प्राइवेट कंपनियों का आधार से कब्जा हटाने के मायने
आधार को सुप्रीम कोर्ट ने हाशिये के लोगों को पहचान दिलाने वाला तो माना है, लेकिन निजी कंपनियों के लिए डाटा एक्सेस खत्म कर दी है. फिर कुछ बातें ऐसी हैं जहां तस्वीर धुंधली लगती है.
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हर भारतीय के लिए यूनीक 12 नंबर देने वाले आधार की संवैधानिक वैधता को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में आधार पर हमले को संविधान के खिलाफ माना है. फैसला सुनाने वाली संविधान पीठ में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के साथ जस्टिस एके सीकरी, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस अशोक भूषण शामिल थे.
सुप्रीम कोर्ट में आधार पर 27 याचिकाओं पर 38 दिनों तक सुनवाई चली थी. कोर्ट में आधार की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई थी. याचिका दायर करने वालों में हाई कोर्ट के पूर्व जज केएस पुटुस्वामी भी शामिल थे.
आधार पर कोई मनमानी नहीं चलेगी
आधार के नाम पर निजी कंपनियों की गुंडागर्दी को सुप्रीम कोर्ट ने हमेशा के लिए खत्म कर दी है. आधार एक्ट की धारा 57 को रद्द करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने साफ साफ कह दिया है कि निजी कंपनियां किसी भी काम के लिए आधार नंबर नहीं मांग सकतीं.
निजी कंपनियां रहेंगी निराधार...
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद टेलीकॉम कंपनियां, ई-कॉमर्स कंपनियां, निजी बैंक और ऐसे संस्तान अब किसी से आधार नंबर की मांग नहीं कर सकते. मोबाइल नंबर लेने के मामले में भी यही बात लागू होगी और बैंक अकाउंट खोलने में भी. अब पेटीएम जैसे ऐप भी आधार के नाम पर किसी को मनमाने ढंग से लॉग ऑफ नहीं कर सकते.
आधार डाटा की सुरक्षा पर खास जोर
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में साफ कर दिया है कि आधार डाटा को 6 महीने से ज्यादा स्टोर नहीं किया जा सकता है. अब तक इसे पांच साल तक रखने का प्रावधान था जिसे कोर्ट ने गलत करार दिया है.
आधार की संवैधानिक वैधता पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले में डाटा प्रोटेक्शन खास जोर देखने को मिला है. सुप्रीम कोर्ट ने आधार के लिए जुटाये जाने वाले डाटा की सुरक्षा को लेकर जल्द से जल्द मजबूत कानून बनाने के लिए कहा है.
साथ ही, सरकार ने सरकार को बड़े ही सख्त लहजे में साफ किया है कि राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर कोर्ट की इजाजत के बगैर बॉयोमीट्रिक डाटा को किसी और एजेंसी से शेयर नहीं किया जा सकता. सरकार को ये हर हाल में सुनिश्चित करना होगा.
सुप्रीम कोर्ट का आधार डाटाल सुरक्षा पर खास जोर
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली संविधान पीठ की फैसला सुनाते वक्त आधार को लेकर एक महत्वपूर्ण टिप्पणी भी सुनने को मिली - 'सर्वश्रेष्ठ होने के मुकाबले अनोखा होना बेहतर है.'
मतलब आधार सर्वश्रेष्ठ तो नहीं है लेकिन अपनेआप में अनोखा जरूर है. सुप्रीम कोर्ट ने आधार की तारीफ करते हुए कई विशेषताएं भी बताईं -
1. आधार पूरी तरह सुरक्षित है.
2. आधार आम नागरिक की पहचान है.
3. आधार से गरीबों को ताकत मिली है.
4. आधार का डुप्लिकेट बनाना मुमकिन नहीं.
5. आधार ने समाज के वंचित तबकों को सशक्त किया है.
6. आधार आम लोगों के हित के लिए काम करता है.
7. आधार से समाज में हाशिये पर बैठे लोगों को फायदा होगा.
कुछ बातें जो अभी साफ नहीं हैं
हालांकि, आधार पर आये सुप्रीम कोर्ट के फैसले में कुछ बातें ऐसी भी हैं जहां तस्वीर पूरी तरह साफ नहीं है. ऐसा होने से संदेह बना हुआ है. इनमें से एक PAN का मामला ही है.
सुप्रीम कोर्ट ने पैन के लिए आधार को अनिवार्य बताया है. आयकर रिटर्न फाइल करने के लिए पैन तो जरूरी होता ही है, आधार भी जरूरी होगा. साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने बैंक अकाउंट को आधार से लिंक करने को भी अनिवार्य बनाना असंवैधानिक बताया है. कोर्ट के फैसले में बैंक अकाउंट खोलने के लिए आधार की अनिवार्यता भी खत्म कर दी गयी है.
सवाल ये है कि बगैर पैन के कोई बैंक अकाउंट खुल भी जाये तो वो कितना व्यावहारिक होगा? मतलब ये कि बगैर पैन के बैंकिंग सेवाओं की सीमा कहां तक होगी?
क्रेडिट लेने की सियासी होड़ चालू
आधार पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के साथ ही राजनीति भी शुरू हो गयी है. केंद्र में सत्ताधारी बीजेपी और विपक्षी पार्टी कांग्रेस फैसले को अपने अपने तरीके से लोगों को समझा रहे हैं. लगे हाथ आधार का क्रेडिट लेने की भी होड़ मची हुई है.
कांग्रेस का दावा है कि जो आधार यूपीए की मनमोहन सिंह सरकार ने शुरू किया था वो अच्छा था. कांग्रेस के मुताबिक बीजेपी की नरेंद्र मोदी सरकार वाला आधार गड़बड़ हो रहा था जिसे सुप्रीम कोर्ट ने सुधार दिया है.
राहुल गांधी ने कांग्रेस सरकार के आधार प्रोजेक्ट को लोगों को अधिकार देने वाला और बीजेपी सरकार के कानून को लोगों पर निगरानी रखने वाला बताया है.
For Congress, Aadhaar was an instrument of empowerment.
For the BJP, Aadhaar is a tool of oppression and surveillance.
Thank you Supreme Court for supporting the Congress vision and protecting ????????. #AadhaarVerdict
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) September 26, 2018
राहुल गांधी को कठघरे में खड़ा करते हुए केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली कह रहे हैं कि कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट के फैसले से चिंतित है. जेटली ने कहा, "कांग्रेस जरूर इस आइडिया को लाई लेकिन उसे यह पता ही नहीं था कि इसमें आगे करना क्या है..."
राहुल गांधी के सर्विलांस के आरोपों को खारिज करते हुए केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने फैसले को मोदी सरकार के पक्ष में समझाने की कोशिश की.
Supreme Court has held that the purpose of #Aadhaar is legitimate and in state interest. It is not a surveillance tool: @rsprasad
— RSPrasad Office (@OfficeOfRSP) September 26, 2018
जिस तरह शशि थरूर ने ऑक्सफोर्ड के कार्यक्रम में भारत में अंग्रेजों की हुकुमत के लिए हर्जाना की मांग की थी, उसी अंदाज में कांग्रेस अब मोदी सरकार से डाटा वापस मांग रही है. हैशटैग चल रहा है - #ModiGiveBackMyData
We welcome the Supreme Court decision to put an end to Modi Govt.'s illegal distribution of private data. PM Modi must answer for this breach of privacy & tell the people how he will protect the data his govt. has already taken from us. #ModiGiveBackMyData pic.twitter.com/0tZB4FK9y4
— Congress (@INCIndia) September 26, 2018
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