अखिलेश यादव का दक्षिण की ओर कूच, केंद्रीय राजनीति में पहला कदम
रैली में शामिल होने के लिए अखिलेश ने मंगलवार को ही अपने विशेष विमान से हैदराबाद के लिए रवाना हो चुके थे. बुधवार को अखिलेश यादव बेगमपेट से हेलिकॉप्टर के जरिए भावनगरी जिले के यादरी टेंपल पहुंचे थे. इसके बाद तेलंगाना में मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की रैली में शामिल होंगे.
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उत्तर प्रदेश की मैनपुरी लोकसभा सीट पर जीत हासिल करने के बाद से समाजवादी पार्टी के हौसले बुलंद हैं. दिल्ली में हुई कल बीजेपी राष्ट्रीय कार्यकारणी की बैठक के बाद से सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारियों को लेकर मंथन शुरु कर दिया हैं. वे इस राजनीति की शुरुआत आज यानि बुधवार को तेलंगाना में मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव KCRकी रैली में शामिल होकर करेंगे.
रैली में शामिल होने के लिए अखिलेश ने मंगलवार को ही अपने विशेष विमान से हैदराबाद के लिए रवाना हो चुके हैं. और आज बुधवार को अखिलेश यादव बेगमपेट से हेलिकॉप्टर के जरिए भावनगरी जिले के यादरी टेंपल पहुंच कर करीब एक घंटे रुकेंगे और फिर खम्माम के लिए प्रस्थान करेंगे.
केंद्रीय राजनीति के लिए अखिलेश की पहली सार्वजनिक रैली
आपको बताते चलें कि अखिलेश यादव खम्माम में मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव के साथ मिलकर तेलंगाना सरकार के कांति वेलुगु आई स्क्रीनिंग लांचिंग कार्यक्रम में भागीदारी करेंगे. उसके बाद अखिलेश यादव यहीं पर आयोजित एक जनसभा को संबोधित कर सामाजवादी पार्टी का केंद्रीय राजनीति में प्रथम प्रवेश का आगाज करेंगे. बताते चलें कि सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद सपा को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने की जिम्मेदारी अब अखिलेश यादव के कंधों पर हैं. अखिलेश यादव के इस कदम को लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारियों को लेकर बीजेपी के खिलाफ देखा जा रहा हैं.
ममता बनर्जी और नीतीश कुमार के साथ अखिलेश
सपा प्रमुख अखिलेश यादव के बारे में कहा जाता हैं कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के काफी करीब हैं. वही दूसरी तरफ बिहार में भी बीजेपी विरोधी राजद और जेडीयू की संयुक्त सरकार हैं. इसको लेकर कभी-कभी दोनों पार्टियों के नेताओं की सपा प्रमुख अखिलेश यादव के साथ मुलाकात होती रहती हैं.
अगर बात करें दक्षिण भारत की तो तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव, जोकि बीजेपी के खिलाफ लगातार विपक्षी दलों को एकजुट करने का प्रयास करते रहते हैं. KCR साथ अखिलेश यादव का इस तरह से जुड़ना इस बात का सीधा संकेत हैं कि आगामी लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी विरोधी के रुप में देखा जा रहा हैं.
इसके अलावा कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के निमंत्रण पर अखिलेश ने शुभकामनाएं तो दीं, मगर यात्रा से दूरी रखी. आपको बतातें चलें कि साल 2017 में उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव के लिए अखिलेश यादव और राहुल गांधी ने गठबंधन करने बीजेपी को हराने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाया था.
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