Covid Vaccination के 6 महीने: मोदी सरकार के दावों से दूर ही नजर आ रही हकीकत!
कोरोना संकट के दौर में मोदी सरकार की शीर्ष थिंक टैंक संस्था नीति आयोग ने बीती 13 मई को लोगों के लिए एक राहत देने वाली घोषणा की थी. नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल ने दावा किया था कि भारत में अगस्त से दिसंबर के अंत तक 216 करोड़ वैक्सीन डोज उपलब्ध कराई जाएंगी. इसी के साथ वैक्सीन का पूरा रोडमैप भी जारी किया था.
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भारत में कोरोना टीकाकरण अभियान को शुरू हुए 6 महीने पूरे हो चुके हैं. अब तक करीब 39 करोड़ से ज्यादा लोगों वैक्सीन की डोज लगाई जा चुकी है. जिनमें से सिर्फ 7 करोड़ 92 लाख लोगों को ही एंटी कोविड वैक्सीन के दोनों डोज दिए गए हैं. बीते महीने 21 जून को देशभर में 86 लाख से ज्यादा लोगों को वैक्सीन लगाई गई थी. भारत ने इस दिन कोरोना टीकाकरण में विश्व रिकॉर्ड बनाया था. हालांकि, इसके बाद से ही कोरोना टीकाकरण की रफ्तार वापस करीब 40 लाख प्रतिदिन के औसत पर आ गई. मोदी सरकार ने दावा किया था कि दिसंबर तक देश की 18+ आबादी का टीकाकरण पूरा कर लिया जाएगा. लेकिन, आंकड़े बताते हैं कि वैक्सीनेशन के 6 महीने बीतने के बाद भारत में 18+ आबादी का कुल टीकाकरण करीब 8 फीसदी के आसपास ही है. टीकाकरण को लेकर किए जा रहे मोदी सरकार के दावों से हकीकत दूर ही नजर आ रही है. इस स्थिति में सवाल उठना लाजिमी है कि क्या दिसंबर तक 18+ आबादी का टीकाकरण हो पाएगा?
कोरोना टीकाकरण की रफ्तार वापस करीब 40 लाख प्रतिदिन के औसत पर आ गई.
दावों पर भरोसा कैसे हो?
कोरोना संकट के दौर में मोदी सरकार की शीर्ष थिंक टैंक संस्था नीति आयोग ने बीती 13 मई को लोगों के लिए एक राहत देने वाली घोषणा की थी. नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल ने दावा किया था कि भारत में अगस्त से दिसंबर के अंत तक 216 करोड़ वैक्सीन डोज उपलब्ध कराई जाएंगी. इसी के साथ वैक्सीन का पूरा रोडमैप भी जारी किया था. जिसमें बताया गया था कि कोवैक्सीन और कोविशील्ड के अलावा देश में 6 अन्य एंटी कोविड वैक्सीन उपलब्ध हो जाएंगी. मोदी सरकार के उस समय किए गए दावे के हिसाब से 18+ आबादी को वैक्सीन लगाने के लिए जरूरी डोज से भी ज्यादा वैक्सीन भारत में उपलब्ध होनी थी. 216 करोड़ वैक्सीन डोज का दावा भारत की 18+ आबादी के टीकाकरण के लिए पर्याप्त कहा जा रहा था. लेकिन, हाल ही में मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में वैक्सीन की उपलब्धता पर हलफनामा दाखिल कर बताया था कि अगस्त से दिसंबर तक वैक्सीन के 135 करोड़ डोज ही उपलब्ध होंगे.
मोदी सरकार के इस जवाब के अनुसार, 216 करोड़ वैक्सीन डोज में से सीधे 81 करोड़ की कमी की बात कही गई है. इस हलफनामे से नोवावैक्स, भारत बायोटेक नेजल वैक्सीन और जिनोवा बायोफार्मा की वैक्सीन का जिक्र नहीं किया गया है. साथ ही वैक्सीन के डोज की संख्या भी घटा दी है. केंद्र सरकार ने दावा किया था कि 31 जुलाई तक 53.60 करोड़ वैक्सीन डोज उपलब्ध होंगी. लेकिन, अभी तक हुए टीकाकरण के आंकड़ों के अनुसार, 39,53,43,767 लोगों को ही वैक्सीन लगी है. इनमें से 31,61,16,189 लोगों को पहली और 7,92,27,578 लोगों को दूसरी डोज लगी है. फिलहाल जो टीकाकरण की रफ्तार है, उसे देखकर आसानी से कहा जा सकता है कि सरकार ने जुलाई के अंत तक के लिए जो दावा किया था, उसे पूरा नहीं किया जा सकेगा.
