सिर्फ पाक नहीं, पुलवामा अटैक के बाद चीन पर भी सर्जिकल स्ट्राइक जरूरी
पुलवामा हमले के लिए जिम्मेदार जैश आतंकी मसूद अजहर को पाकिस्तान अगर मुल्क के अंदर संरक्षण देता है, तो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चीन उसका बचाव करता है. सरकार को चाहिये की पाकिस्तान जैसा सलूक चीन के साथ भी करे.
-
Total Shares
पुलवामा हमले को लेकर भारत का स्टैंड सीधा और पूरी तरह साफ है - 'जो भी जिम्मेदार होगा, बख्शा नहीं जाएगा.' आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने CRPF के काफिले पर हमले की जिम्मेदारी ली है और इसे आत्मघाती हमला बताया है. इस हमले का भी मास्टरमाइंड वही मसूद अजहर है जिसने उरी अटैक की साजिश रची थी. उरी अटैक के बाद ये सबसे बड़ा आतंकी हमला है.
मसूद अजहर पाकिस्तान में ही रहता है और वहीं से आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देता रहा है. मसूद अजहर की आतंकी गतिविधियों को पाकिस्तान का संरक्षण तो हासिल है ही, चीन का बचाव उसके लिए बड़ा सपोर्ट साबित हो रहा है.
जैसा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुरक्षा बलों की पूरी छूट देने की बात कह कर एक और सर्जिकल स्ट्राइक की ओर इशारा किया है, पुलवामा की घटना के बाद अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान के साथ साथ कूटनीतिक प्रयासों से चीन के चेहरे से भी नकाब उतारना बेहद जरूरी हो गया है.
सुरक्षा बलों को सर्जिकल स्ट्राइक सहित हर एक्शन की पूरी छूट
वंदे भारत एक्सप्रेस के उद्घाटन के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आतंकवादियों ने बहुत बड़ी गलती कर दी है और उनको करारा जवाब मिलेगा. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'आंतकी संगठनों और उनके सरपरस्तों को मैं कहना चाहता हूं कि वे बहुत बड़ी गलती कर चुके हैं और उन्हें इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी. मैं देश को भरोसा देता हूं कि हमले के पीछे जो भी ताकतें हैं, जो भी गुनहगार हैं, उन्हें उनके किये की सजा अवश्य मिलेगी.'
साथ ही, प्रधानमंत्री ने बताया कि सुरक्षा बलों को पूरी छूट दे दी गयी है. यानी सुरक्षा बलों को अब सर्जिकल स्ट्राइक सहित किसी भी एक्शन के लिए सरकार का पूरा सपोर्ट हासिल है.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'हमले की वजह से देश में जितना आक्रोश है. लोगों का खून खौल रहा है. ये मैं भली भांति समझ पा रहा हूं. इस समय जो देश की अपेक्षाएं हैं. कुछ कर गुजरने की भावना है वो भी स्वाभाविक है. हमारे सुरक्षा बलों को पूर्ण स्वतंत्रता दे दी गयी है. हमें अपने सैनिकों के शौर्य पर... उनकी बहादुरी पर पूरा भरोसा है. मुझे पूरा भरोसा है कि देशभक्ति के रंग में रंगे लोग सही जानकारियां भी हमारी एजेंसियों तक पहुंचाएंगे ताकि आतंक को कुचलने में हमारी लड़ाई और तेज हो सके.'
#WATCH PM Narendra Modi pays tribute to CRPF soldiers who lost their lives in #PulwamaTerrorAttack, says, "logon ka khoon khaul raha hai, yeh main samajh raha hun. Humare suraksha balon ko purn swatantra de di gayi hai." pic.twitter.com/kxdCIKe88q
— ANI (@ANI) February 15, 2019
झांसी में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'सुरक्षा बलों को आगे की कार्रवाई के लिए, समय क्या हो, स्थान क्या हो और स्वरूप कैसा हो, यह तय करने के लिए पूरी इजाजत दे दी गई है.'
जम्मू कश्मीर के उरी में आर्मी कैंप पर हमले के 11 दिन बाद 29 सितंबर, 2016 को सेना ने पाकिस्तान में बने आतंकी कैंपों पर सर्जिकल स्ट्राइक किया था. उरी में जैश के ही आतंकियों ने 18 सितंबर, 2016 को हमला किया था जिसमें 17 सैनिक शहीद हो गये थे और दो दर्जन से ज्यादा जख्मी हुए थे.
