यूपी को 'नया जम्मू कश्मीर' कहने वाले उमर अब्दुल्ला के मुंह से अनायास सच निकल गया
लखीमपुर खीरी में किसानों की मौत के बाद उत्तर प्रदेश को नया जम्मू और कश्मीर मानकर उमर अब्दुल्ला ने आखिरकार ये तो स्वीकार कर ही लिया कि अपने मुख्यमंत्री रहते उन्होंने जम्मू कश्मीर की खूब लंका लगवाई है. और वो भी जान बूझकर.
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उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा और किसानों की मौत ने विपक्ष को एकजुट कर दिया है. पूरा विपक्ष और विपक्षी नेता एकस्वर में भाजपा और उसकी कार्यप्रणाली की कड़े शब्दों में निंदा कर रहे हैं. मामले पर जैसा रुख गैर भाजपा दलों के नेताओं का है छलनी तक सुई को उसके छेद से रू-ब-रू करा रही है. इस बात को सुनकर विचलित होने की कोई आवश्यकता नहीं है. लखीमपुर हिंसा पर तमाम लोगों की तरह जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला का भी रिएक्शन आया है. जल्दबाजी में दिए गए अपने रिएक्शन से उन्होंने एक ऐसा सच बता दिया जिसे हमेशा ही उन्होंने झुठलाया और अपने को 'पाक' दामन बताया है.
उमर के ट्वीट में यूपी की आलोचना नहीं उनकी खुद की नाकामी नजर आ रही है
उपरोक्त बातों को सुनकर विचलित होने की कोई बहुत ज्यादा जरूरत नहीं है. दरअसल उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा के बाद भाजपा के रवैये पर अपना ऐतराज जताने के लिए उमर ने ट्वीट किया और लिखा कि उत्तर प्रदेश नया जम्मू कश्मीर है.
Uttar Pradesh is the “naya J&K”.
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) October 4, 2021
बताते चलें कि लखीमपुर हिंसा में अब तक 4 किसानों समेत कुल 8 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है. मामला तूल न पकड़े इसलिए किसान नेताओं और प्रशासन के बीच वार्ता हुई है. ऐसे में जिस तरह मामले पर राजनीति गर्म है उससे इस बात का पता चलता है कि जैसे जैसे दिन आगे बीतेंगे पूरे विपक्ष द्वारा युद्धस्तर पर लखीमपुर हिंसा को कैश किया जाएगा.
चूंकि उत्तर प्रदेश चुनाव समीप ही हैं इसलिए तमाम विपक्षी दल सरकार को घेरने के उद्देश्य से लखीमपुर जाने को बेताब दिखाई पड़ रहे हैं. मामले के मद्देनजर कोई अनहोनी न हो सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ और उत्तर प्रदेश पुलिस भी खासे मुस्तैद हैं और लखीमपुर आने वाले नेताओं को या तो हिरासत में लिया जा रहा है या फिर उन्हें दल बल के साथ लखीमपुर जाने से रोका जा रहा है.
वहीं योगी सरकार ने विपक्ष पर मामले को तूल देने का आरोप लगाया है. लखीमपुर मामले पर कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह का भी रिएक्शन आया है जिन्होंने कहा है कि चुनाव समीप हैं तो विपक्ष लखीमपुर खीरी का राजनीतिक पर्यटन करना चाहता है. सिंह के अनुसार सरकार इस मसले पर खासी गंभीर है और मामले की जांच ग्राउंड जीरो से हो रही है.
बहरहाल मुद्दा लखीमपुर हिंसा तो है ही लेकिन इससे बड़ा मुद्दा है नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला का मामले के अंतर्गत उत्तर प्रदेश को नया जम्मू कश्मीर बताना. ध्यान रहे कि कश्मीर से धारा 370 और अनुच्छेद 35 ए हटने का सबसे बड़ा नुकसान अलगाववाद की आंच पर राजनीतिक रोटियां सेंकने वाले उमर अब्दुल्ला सरीखे लोगों का हुआ है. कहना गलत नहीं है कि आज इनके लिए नौबत भूखा मरने की आ गई है.
Wrong comparison. J&K has people who love Pakistan and need aazadi. UP will never have Desh drohis…
— Romey (@Wanchoo_Romz) October 4, 2021
जैसा कि हम ऊपर ही इस बात की तरफ इशारा कर चुके हैं कि भाजपा की आलोचना में उमर ने उत्तर प्रदेश को जम्मू कश्मीर बताने का ये ट्वीट जल्दबाजी में किया है तो ये बात यूं ही नहीं है. जैसा ये ट्वीट है साफ है कि उमर ने भाजपा की आलोचना नहीं की है बल्कि अपनी नाकामी बताई है.
@OmarAbdullah sahib "NayaKashmir" Was concept of National Conference wth Naya Kashmir manifesto (1944)So, will you credit your Grand Father for Uttar Pradesh too. ? BTW Yogi is best CM till now n wish him to be next CM too.
— MONIKA ✨✨ (@mm_0774) October 4, 2021
इन बातों के बाद सवाल होगा कैसे? तो जवाब के लिए हमें उस दौर में जाना होगा जब उमर के हाथों में एक राज्य के रूप में जम्मू कश्मीर की कमान थी. यदि उस पीरियड को देखें या फिर गहनता से उसका अवलोकन करें तो तमाम बातें शीशे की तरह खुद ब खुद साफ हो जाती हैं.
चाहे आतंकवाद हो या अलगाववाद या फिर इंडिया गो बैक पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे जम्मू कश्मीर में सब कुछ था. कहना गलत नहीं है कि उमर के शासनकाल में अमन और शांति की बातें जम्मू कश्मीर सरीखे राज्य के लिए दूर के सुहाने ढोल की तरह थीं. राज्य में हर वो गतिविधि हो रही थी जिसका खामियाजा एक मुल्क के रूप में हिंदुस्तान को भुगतना पड़ रहा था.
मतलब आपने यह मान लिया कि वहां पर आतंकियों की मनमानी चलती थी पर चिंता ना करिए वहां आप जैसे आतंकियों के समर्थन कारी थे पर हमारे मुख्यमंत्री ऐसे उपद्रवियों के दमनकारी है, शीघ्र ही दोषियों पर कार्रवाई होगी, आपकी तरह नहीं की लाखों कश्मीरी पंडितों के निकाले जाने पर एक शब्द भी ना बोले।
— Prasoon Chandra (@Prasoon362) October 4, 2021
बात सीधी और स्पष्ट है उमर चाहते तो इन गतिविधियों को तमाम अराजक तत्वों को आसानी से कंट्रोल कर सकते थे लेकिन उन्होंने नहीं किया. उमर जानते थे कि यदि वो ऐसा करते हैं तो इससे उनकी राजनीति प्रभावित होगी और उनका पॉलिटिकल फ्यूचर गर्त के अंधेरों में चला जाएगा.
बहरहाल लखीमपुर में किसानों की मौत के मुद्दे को लेकर भाजपा और सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को घेरने वाले उमर अब्दुल्ला ने1965 में आई फ़िल्म 'वक़्त' का वो डायलॉग शायद सुना हो जिसमें फ़िल्म के लीड एक्टर राज कुमार ने कहा था कि, 'चिनॉय सेठ, जिनके घर शीशे के बने होते हैं वो दूसरों पर पत्थर नहीं फेंकते.'
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