अभी तो और भी ब्रिज गिरने बाकी हैं, वाराणसी-कोलकाता ने तो बस आगाह किया है!
रेलवे ने कोलकाता मेट्रोपोलिटन डेवलपमेंट अथॉरिटी को इस ब्रिज के कमजोर होने के बारे में पहले ही चेतावनी दे दी थी. बावजूद इसके कोलकाता के ब्रिज की मेंटेनेंस के नाम पर सिर्फ उसे नीले और सफेद रंग से रंगा गया.
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कोलकाता में सिर्फ ब्रिज नहीं गिरा है, बल्कि ब्रिज के साथ गिरी हैं जनता की उम्मीदें, जो उसने ममता बनर्जी से लगा रखी थीं. ब्रिज के नीचे दबकर सिर्फ कुछ लोग नहीं मरे हैं, बल्कि वह भरोसा भी बुरी तरह घायल हो गया है, जिसके दम पर लोगों ने ममता को चुना था. अब इस ब्रिज की जगह तो नया ब्रिज बनेगा, लेकिन देखना ये होगा कि प्रदेश में सरकार भी नई बनती है या फिर ममता बनर्जी डैमेज कंट्रोल करने में सफल रहती हैं. खैर, ब्रिज गिरने की समस्या को गंभीरता से कोई ले भी क्यों? क्योंकि अभी तो बहुत से ब्रिज और फ्लाईओवर गिरने बाकी हैं.
कोलकाता के ब्रिज की मेंटेनेंस के नाम पर सिर्फ उसे नीले और सफेद रंग से रंगा गया.
वाराणसी हादसे ने दिल दहला दिया था
कुछ समय पहले ही यूपी के वाराणसी में फ्लाईओर गिरा था, जिसमें 18 लोगों की मौत हो गई थी, लेकिन किसी ने उस हादसे से कोई सबक नहीं लिया. रेलवे ने कोलकाता मेट्रोपोलिटन डेवलपमेंट अथॉरिटी को इस ब्रिज के कमजोर होने के बारे में पहले ही चेतावनी दे दी थी. बावजूद इसके कोलकाता के ब्रिज की मेंटेनेंस के नाम पर सिर्फ उसे नीले और सफेद रंग से रंगा गया. ब्रिज की मरम्मत के नाम पर केवल राजनीतिक फायदा जुटाने की कोशिश की गई. नतीजा सामने है. ब्रिज जमीन पर गिर चुका है, जिसने लोगों के साथ-साथ जनता की उम्मीदों को भी बुरी तरह से घायल कर दिया है.
इन ब्रिज पर मंडरा रहा खतरा
इंडियन ब्रिज मैनेजमेंट सिस्टम के तहत यूनियन रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाइवे मिनिस्ट्री ने एक एनालिसिस को तो चौंकाने वाले नतीजे सामने आए. इससे पता चला कि नेशनल हाईवे पर कुल 23 ऐसे ब्रिज और टनल हैं, जिन पर खतरा मंडरा रहा है. ये ब्रिज 100 साल से भी अधिक पुराने हैं. इनमें से 17 तो ऐसे हैं, जिन्हें बहुत अधिक मेंटेनेंस की जरूरत है या फिर यूं कहें कि इन्हें दोबारा बनाया जाना चाहिए. इसके अलावा 123 ऐसे ब्रिज हैं जिनकी ओर सरकार को तुरंत ध्यान देने की जरूरत है. वहीं 6000 ब्रिज का ढांचा ही ठीक नहीं है.
37,000 रेलवे ब्रिज 100 साल पुराने
मुंबई में 29 सितंबर 2017 को एलफिंस्टन रेलवे ब्रिज पर हुआ हादसा कोई कैसे भूल सकता है. सीढ़ियों पर लोग एक-दूसरे के नीचे दबे हुए थे, जिसकी वजह से 23 लोगों की मौत हो गई थी. रिपोर्ट में कहा गया था कि भगदड़ मचने की वजह से वह हादसा हुआ था, लेकिन 106 साल पुराने ब्रिज से ये उम्मीद कैसे की जा सकती है कि वह आज की भीड़ को भी पहले की तरह ही संभाल सकता है.
एलफिंस्टन ब्रिज पर हुए हादसे में 23 लोगों की मौत हो गई थी.
लोकसभा में रेल राज्य मंत्री राजेन गोहेन ने कहा था कि देशभर में 37,162 रेलवे ब्रिज ऐसे हैं, जो 100 साल से भी अधिक पुराने हैं. उनका कहना था कि किसी ब्रिज के पुराने होने का मतलब ये नहीं है कि वह कमजोर है. उन्होंने यह भी कहा कि साल में दो बार हर पुल का निरीक्षण होता है. एलफिंस्टन ब्रिज तो नहीं गिरा था, लेकिन ये समझना जरूरी है कि वह 106 साल पहले की भीड़ के हिसाब से बनाया गया था. ब्रिज बनाते वक्त अधिक से अधिक आने वाले 50 सालों के बारे में सोचा गया होगा. अब रेलवे के 100 साल पुराने हजारों ब्रिज खतरे की घंटी हैं, जो भले ही गिरें या ना गिरें, लेकिन किसी हादसे को न्योता जरूर दे सकते हैं.
बेंगलुरु के ब्रिज को भी देखिए
बेंगलुरु में भी कई ऐसे ब्रिज हैं, जिन्हें मरम्मत की सख्त जरूरत है. बेंगलुरु मिरर में छपी खबर के मुताबिक यहां के कई ब्रिज पर पेड़-पौधे तक उगना शुरू हो गए हैं. आपको बता दें कि जैसे-जैसे पेड़ की जड़ें अंदर धंसती जाती हैं, वैसे-वैसे पुल कमजोर होता जाता है. अगर जल्द ही इन ब्रिज की मरम्मत पर ध्यान नहीं दिया गया तो कोई अनहोनी फिर हो सकती है.
यहां के कई ब्रिज पर पेड़-पौधे तक उगना शुरू हो गए हैं.
कोलकाता और वाराणसी जैसे हादसों ने तो सिर्फ लोगों को आगाह किया है. ऐसे हादसे तो अभी और होंगे, क्योंकि पुराने ब्रिज की मरम्मत के नाम पर लोगों की जान के साथ खिलवाड़ करना बदस्तूर जारी है. पिछले दो सालों में हुआ ये पांचवां बड़ा हादसा है. सरकार को ये समझना होगा कि हर निर्माण का एक निश्चित जीवन होता है. ऐसे में हर ब्रिज की समय-समय पर जांच करना भी जरूरी है, लेकिन इस अहम बात को अधिकारी अक्सर भूल जाते हैं, जो कोलकाता और वाराणसी जैसे हादसों का सबब बनते हैं.
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