अजित पवार जो कर सकते थे कर दिये - आगे फडणवीस की किस्मत जाने
अजित पवार (Ajit Pawar) के पास जो जमापूंजी थी, 'तेरा तुझको अर्पण...' कहते हुए बीजेपी और देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) को सौंप दी है. अजित पवार बेफिक्र हैं क्योंकि अब तो ये बीजेपी नेतृत्व की जिम्मेदारी है कि वो कैसे उन्हें भ्रष्टाचार मुक्त (Corruption Free) घोषित करते हैं.
-
Total Shares
महाराष्ट्र के डिप्टी CM बने अजित पवार ने अब अपना ट्विटर प्रोफाइल अपडेट कर लिया है. हालांकि, ये बदलाव बहुत मामूली ही है. पहले अजित पवार के ट्विटर बॉयो में पूर्व उप-मुख्यमंत्री और एनसीपी (Deputy CM and NCP leader) नेता लिखा हुआ था और अब उसमें से 'पूर्व' शब्द हटा दिया गया है.
देवेंद्र फडणवीस ने इस्तीफा देने के बाद प्रोफाइल में 'महाराष्ट्र का सेवक' लिखा था लेकिन नये सिरे से शपथग्रहण के बाद महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री कर लिया है. चूंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद को प्रधान सेवक बताते हैं इसलिए देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र का सेवक बता रहे थे.
अजित पवार ने एक साथ बहुत सारे ट्वीट भी किये हैं. सबसे पहले तो अजित पवार ने प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को बधाई के लिए शुक्रिया कहा है. दरअसल, प्रधानमंत्री मोदी और शाह के साथ साथ बीजेपी के कई नेताओं ने देवेंद्र फडनवीस के साथ ही अजित पवार को टैग कर शपथग्रहण पर बधाई दी थी.
खुद को अब भी NCP नेता बताते हुए अजित पवार ने और भी कई ट्वीट किये हैं और ऐसा लगता है जैसे अपने चाचा शरद पवार पर पलटवार कर रहे हों.
अब तुम्हारे हवाले...
महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों से पहले छह महीने से ज्यादा वक्त हो चुका था जब अजित पवार और शरद पवार में कोई बात भी हुई हो. अजित पवार ने एनसीपी की बैठकों में भी आना बंद कर दिया था. पक्का यकीन इस बात का भी हो गया था कि शरद पवार की विरासत तो सुप्रिया सुले को ही मिलनी है, फिर अजित पवार एनसीपी में रह कर भी क्या करते? अभी तो चल भी जाता आगे चल कर जब सब कुछ सुप्रिया के हाथ में होता फिर क्या होता?
अजित पवार थे तो बहुत बड़ी मुश्किल में. ED के FIR के खिलाफ मोर्चा खोल कर शरद पवार तो राजनीतिक विजय हासिल कर चुके थे, लेकिन अजित पवार को कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए अकेला छोड़ दिया गया था. शरद पवार ने तो जैसे ही पूछताछ के लिए ED दफ्तर जाने की घोषणा की NCP कार्यकर्ता सड़क पर उतर आये, लेकिन अजित पवार के बचाव में कहीं कोई आवाज तक न निकली.
चुनाव नतीजे आने के बाद अजित पवार की किस्मत से एक ही बात अच्छी हुई. अजित पवार को एनसीपी विधायक दल का नेता चुन लिया गया. विधायक दल का नेता चुने जाने को लेकर जो पत्र तैयार हुआ उस पर सभी विधायकों ने परंपरा के मुताबिक दस्तखत भी कर दिये. बस इतना ही काफी था.
अजित पवार के पास कुल जमा सरमाया वो विधायकों का दस्तखत किया हुआ पत्र ही था - और उसी को ध्यान में रख कर वो आगे की रणनीति पर काम करने लगे.
अंग्रेजी अखबार मुंबई मिरर ने पूरे घटनाक्रम पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की है जिसमें RSS की भी थोड़ी बहुत भूमिका नजर आती है. रिपोर्ट के मुताबिक सरकार बनाने को लेकर देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार में पहली बार 10 नवंबर को बातचीत हुई थी और उसके बाद तो ये सिलसिला ही चल पड़ा. कई बार तो ऐसा भी हुई कि एक ही दिन में कई बार दोनों के बीच रणनीतियों को लेकर चर्चा हुई. फिर इस बारे में भरोसे में लेते हुए दो एनसीपी नेताओं धनंजय मुंडे और सुनील तटकरे को राजदार बनाया गया. दोनों के इस रणनीति में साझीदार बनने की अपनी अपनी खासियत थी. धनंजय मुंडे पर देवेंद्र फणडवीस को भरोसा था - और अजित पवार को सुनील तटकरे पर. ध्यान देने वाली बात है कि राजभवन जाने से पहले अजित पवार और देवेंद्र फडणवीस विधायकों के साथ धनंजय मुंडे के घर से ही राजभवन रवाना हुए थे.
अब तो न अजित पवार बीजेपी को छोड़ेंगे, न शरद पवार शिवसेना को...
रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि फडणवीस से बातचीत शुरू होने के हफ्ते भर बाद अजित पवार ने एनसीपी की एक मीटिंग में अपने इरादों के संकेत देने भी दिये लेकिन उसे खारिज कर दिया गया. पुणे में शरद पवार के घर 17 नवंबर को हुई पार्टी की बैठक में अजित ने कहा था कि एनसीपी को शिवसेना और कांग्रेस के साथ गठबंधन करने के बजाय अगली सरकार बनाने में बीजेपी की मदद करनी चाहिये - बातचीत चूंकि शिवसेना और कांग्रेस के साथ काफी आगे बढ़ चुकी थी इसलिए अजित पवार का प्रस्ताव पूरी तरह खारिज हो गया.
