'भाईजान' ओवैसी के लिए बिहार के सीमांचल दौरे के मायने क्या हैं?
एआईएमआई एम चीफ असदुद्दीन ओवैसी बिहार के सीमांचल के दो दिवसीय दौरे पर पहुंचे हैं, लेकिन भाईजान नाम से मशहूर ओवैसी ने सीमांचल को ही लोकसभा चुनाव 2024 और बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के चुनावी आगाज के लिए क्यों चुना? आइए इस दौरे के मायने समझते हैं.
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बिहार की सियासत में इन दिनों सीमांचल बेहद अहम हो गया है. पिछले कुछ महीनों में तमाम सियासी दलों के बड़े नेताओं ने रैली कर न केवल अपनी ताकत का एहसास कराया, बल्कि जनता के नब्ज को भी टटोलने की कोशिश की. अमित शाह, नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के बाद अब एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी पूर्णिया में पदयात्रा कर अपनी सियासी जमीन तैयार कर रहे हैं . उनके दौरे से एनडीए और महागठबंधन के खेमे में भी हलचल दिख रही है. जानकार भी मानते हैं कि इस इलाके में 'भाईजान' किसी का भी खेल बिगाड़ने की ताकत रखते हैं.
एआईएमआई एम चीफ असदुद्दीन ओवैसी दो दिवसीय सीमांचल दौरे पर पहुंचे लेकिन लेकिन भाईजान नाम से मशहूर असदुद्दीन ओवैसी ने सीमांचल को ही लोकसभा चुनाव 2024 और बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के चुनावी आगाज के लिए क्यों चुना? ओवैसी ने ऐसे समय पर सीमांचल का दौरा किया है जब लोकसभा चुनाव 2024 के लिए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह सीमांचल में रैली कर चुके हैं, महागठबंधन सरकार में शामिल दल भी सीमांचल में महारैली कर अपना शक्ति प्रदर्शन कर चुके हैं.
ये बात सभी को पता है कि सीमांचल मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में शुमार है और बिहार में 'M' फैक्टर काफी मायने रखता है. आरजेडी, कांग्रेस की निगाहें मुख्य रूप से मुस्लिम वोटों पर रहती है और भाजपा भी अब सीमांचल में 'M' वोटों पर डोरे डालने में लगी हुई है और यही कारण है कि अमित शाह द्वारा बिहार में एनडीए के सरकार से हटने के बाद सबसे पहले सीमांचल का दौरा किया गया था और खुद महागठबंधन सरकार में शामिल दलों द्वारा भी सीमांचल में महारैली कर अपना शक्ति प्रदर्शन की जा चुकी है.
जैसा कि सीमांचल मुस्लिम बाहुल इलाकों में शामिल है. 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में एआईएमआई एम के 5 सीटों पर जीत मिली थी. हालांकि, 5 में से 4 एआईएमआई एम विधायक आरजेडी का दामन थाम चुके हैं. बेशक एआईएमआई एम के विधायक आरजेडी में शामिल हुए लेकिन आरजेडी को फायदे के बदले नुकसान हुआ. एआईएमआई एम द्वारा गोपालगंज और कुढ़नी विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में अपने प्रत्याशी खड़े किए गए थे और दोनों ही जगह आर जे डी यानि महागठबंधन के प्रत्याशियों की हार हुई. सियासी जानकारों के मुताबिक, महागठबंधन दलों का खेल अगर किसी ने बिगाड़ा तो सबसे ज्यादा एआईएमआई एम ने.
सीमांचल इलाकों में 70 फीसदी मुस्लिम आबादी है और एआईएमआई एम मुस्लिमों को ही अपना वोट मुख्य रूप से मानती है. सीमांचल में 24 विधानसभा सीटें और 4 लोकसभा सीटें हैं. ऐसे में ओवैसी को अच्छी तरह पता है कि उन्हें क्या करना है. ओवैसी ना सिर्फ महागठबंध का खेल बिगाड़ेंगे बल्कि भाजपा के लिए भी बेचैनी बढ़ाने का काम करेंगे. पहले भी सीमांचल में एआईएमआई एम को लाभ ही मिला था ऐसे में भाईजान यानि ओवैसी अपनी खोई हुई ताकत को फिर से सीमांचल में वापस पाना चाह रहे हैं.
