अविवाहित योगी पर अखिलेश का शेर मजाक है या गंभीर कमेंट !
अखिलेश यादव ने अविवाहित योगी आदित्यनाथ पर इशारों-इशारों में तंज करते हुए एक शायरी ट्वीट की. उन्होंने लिखा- 'मोहब्बत खींच ही लाती है अपने आशियाने में, मगर वो क्या जाने जो हैं अकेले इस ज़माने में'.
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मंगलवार यानी 16 जनवरी को इजराइल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू और उनकी पत्नी सारा ताजमहल का दीदार करने गए. योगी आदित्यनाथ भी उनके साथ ताजमहल के बाहर तक गए, लेकिन अंदर नहीं गए. जहां एक ओर बेंजामिन नेतन्याहू और उनकी पत्नी ताजमहल देखने का लुत्फ उठा रहे थे, वहीं दूसरी ओर यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव मस्ती के मूड में दिखे. अखिलेश यादव ने अविवाहित योगी आदित्यनाथ पर इशारों-इशारों में तंज करते हुए एक शायरी ट्वीट की. उन्होंने लिखा- 'मोहब्बत खींच ही लाती है अपने आशियाने में, मगर वो क्या जाने जो हैं अकेले इस ज़माने में'. अपने इस ट्वीट के साथ अखिलेश यादव ने नेतन्याहू और उनकी पत्नी की तस्वीर वाला एएनआई का एक ट्वीट भी शेयर किया. योगी आदित्यनाथ के ताजमहल के अंदर न जाने पर अखिलेश यादव ने ये शायरी ट्वीट की है.
ताजमहल के विरोधी हैं योगी आदित्यनाथ?
अखिलेश यादव की यह शायरी योगी आदित्यनाथ पर निशाना इसलिए है क्योंकि वह और उनकी सरकार ताजमहल के लिए अपना विरोध जता चुकी है. खुद योगी ने कहा था कि ताजमहल भारतीय संस्कृति का प्रतीक नहीं है. बात यहीं नहीं रुकी, जब यूपी सरकार ने पर्यटन स्थलों की बुकलेट जारी की तो उसमें भी दुनिया के सात अजूबों में शुमार ताजमहल को जगह नहीं दी गई. हां, गोरखधाम मंदिर जरूर उसमें अपनी जगह बनाने में कामयाब हो गया. इसे लेकर योगी सरकार की खूब निंदा भी हुई और आखिरकार डैमेज कंट्रोल करने के लिए खुद योगी ने ताजमहल का दौरा किया और पर्यटन स्थलों में ताजमहल को जगह दी. यूपी टूरिज्म की वेबसाइट पर भी ताजमहल को जगह तो मिली है, लेकिन यह साफ दिखता है कि जो ताजमहल सात अजूबों में शुमार है, उसे कुछ खास महत्व नहीं दिया गया है. जबकि दुनिया में लोकप्रियता के मामले में देखा जाए तो उत्तर प्रदेश में सबसे लोकप्रिय ताजमहल ही है.
प्रेम का प्रतीक ताज हो गया 'खामोश'
योगी आदित्यनाथ ने 19 मार्च 2017 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. यूपी में योगी राज शुरू होने के करीब 5 महीने बाद ही प्रेम का प्रतीक ताजमहल खामोश हो गया. दरअसल, दुनिया के सात अजूबों में शामिल और यूपी के बेहद लोकप्रिय पर्यटन स्थल ताजमहल के ट्विटर हैंडल से 7 अगस्त 2017 के बाद ना तो कोई ट्वीट किया गया है ना ही किसी के ट्वीट को रीट्वीट किया गया है. अगर 19 मार्च से 7 अगस्त तक के आंकड़ों पर नजर डालें तो इस दौरान सिर्फ 3 ट्वीट किए गए, बाकी कुछ रीट्वीट किए गए. जबकि ताजमहल के ट्विटर हैंडल पर उसके 1.68 लाख फॉलोअर हैं. इन सबसे यह साफ होता है कि योगी सरकार ताजमहल का विरोध कर रही है.
ताज का दीदार क्यों करने आते हैं विदेशी मेहमान?
सवाल ये है कि आखिर जिसे योगी सरकार भारत की संस्कृति का प्रतीक भी नहीं मानती है, उसमें ऐसा क्या खास है कि विदेशी मेहमानों को वहां घुमाने जरूर ले जाया जाता है. इसका जवाब है ताजमहल की लोकप्रियता. ताजमहल का सात अजूबों में शामिल होना ही यह बताने के लिए काफी है कि कोई भी विदेशी मेहमान वहां जरूर घूमना चाहेगा. भले ही प्रिंस विलियम और केट हों या फिर फेसबुक के फाउंडर मार्क जुकरबर्ग, सभी ने ताज के दीदार किया है. रूस, ब्राजील, पोलैंड, स्लोवाकिया, रोमानिया, चिली, चीन, इटली, आइसलैंड, फ्रांस, पाकिस्तान और अब इजराइल के राष्ट्राध्यक्ष भी ताज का दीदार कर चुके हैं.
और चल पड़ा शेर-ओ-शायरी का दौर...