टीकाकरण की रफ्तार सुस्त
भारत में टीकाकरण की रफ्तार 18+ की पूरी आबादी को एंटी कोविड वैक्सीन लगाने के लिहाज से काफी कम है. दिसंबर तक सभी लोगों का वैक्सीनेशन करने के लिए हर दिन 90 लाख लोगों को वैक्सीन डोज दिए जाने हैं. वहीं, भारत में फिलहाल टीकाकरण का औसत करीब 40 लाख प्रतिदिन ही है. अगर इसी गति से टीकाकरण जारी रहता है, तो 18+ की आबादी को एंटी कोविड वैक्सीन लगाने में 6 महीने और लग जाएंगे. ये 6 महीने का समय तब के लिए कहा जा सकता है, जब भारत में वैक्सीन की उपलब्धता आसानी से हो. बीते कुछ समय में कई राज्यों द्वारा वैक्सीन की कमी की बात दोहराई जा रही है. वैक्सीन की कमी के चलते कई जगहों पर टीकाकरण रोक दिया गया, तो कहीं पर केवल दूसरी डोज ही दी जा रही है.
अगर इसी गति से टीकाकरण जारी रहता है, तो 18+ की आबादी को एंटी कोविड वैक्सीन लगाने में 6 महीने और लग जाएंगे.
वहीं, वैक्सीनेशन का काम एक बार फिर से अपने हाथों में लेने वाली मोदी सरकार का कहना है कि राज्यों को वैक्सीन की कितनी डोज मिलेगी, ये 15 दिन पहले बता दिया जाता है. राज्यों को उपलब्ध वैक्सीन डोज की संख्या के अनुसार टीकाकरण की तैयारी करनी चाहिए. एक तरह से मोदी सरकार ने राज्यों पर जिम्मेदारी डाल दी है कि वो अपने हिसाब से प्लान बनाएं. लेकिन, मोदी सरकार ने कोरोना वैक्सीन लगवाने के लिए पहले से रजिस्ट्रेशन की बाध्यता को खत्म कर दिया है. जिसकी वजह से वैक्सीनेशन सेंटर्स पर भारी संख्या में भीड़ जुटने लगी है. जबकि, वैक्सीन की डोज गिनती की ही उपलब्ध हैं.
वैक्सीन की उपलब्धता
भारत में अभी भी टीकाकरण के लिए कोविशील्ड और कोवैक्सीन का ही बड़े स्तर पर इस्तेमाल किया जा रहा है. हालांकि, रूस की एंटी कोविड वैक्सीन स्पूतनिक वी के भी आपातकालीन इस्तेमाल को मंजूरी मिल गई है. लेकिन, स्पूतनिक वी का अभी तक देश में निर्माण शुरू नहीं हो सका है और टीकाकरण के लिए इसका आयात किया जा रहा है. कहा गया था कि अगस्त से दिसंबर के बीच लोगों के सामने कोविशील्ड और कोवैक्सीन के अलावा 6 और विकल्प मौजूद होंगे. लेकिन, इनमें से जाइडस कैडिला को आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी नहीं मिली है. बायोलॉजिकल ई सब यूनिट वैक्सीन की 30 करोड़ डोज का मोदी सरकार ने ऑर्डर दिया है. लेकिन, ये वैक्सीन अभी तीसरे चरण के ट्रायल में है. हालांकि, मॉडर्ना की वैक्सीन को आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी मिल चुकी है. लेकिन, इसकी उपलब्धता पर अभी तक कोई जानकारी सामने नहीं आई है.
कोरोना टीकाकरण के वर्तमान हालातों को देखते हुए कहा जा सकता है कि हकीकत मोदी सरकार के दावों से दूर ही नजर आती है. दिसंबर तक 18+ आबादी के टीकाकरण करने का लक्ष्य फिलहाल तो कहीं से भी पूरा होता नजर नहीं आ रहा है.
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