एआईएमआई एम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने अपनी चिर परिचित शैली में भाजपा पर हमला करते हुए पूर्णिया के बायसी में कहा कि मुझे मारना है मार दीजिये पर सीमांचल का विकास होना चाहिए. उन्होंने सवालिया लहजे में पूछा कि अभी तक पुर्णिया का एयरपोर्ट क्यों नही बना है. बताते चले कि भाजपा विधायक हरिभूषण ठाकुर बचोल ने पिछले दिनों कहा था कि औवेशी के वोटिंग राइट को खत्म कर देना चाहिये उसको पाकिस्तान भेज देना चाहिए साथ ही सरकार उसको जेल भेज में बन्द कर दे. बचौल के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए ओवैसी ने कहा कि मुझे मार दो पर सीमांचल का विकास कर दो. 4 विधायकों द्वारा पार्टी का साथ छोड़ने पर ओवैसी ने कहा कि भागे विधायक पर भी औवेशी ने कहा कि जिसका ज़मीर मर गया है उसको जनता सबक सिखाएगी.
सीमांचल दौरे पर पुहंचे ओवैसी कोचाधमन और अमौर में रैली कर रहे हैं. 2024 लोकसभा चुनाव को लेकर लगभग सभी दल तैयारियां शुरू कर चुके हैं. इतना ही नहीं लगभग सभी दलों की निगाहें सीमांचल पर हैं. एक तरफ केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह पहले ही सीमांचल से चुनावी शंखनाद कर चुके हैं तो दूसरी तरफ महागठबंधन दलों के द्वारा भी महारैली कर शक्ति प्रदर्शन किया जा चुका है. अब औवैसी भी सीमांचल पहुंच चेके हैं और उनकी भी नजर सीमांचल के 4 जिलों की 4 लोकसभा और 24 विधानसभा सीटों पर है. ऐसे में ये देखना दिलचश्प होगा कि ओवैसी को सीमांचल के लोगों का कितना समर्थन मिलता है.
एआईएमआई एम चीफ ओवैसी के सीमांचल दौरे के जवाब में भाजपा प्रवक्ता अरविंद सिंह ने कह रहे है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के सीमांचल दौरे के बाद सभी दोनों और गठबंधन में दौर शुरू हो गई है. मुस्लिम वोटो की तुष्टीकरण के लिए असदुद्दीन ओवैसी यामहा गठबंधन के घटक दल लगातार इन इलाकों के दौरे पर हैं लेकिन इन लोगों को कोई राजनीतिक फायदा होने वाला नहीं है.
पूर्णिया से भाजपा विधायक विजय खेमका ने ओवैसी के सीमांचल दौरे पर पलटवार करते हुए कहा कि ऐसे नेता को पाकिस्तान बांग्लादेश भेज देना चाहिए जो सीमांचल में के लोगो के बीच आपसी सौहार्द को बिगाड़ने की कोशिश कर रहा है, पूर्णिया PFI का का गढ़ माना जाता है जिस संस्था को सरकार ने प्रतिबंधित कर दिया है ओवैसी इस मुद्दे पर चुपचाप बैठे हैं . लव जिहाद का केंद्र बना हुआ है सीमांचल .
असदुद्दीन ओवैसी के सीमांचल दौरे पर राजनितिक टिपण्णी करते हुए आरजेडी विधायक मुकेश रौशन ने कहा कौन ओवैसी. वही जो भाजपा के एजेंट हैं. मुकेश रोशन ने कहा ओवैसी कुछ भी करें इस बार सीमांचल की जनता उनके झांसे में आने वाली नहीं है. ओवैसी भाजपा के एजेंडे पर बिहार में काम कर रहे हैं लेकिन अल्पसंख्यक समुदाय उनके एजेंडे को समझ चुकी है.