सरकार को सपोर्ट के भरोसे के साथ राहुल गांधी ने इसे हिंदुस्तान की आत्मा पर हमला बताया और हाथ से इशारा करते हुए कहा कि उन्हें मालूम होना चाहिये कि वो इस देश पर एक इंच भी चोट नहीं पहुंचा सकते. कांग्रेस अध्यक्ष ने प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि हमलावरों का मकसद हमें बांटना है, लेकिन पूरा विपक्ष सुरक्षा बलों और सरकार के साथ खड़ा है. यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने भी कहा है कि वो सीआरपीएफ के काफिले पर बर्बर हमले को लेकर गुस्से में हैं और उम्मीद जतायी ही कि दोषियों को इंसाफ के कठघरे तक लाकर दंडित किया जाएगा. अच्छी बात है कि कांग्रेस नेतृत्व ऐसे मौके पर सरकार के साथ है, वरना तीन साल पहले तो वो सर्जिकल स्ट्राइक के बाद 'खून की दलाली' तक कह डाला था.
चीन का भी नकाब उतारना बेहद जरूरी है
सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी की बैठक के बाद रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमन और अरुण जेटली ने बताया कि मीटिंग में पुलवामा हमले की समीक्षा हुई और दो मिनट का मौन रख कर शहीदों को श्रद्धांजलि दी गयी. बताया गया कि बैठक में हुए सभी फैसलों को बाहर नहीं बताया जा सकता लेकिन सरकार ने पाकिस्तान को दिया हुआ MFN यानी मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा वापस ले लिया है और विदेश मंत्रालय अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान को अलग थलग करने के लिए संभावित कदम उठाएगा.
उरी के बाद जैश आतंकियों का पुलवामा में सीआरपीएफ काफिले पर हमला
संसद हमले के बाद उरी और अब पुलवामा हमले के लिए जिम्मेदार जैश-ए-मोहम्मद का नाम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आतंकी संगठनों की सूची में 2002 से ही शामिल है. संयुक्त राष्ट्र में भारत जैश सरगना मौलाना मसूद अजहर को भी अंतरराष्ट्रीय आतंकियों की सूची में शुमार कराने की कोशिश करता रहा है, लेकिन पाकिस्तान के साथ साथ चीन भी इसमें रोड़े अटका रहा है. भारत के अलावा ब्रिटेन और अमेरिका ने भी मसूद अजहर का नाम आतंकवादियों की सूची में शामिल कर रखा है.
अमेरिका के दबाव में जैश पर पाबंदी लगाने के साथ ही पाकिस्तान में उसे गिरफ्तार भी किया गया था लेकिन बाद में कोर्ट ने उसे रिहा कर दिया. बताते हैं कि फिलहाल मसूद अजहर पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के बहावलपुर में रहता है. भारत सरकार ने भी पाकिस्तान से मसूद अजहर के प्रत्यर्पण की कई बार मांग की है लेकिन सबूतों के अभाव का हवाला देते हुए वो ये मांग ठुकराता रहा है.
पाकिस्तान की ही तरह चीन भी मसूद अजहर के खिलाफ सबूतों की कमी की दलील देता रहा है. देखें तो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मसूद अजहर को बचाने में पाकिस्तान से बड़ी भूमिका तो चीन की लगती है. दिसंबर, 2016 में सरकार ने मसूद अजहर संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद की आतंकी सूची में शामिल कराने की कोशिश की थी, लेकिन ऐन वक्त पर चीन ने कह दिया कि वो प्रस्ताव के खिलाफ वीटो करेगा. चीन का तर्क रहा है कि फैसले को लेकर सीधे तौर से जुड़े भारत और पाकिस्तान के साथ-साथ सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों के बीच आम राय नहीं है. ये हाल तब है जब इस मुद्दे पर भारत को सुरक्षा परिषद के स्थाई सदस्य अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस का समर्थन हासिल है.