अखिलेश यादव ने योगी आदित्यनाथ को लेकर जो तंज किया, उस पर लोगों ने जो प्रतिक्रियाएं दीं वह भी काफी दिलचस्प हैं. कुछ लोगों ने योगी आदित्यनाथ का पक्ष लिया तो कुछ ने अखिलेश यादव का. जिस तरह अखिलेश यादव ने शायरी के साथ योगी पर तंज किया, उसका जवाब भी लोगों ने शायरी के अंदाज में ही दिया. एक के बाद एक कई लोगों ने शायरी करते हुए अपनी बात कही. देखिए उनमें से कुछ खास प्रतिक्रियाएं.
इतिहास गवाह है साधु संत कभी समाजिक नहीं हुआ करते साधु-संतों की सही जगह जंगलों में है और जिस साधु को सत्ता का लोभ हैं वह साधु नहीं है साधु के वेश में बहरूपिया है
— नाना पाटेकर (@DesiStupides) January 16, 2018
@yadavakhilesh जो अकेले हैं वो साहब भी आए थे ताज "झाड़ू लगाने"
— Sufi Sameer (@SufiSameer2) January 17, 2018
नाक टेढ़ी काम भी टेढ़ा, ऐसी बाते तो कोई सर्कस का जोकर ही कर सकता है, कोई पूर्व गद्दार मुख्य मंत्री नहीं, आप जैसो नमूनों को पिछले विधानसभा चुनाव में धूल चटा के वास्तव में U.P. की जनता ने समझदारी का परिचय दिया है, अब आगे भी शेरो शायरी ही करनी है, पढ़ते रहो कलमा ???? pic.twitter.com/fjSzUyVFNN
— `कीर्ति, (@politicalkirti_) January 17, 2018
मिर्जा गालिब की उपाधि न मिलेगीपर मिर्च लगा कर गालि ज़रूर मिलेगी????????
— हिन्दू मयंक (@omnamahshiwae) January 17, 2018
बडा मज़ा आता है जनता का पैसा परिवार पर लुटाने में,पर ओ क्या जाने जो घर परिवार छोड़कर निकल पड़े है देश बनाने में .
— किम जांग मिश्रा (@KimJongMishra) January 17, 2018
"जीसे मोहब्बत हो सारे जमाने से, वो नही भरते सिर्फ अपने घर को खजाने से! जो खुशी मिलती हैं गरीब की झोपड़ी में दीया जलाने से, वो कंहा मीलेगी लाखो के खुन से सने महल को बनाने से!"
— manu kumar (@gargmanu9) January 17, 2018
तेरी चुप्पी अगर तेरी कोई मज़बूरी है;तो रहने दे इश्क़ कौन सा ज़रूरी है.Jai akhilesh
— Shikha Singh (@ShikhaSinger) January 16, 2018
@yadavakhilesh बहुत मन्न्त से लाये होंगे आदरणीय मुलायम जी आपको इस जमाने मे मगरवो क्या जानते थे बुढापे में छोर देंगे आप अकेले इस जमाने में (लव यू रहेगा ) #दर्द_पिता_का ???????? pic.twitter.com/KpNh4H9GMi
— प्रमोद पाण्डेय ???????? (@Pramodloveyou1) January 17, 2018
शाहजंहा अकेला रह गया था तभी वो मुमताज की याद में ताजमहल बनबाया था सर जी..????????https://t.co/W5aTRnSIbC
— Kamina__Chhora (@kamina__chhora) January 16, 2018
अर्ज किया है. ????की लानत कीजिये ऐसे आशियाने पर..कटाने पड़े हाथ मजदूरों को, जिसे बनाने पर. https://t.co/chuAwGrw3E
— कृष्णा..जी ???????? (@SanjayKumar_IND) January 16, 2018
125 करोड़ हिंदुस्तानियों का मेला हैकौन कहता है मोदी अकेला है?सबकुछ त्यागकर भी दुनिया मे संत तो "महाराज" हैवो क्या समझेगा ये सब तू तो भोग विलास स्वार्थ कलह का सरताज है
— Sandip (@SandipRnc) January 16, 2018
वो क्या जाने ताज महल का महत्व जो पत्नी छोड़ चुके हैं pic.twitter.com/2jjeG92TqR
— MOHD EBAD (@ebad_mohd) January 16, 2018
अखिलेश जी कवि दीपक शर्मा जी की कुछ पंक्तियां याद आती है.आपके लिए."मोहब्बत नही ताजमहल हवस की निशानी है.ज़िना को इश्क़ कहने की शाही आदत पुरानी है..सियासत अय्याश को पैगम्बर बनाने पे तुली है.मुमताज़ तब तक है मुमताज़ जब तक जवानी है..#काव्यसरिता#लोकतंत्र_के_शूरवीर @BJP4India
— Hawk Eye (बाज़ दृष्टि)???? (@aryaavrat_1) January 17, 2018
भले ही अखिलेश यादव का ट्वीट सीधे योगी आदित्यनाथ पर निशाना था, लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि योगी सरकार ताजमहल पर पर्याप्त ध्यान नहीं दे रही है. पहले उत्तर प्रदेश की पर्यटन बुक से ताज का गायब होना और फिर यूपी टूरिज्म की वेबसाइट पर भी ताजमहल को कोई खास महत्व न मिलना कई सवाल खड़े करता है. ताजमहल के ट्विटर हैंडल को देखकर भी यह साफ होता है कि योगी सरकार ताज को लेकर कितना उदासीन रवैया अपना रही है. कमेंट बॉक्स में जरूर बताइए कि आपकी राय में ताजमहल पर योगी सरकार अधिक ध्यान दे रही है या फिर अखिलेश राज में इस ओर अधिक ध्यान दिया जाता था?
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