अब मोदी जी बलोच भाषा में करेंगे मन की बात ?
बलूचिस्तान का मतलब है बलोचों की भूमि. बलूचिस्तान अपनी संस्कृति और सभ्यता को लेकर पाकिस्तान में अलग पहचान रखता है.
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पहले स्वतंत्रता दिवस के दिन लाल किले की प्राचीर से बलूचिस्तान को लेकर प्रधानमंत्री मोदी का बोलना बलोच लोगों में एक उम्मीद जगा ही चुका था. बलोच लोगों के लिए मोदीजी कितनी हमदर्दी रखते है, इस बात का पता इसी से चलता है कि केन्द्र सरकार बलोच भाषा में ऑल इंडिया रेडियो पर कार्यक्रम शुरू करने जा रही है.
बलूच भाषा में बुलेटिन पेश करेगा ऑल इंडिया रेडियो |
बलूचिस्तान भले ही पाकिस्तान का स्वायत्त प्रांत है. लेकिन स्वतंत्रता दिवस पर बलूच निवासियों पर भारत के प्रधानमंत्री का जो अपनापन था, उसे कोई गैर वाजिब नहीं कह सकता. अब तो कत्तई ही नहीं क्योंकि केन्द्र सरकार ने ऑल इंडिया रेडियो पर बलोच भाषा में कार्यक्रम करने की जो पहल की है, उसका लक्ष्य यही है कि बलोच के लोगों तक इसके द्वारा भारत की बातें पहुंच सकें. जिसके बाद भारत और बलूचिस्तान के बीच का संबन्ध और भी मजबूत बने.
बलूचिस्तान के सबसे बड़े नेता अकबर बुगती के पोते ब्रह्मदाग बुगती ने मोदी को बलूच लोगों के साथ हो रहे अत्याचार के मुद्दे को उठाने के लिए तहे दिल से शुक्रिया अदा करना एक नये रास्ते का शुभारम्भ करती दिखाई दे रही है. बता दें कि भारत सरकार ने हाल ही दिनों में बलूचिस्तान के शरणार्थियों को मदद देने के लिए 2000 करोड़ रुपये की राशि मंजूर भी किया था. जिनमें से प्रत्येक परिवार को 5.5 लाख रुपये मिलने हैं. इससे ये साबित होता है कि भारत बलोच लोगों के हित के लिए काम कर रहा है.
इस वाकये से एक नई उम्मीद और भी हो लगाई जा सकती है, कि हो ना हो अगली बार से प्रधानमंत्री मोदी बलोच भाषा में भी मन की बात करें.इसका बड़ा प्रभाव होता दिखाई दे रहा है क्योंकि एक समय था जब पाकिस्तान भारत के परिप्रेक्ष्य में उसके अभिन्न अंग कश्मीर पर निशाना साधते हुए दिखाई दे रहा था. लेकिन आज भारत ये पूरी खुद्दारी के साथ कह सकता है कि जहां एक तरफ जम्मू और कश्मीर के लोगों को लेकर तमाम व्यवधानों के बावजूद सौहार्द का एक नया रूप देने की कोशिश की जा रही है, वहीं पाकिस्तान के लिए ये सबक है कि केवल चंद दहशतगर्दों को पाल लेने भर से इंसानियत का वजूद मिटाने की कोशिश उसकी बचकानी हरकत ही है.
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