एआईएमआई एम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के दो दिवसीय सीमांचल दौरे पर जेडीयू ने कहा कि ओवैसी की समाज को बांटने वाली राजनीति अब नहीं चलने वाली. जेडीयू कोटे से बिहार सरकार के मंत्री मदन सहनी ने कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय यह जान चुकी है ओवैसी भाजपा के इशारे पर हर चीज करते हैं, इसलिए ओवैसी कुछ भी करें बिहार में उनका दाल नहीं गलने वाला.
एआईएमआई एम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के सीमांचल दौरे पर कांग्रेस भी तंज कस रही है. कांग्रेस विधायक शकील अहमद खान ने कहा 2024 को देखते हुए भाजपा बहुत मेहनत कर रही है. यही कारण है कि ओवैसी साहब का सीमांचल दौरे पर हैं. भाजपा के कट्टर सोच को बढ़ाने के लिए वह यहां आए हैं, लेकिन सीमांचल की जनता सब कुछ जानती है. 2020 में ओवैसी की पार्टी की जीत पर उन्होंने कहा उस समय कुछ परिस्थितियां ऐसी बनी जिस कारण उनकी जीत हुई थी. लेकिन अब सीमांचल की जनता सच्चाई जान चुकी है.
ज्ञात रहे कि ओवैसी की पार्टी का जनाधार सीमांचल में अच्छा-खासा है. उन्हें अख्तरुल इमान नाम का एक ऐसा नेता सीमांचल में मिला है, जो शिक्षित और पार्टी के प्रति समर्पित भी है. पिछले लोकसभा चुनाव में ओवैसी को तीन लाख वोट मिले थे. जिसका प्रतिशत बेहतर था. वोट प्रतिशत से ओवैसी को उम्मीद जगी. 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में मुस्लिम बाहुल्य सीमांचल में एआईएमआईएम के पांच उम्मीदवार जीते थे लेकिन उनमें से चार विधायकों ने इस साल आरजेडी का दामन थाम लिया था. माना जा रहा है कि विधायकों की तोड़फोड़ से ओवैसी तेजस्वी-लालू से खफा चल रहे थे इसलिए गोपालगंज उपचुनाव में अपना उम्मीदवार उतारकर आरजेडी का खेल बिगाड़ दिया.
2022 की शुरुआत में ओवैसी के चार विधायक आरजेडी में शामिल हो गए थे. माना जा रहा है कि गोपालगंज में उम्मीदवार उतारकर एआईएमआईएम प्रमुख ने आरजेडी से बदला ले लिया. गोपालगंज उपचुनाव में भाजपा उम्मीदवार कुसुम देवी को 70,053 वोट मिले. आरजेडी उम्मीदवार राजेंद्र मोहन गुप्ता के खाते में 68,259 वोट आए. इसका मतलब है कुसुम देवी ने राजेंद्र मोहन गुप्ता को 1,794 मतों से हराया. वहीं, इस सीट पर एआईएमआईएम उम्मीदवार अब्दुल सलाम को 12,214 वोट मिले जबकि बहुजन समाज पार्टी (BSP) से चुनावी मैदान में उतरीं इंदिरा यादव को 8,854 वोट हासिल हुए. नतीजों से साफ पता चलता है कि अब्दुल सलाम को मिले वोट कुसुम देवी के जीत के अंतर से सात गुना ज्यादा हैं. वहीं, इदिंरा यादव को मिले वोट भाजपा प्रत्याशी के जीत के अंतर से करीब पांच गुना ज्यादा हैं. अब देखना हैं कि अगले चुनावों में बिहार में ओवैसी की पतंग से किस- किस की पतंग कटती है.
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