में उन्होंने नेवी छोड़ दी थी और दूसरी बार कहते हैं कि 2022 में वो रिटायर होंगे. ऐसा लगता है कि कुलभूषण अपने आपे में नहीं हैं, या तो उन्होंने टॉर्चर के कारण आपा खो दिया है या फिर उन्हें कोई ड्रग दिया गया है.

7. बिजनेसमैन जो ऐसे विवादित इलाकों में काम करते हैं आम तौर पर रॉ को जानकारी देते हैं. ऐसा खासतौर पर उन लोगों द्वारा किया जाता है जिनका काम अच्छा नहीं चल रहा होता. ये लोग केस दर केस रॉ के साथ काम करते हैं, लेकिन इन्हें कोई मिशन नहीं दिया जाता और कोई खतरनाक असाइनमेंट तो बिलकुल नहीं. कुलभूषण जाधव का ईरान में छोटा सा व्यापार था और ऐसा संभव नहीं है कि उनके बहुत गहरे कॉन्टैक्ट हों. ऐसा संभव नहीं है कि कुलभूषण रॉ एजेंट हों.

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