अजय माकन अपना पत्ता फेंक चुके, अब खड़गे खामोश नहीं बैठ सकते
अजय माकन (Ajay Maken) ने राजस्थान (Rajasthan) के प्रदेश प्रभारी पद से 8 नवंबर को ही इस्तीफा दे दिया था. लेकिन, अभी तक इस पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) ने कोई चर्चा ही नहीं की थी. लेकिन, अब माकन की चिट्ठी बाहर आ गई है. और, खड़गे पर फैसला लेना का दबाव बढ़ गया है.
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कांग्रेस महासचिव अजय माकन ने राजस्थान प्रभारी पद से मुक्त किए जाने की इच्छा जताई है. सियासी गलियारों में चर्चा है कि अजय माकन ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को पत्र लिखकर प्रदेश प्रभारी के पद से इस्तीफे की पेशकश की है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अजय माकन ने इस्तीफे जल्द से जल्द राजस्थान के लिए नया प्रभारी खोज लेने की अपील की है. क्योंकि, दिसंबर की शुरुआत में ही भारत जोड़ो यात्रा राजस्थान में प्रवेश करेगी. हालांकि, अभी खड़गे की ओर से इस विषय पर कोई फैसला नहीं लिया गया है. लेकिन, अजय माकन के इस दांव के बाद सवाल खड़ा होना लाजिमी है कि अब मल्लिकार्जुन खड़गे क्या करेंगे?
राजस्थान में पायलट-गहलोत विवाद की वजह से अब तक दो प्रभारी बदले जा चुके हैं.
क्यों गुस्से में हैं अजय माकन?
राजस्थान में कांग्रेस प्रभारी अजय माकन के इस्तीफे की वजह मुख्यमंत्री अशोक गहलोत गुट के करीबी तीन विधायकों पर कांग्रेस की ओर से कार्रवाई न करने को बताया जा रहा है. दरअसल, अशोक गहलोत को कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में पार्टी की ओर से उम्मीदवार बनाया जाना था. जिसके बाद राजस्थान में नए सीएम के नाम पर चर्चा के लिए पर्यवेक्षक के तौर पर अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे को भेजा गया था. लेकिन, गहलोत गुट के विधायक शांति धारीवाल, महेश जोशी और धर्मेंद्र राठौर ने माकन और खड़गे से मुलाकात की जगह बगावत करते हुए अपने घर पर बैठक बुला ली. जिसके बाद कांग्रेस की ओर से गंभीर अनुशासनहीनता के लिए इन तीनों को 'कारण बताओ' नोटिस जारी किया गया था. लेकिन, अब तक इस मामले पर बात आगे नहीं बढ़ी है. उलटा, सीएम अशोक गहलोत ने शांति धारीवाल, महेश जोशी और धर्मेंद्र राठौर को भारत जोड़ो यात्रा के प्रभारी के तौर पर अहम जिम्मेदारी दे दी है. कहा जा रहा है कि अजय माकन इसी वजह से भड़के हुए हैं.
अब खड़गे क्या करेंगे?
अजय माकन की दो टूक के बाद माना जा रहा है कि मल्लिकार्जुन खड़गे जल्द ही इस मामले पर कोई फैसला ले सकते हैं. जो कांग्रेस अध्यक्ष बनने के करीब एक महीने बाद तक भी इस पर चुप्पी साधे हुए थे. दरअसल, इसी महीने कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने आलाकमान से उन नेताओं पर कार्रवाई की अपील की थी. जिन्हें अनुशासनहीनता के लिए नोटिस मिला था. लेकिन, उस दौरान गांधी परिवार की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया था. क्योंकि, मल्लिकार्जुन खड़गे के कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद इस मामले पर निर्णय लेने की सारी जिम्मेदारी उनकी थी. अगर गांधी परिवार इसमें किसी तरह का हस्तक्षेप करता. तो, इससे यही संदेश जाता कि मल्लिकार्जुन खड़गे को केवल रबर स्टांप के तौर पर ही कांग्रेस अध्यक्ष बनाया गया है.
वैसे, अजय माकन को भी सचिन पायलट की तरह ही गांधी परिवार यानी कांग्रेस आलाकमान का करीबी माना जाता है. और, संभावना जताई जा रही है कि गांधी परिवार के इशारे पर ही अजय माकन ने अपना इस्तीफा खड़गे को सौंपा है. ताकि, इस बहाने ही सही कांग्रेस अध्यक्ष बन चुके मल्लिकार्जुन खड़गे थोड़ा एक्टिव नजर आएं. वरना खड़गे के बयानों के अलावा एक कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर उनकी सक्रियता कुछ खास नजर नहीं आ रही है. वैसे भी माना जा रहा था कि खड़गे के पार्टी अध्यक्ष बनते ही राजस्थान को लेकर कोई फैसला होगा. लेकिन, मल्लिकार्जुन खड़गे इस मामले पर पूरी तरह से शांत रहे हैं. लेकिन, अब अजय माकन के इस्तीफे के बाद खड़गे के लिए चुप्पी साधे रहना मुश्किल होगा.
वैसे भी बीते कुछ दिनों में राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत को उनके ही गुट के कुछ विधायक नए जिले बनाए जाने की मांग करते हुए घेरने लगे हैं. कहा जा रहा है कि ये राजस्थान में जल्द हो सकने वाले बदलाव की ओर इशारा कर रहा है. अब भले ही अशोक गहलोत के इन करीबी विधायकों पर भारत जोड़ो यात्रा के राजस्थान से गुजर जाने के बाद फैसला लिया जाए. लेकिन, फैसला लिया जाना तय है. क्योंकि, मल्लिकार्जुन खड़गे पर दबाव बनाने के लिए अजय माकन ने अपने पत्र में खुद को तीसरी पीढ़ी का कांग्रेस कार्यकर्ता बताते हुए खुद को राहुल गांधी का धुर समर्थक बने रहने का आश्वासन भी दिया है.
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