जब अजित पवार को लगा कि ऐसे कोई बात नहीं बनने वाली तो जो उनके पास थाती थी देवेंद्र फडणवीस को सौंप दी - और फिर वही विधायकों के हस्ताक्षर वाला पत्र बीजेपी के मुख्यमंत्री और हिस्सेदारी में अजित पवार के डिप्टी सीएम बनने का मुख्य आधार बना.
अजित पवार ने मोदी और शाह को शुक्रिया कहा है. साथ ही देवेंद्र फडणवीस सहित बीजेपी के सभी नेताओं को बधाई के लिए धन्यवाद कहा है. अजित पवार को अंग्रेजी, हिंदी और मराठी में जैसे भी बधाई मिली है उसी भाषा में शुक्रिया भी कहा है.
Thank you Hon. Prime Minister @narendramodi ji. We will ensure a stable Government that will work hard for the welfare of the people of Maharashtra. https://t.co/3tT2fQKgPi
— Ajit Pawar (@AjitPawarSpeaks) November 24, 2019
माननीय गृहमंत्री @AmitShah जी, आप की शुभ कामनाओं के लिए धन्यवाद| https://t.co/rEHgg1kHPX
— Ajit Pawar (@AjitPawarSpeaks) November 24, 2019
अब क्या लौटना?
वैसे भी एनसीपी में अजित पवार के हिस्से तो कुछ आ नहीं रहा था. शरद पवार की वारिस तो सुप्रिया सुले बनने वाली हैं - लिहाजा लौटने में उनकी दिलचस्पी क्यों हो.
हाल फिलहाल बीजेपी के साथ हाथ मिलाने में एक और फैक्टर रहा - महागठबंधन की बातचीत में एनसीपी के हिस्से डिप्टी सीएम की पोस्ट की डिमांड तो थी, लेकिन शरद पवार ने न तो कभी खुल कर कहा और न ही कोई संकेत ही दिया कि ये कुर्सी अजित पवार को ही मिल रही है. अजित पवार को तो ये भी लगने लगा था कि शरद पवार किसी और को भी डिप्टी सीएम बना सकते हैं. हालांकि, चुनाव नतीजों के बाद अजित पवार को ही विधायक दल का नेता चुना गया था. अब बदल कर जयंत पाटील को जरूर नेता बना दिया गया है.
अजित पवार के सामने भी विकल्प बहुत नहीं थे, ऐसे में ये फैसला लेना है कि सबसे ज्यादा फायदे का सौदा क्या है - अजित पवार के सामने एक विकल्प बीजेपी ज्वाइन करने का भी है, लेकिन अभी ऐसा कोई संकेत नहीं दिया है.
बल्कि ट्विटर के जरिये तो अलग ही राजनीति आगे बढ़ा रहे हैं - प्रोफाइल में डिप्टी सीएम तो जोड़ दिया है, लेकिन अब भी खुद को एनसीपी नेता ही बता रहे हैं. ऐसे कई ट्वीट भी आये हैं जिसमें अजित पवार एनसीपी की राजनीति में उलझाते हुए शरद पवार को ही अपना नेता बता रहे हैं.
I am in the NCP and shall always be in the NCP and @PawarSpeaks Saheb is our leader.
Our BJP-NCP alliance shall provide a stable Government in Maharashtra for the next five years which will work sincerely for the welfare of the State and its people.
— Ajit Pawar (@AjitPawarSpeaks) November 24, 2019
There is absolutely no need to worry, all is well. However a little patience is required. Thank you very much for all your support.
— Ajit Pawar (@AjitPawarSpeaks) November 24, 2019
अजित पवार के ट्वीट पर एनसीपी प्रवक्ता ने सवाल उठाते हुए कहा है कि मालूम नहीं ये पोस्ट वो खुद कर रहे हैं या फिर कोई फर्म. एक ताजा ट्वीट में शरद पवार ने साफ किया है कि बीजेपी के साथ गठबंधन का सवाल ही पैदा नहीं होता - NCP ने सर्व सम्मति से तय किया है कि वो शिवसेना और कांग्रेस के साथ ही महागठबंधन की सरकार बनाएगी.
There is no question of forming an alliance with @BJP4Maharashtra.NCP has unanimously decided to ally with @ShivSena & @INCMaharashtra to form the government. Shri Ajit Pawar’s statement is false and misleading in order to create confusion and false perception among the people.
— Sharad Pawar (@PawarSpeaks) November 24, 2019
देखा जाये तो अजित पवार ने अपनी तरफ से जो कुछ भी उनके पास था उसे बीजेपी के हवाले कर दिया है. अब न तो अजित पवार को ED की फिक्र है, न किसी और घोटाले में भ्रष्टाचार के आरोपों की. अब तो ये बीजेपी और देवेंद्र फडणवीस की टेंशन है कि वो कैसे अजित पवार को यू-टर्न लेते हुए भ्रष्टाचार मुक्त घोषित करते हैं. अब पुरानी बातों का कोई मतलब नहीं जब अजित पवार को देवेंद्र फडणवीस जेल भिजवाने की बातें किया करते थे.
अब तो अजित पवार को इस बात की भी फिक्र करने की जरूरत नहीं कि देवेंद्र फडणवीस सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद क्या फैसला लेते हैं. या फिर किस तरीके से बहुमत साबित करने की कोशिश करते हैं. या फिर येदियुरप्पा की मदद से महाराष्ट्र में ऑपरेशन लोटस चलाते हैं.
इन्हें भी पढ़ें :
महाराष्ट्र की राजनीति में भी BJP 'कर्नाटक' मोड़ तक पहुंच चुकी है!
आपकी राय