पुलवामा के लिए चीन भी पाकिस्तान जितना ही जिम्मेदार
पुलवामा हमले को लेकर भारत अगर पाकिस्तान को अंतर्राषट्रीय मंच पर अलग थलग करने की पहल करने वाला है तो चीन को भी छोड़ने की जरूरत नहीं है. वैसे ध्यान देने वाली बात ये है कि 2018 में भारत ने संयुक्त राष्ट्र में मसूद अजहर का केस नहीं उठाया. समझा जाता है कि मई, 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच वुहान सम्मेलन के बाद भारत कूटनीतिक वजहों से ऐसा किया होगा. अब लगता है कि भारत अपने इस रूख में बदलाव करने वाला है.
पुलवामा की घटना पर चीन ने शहीदों के परिवारवालों के प्रति संवेदना जताते हुए हर प्रकार के आतंकवाद की निंदा और आपसी क्षेत्रीय सहयोग की बात की है. मगर, मसूद अजहर के सवाल पर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा कि सुरक्षा परिषद ने 1267 कमेटी ने आतंकी संगठनों पर अपनी शर्तें साफ कर दी है और जैश-ए-मोहम्मद प्रतिबंध सूची में शामिल है. चीन के प्रवक्ता ने एक तरीके से साफ कर दिया कि मसूद अजहर पर चीन के रवैये में कोई तब्दीली नहीं आने वाली है.
इमरान के मंत्री क्या शांति की पहल कर रहे थे?
पाकिस्तान ने पुलवामा की घटना को लेकर भारत के आरोपों को खारिज कर दिया है. पाकिस्तान ने हमले को गंभीर चिंता का विषय बताया है. एक बयान में पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया है, 'हमने हमेशा घाटी में हिंसक घटनाओं की निंदा की है.' पाकिस्तान का कहना है, 'हम जांच के बगैर इस हमले से पाकिस्तान को जोड़ने की भारत सरकार के किसी भी व्यक्ति या मीडिया की कोशिशों को सिरे से खारिज करते हैं.'
वैसे भी करगिल युद्ध पर परवेज मुशर्रफ और पाकिस्तान में आम चुनावों के दौरान 26/11 के मुंबई हमले में पाकिस्तान का हाथ होने को लेकर नवाज शरीफ के बयान के अलावा पड़ोसी मुल्क ने ये सब मानने को तैयार ही कब हुआ है? पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान भारत की तरह दोस्ती का हाथ बढ़ाते जरूर हैं लेकिन पुलवामा की घटना के बाद तो साफ है कि वो भी उसी रास्ते पर बढ़ रहे हैं जिस पर पुरानी सरकारें चलती रहीं. इमरान खान की सरकार को तो शुरू से ही पाक फौज की कठपुतली माना जाता रहा है, पुलवामा हमले के बाद किसी शक शुबहे की गुंजाइश ही कहां बचती है.
पुलवामा हमले के बाद क्या पाकिस्तानी पीएम इमरान खान अपने विदेश मंत्री और हुर्रियत नेताओं के बीच हुई बातचीत को लेकर कुछ कहना चाहेंगे? दो हफ्ते पहले ही पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष सैयद अली शाह गिलानी को फोन किया था. उसके बाद पाक विदेश मंत्री ने हुर्रियत नेता मीरवाइज उमर फारूक को भी फोन किया था. तब पाक विदेश मंत्रालय की ओर से बताया गया था, ‘विदेश मंत्री कुरैशी ने कश्मीर दिवस के सिलसिले में लंदन में आयोजित होने वाली अंतरराष्ट्रीय गतिविधियों में हिस्सा लेने के लिए रवाना होने से पहले ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के आला नेतृत्व से फोन पर बातचीत की.’
पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय जो भी दावे करे, लेकिन बातचीत के 15 दिन बाद पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर जैश के आतंकियों का हमला खुद ही सबूत दे रहा है. कुछ और कहने की जरूरत ही क्या बची है? पाकिस्तान ही नहीं, खुद को उसके सबसे अच्छे दोस्त से भी बढ़ कर होने का दावा करने वाले चीन को भी मसूद अजहर के खिलाफ और कितने सबूत चाहिये?
इन्हें भी पढ़ें :
CRPF जवानों की सूची खून खौला देने वाली है, और वैसे ही कश्मीरी नेताओं के बयान
उरी से बड़ा Pulwama attack, देश मांगे और बड़ी सर्जिकल स्ट्राइक!
आपकी राय