राजस्थान से सटा पाकिस्तान चीन के हाथोंं गिरवी !
युद्ध की गीदड़भभकी दे रहा पाकिस्तान किसे मूर्ख बना रहा है? जिस बार्डर पर पाकिस्तान अपनी सेना रखे हुए है उस बार्डर को तो पाकिस्तान कब का चीन के हाथों गिरवी रख चुका है. भारत-पाक युद्ध से चीन को बड़ा नुकसान होगा, इसलिए वो ये युद्ध होने ही नहीं देगा.
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पाकिस्तान कभी परमाणु बम की बात करता है तो कभी आखिरी सांस तक लड़ने की धमकी देता है मगर हकीकत तो ये है कि भारत के खिलाफ बंदूक भी उठाने से पहले उसे अपने मालिक चीन से पूछना पड़ेगा. चीन पाकिस्तान को युद्ध के पागलपन की इजाजत कभी नहीं दे सकता है, क्योंकि भारत से लगती पाकिस्तान सीमा पर चीन ने तीस हजार करोड़ से ज्यादा इनवेस्टमेंट कर रखा है. चीन ने अपनी कंपनियों को पनपाने और बचाने के लिए पाकिस्तान के अंदर अपना खुद का इलाका बना लिया है, जहां पाकिस्तानी भी बिना पूछे नहीं जा सकते हैं.
युद्ध की गीदड़भभकी दे रहा पाकिस्तान किसे मूर्ख बना रहा है? जिस बार्डर पर पाकिस्तान अपनी सेना रखे हुए है उस बार्डर को तो पाकिस्तान कब का चीन के हाथों गिरवी रख चुका है. अगर युद्ध हुआ तो केवल कश्मीर तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि गुजरात और राजस्थान की सीमा पर भी होगा. चीन ये बात जानता है. इसीलिए पाकिस्तान को कभी युद्ध की इजाजत वो नहीं दे सकता है और चीन की इजाजत के बिना पाकिस्तान युद्ध करने की हिम्मत नहीं कर सकता है. राजस्थान से लगती 1025 किमी. की सीमा पर चीन की तीस से ज्यादा कंपनियां तेल और गैस की खोज के अलावा कंस्ट्रक्शन के कामों में लगी हैं. भारत से लगती पाकिस्तान की सीमा पर चीन की बड़ी कंपनियों का कब्जा है. इन कंपनियों में चीन की बड़ी सरकारी चाइना नेशनल इंजीनियरिंग कंपनी, चाइना जी.एस. भी शामिल हैं. चीन थार के रेगिस्तान में अपना सबसे बड़ा तेल और गैस का प्रोजेक्ट चला रहा है. यहां तक कि चाइना पाकिस्तान इकोनॉमिक कोरिडोर का एक हिस्सा बॉर्डर के इलाके गिलगित-बाल्टिस्तान से ही गुजरता है, जिस पर चीन करीब 100 बिलियन डॉलर खर्च कर रहा है. अब ऐसे में चीन अपने सोने का अंडा देने वाली मुर्गी को भला कैसे मार सकता है? पाकिस्तान को अपने हजारों करोड़ डॉलर स्वाहा करने की इजाजत कैसे दे सकता है?
भारत-पाक युद्ध से चीन को बड़ा नुकसान होगा, इसलिए वो ये युद्ध कभी होने ही नहीं देगा.
जैसलमेर के तनोट लोंगेवाला क्षेत्र से लगती अंतर्राष्ट्रीय सीमा के सामने सीमा पार भारतीय सीमा से महज 7-8 किलोमीटर अंदर पाकिस्तान के घोटकी और रहमियार खान जिले में चीन को जबरदस्त तेल के भंडार मिले हैं, जहां चाइनीज कंपनी की मदद से भारी मात्रा में तेल का उत्पादन किया जा रहा है. इस क्षेत्र में 2500 चाइनीज विशेषज्ञ तेल के उत्पादन में लगे हुए हैं. इस संबंध में उच्चाधिकारिक सूत्रों ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि जैसलमेर के लोंगेवाला क्षेत्र से लगती अंतर्राष्ट्रीय सीमा के सामने सीमा पार पाकिस्तानी क्षेत्र में पाकिस्तानी आयॅल कंपनी चाइनीज तेल कंपनी की मदद से सीमा से 8-10 किलोमीटर दूर तेल के जबरदस्त भंडारों को खोजकर उत्पादन कर रहा है. इन इलाकों में चाइनीज गतिविधियां साफ नजर आती हैं.
इसके अलावा सीमा के निकट पाकिस्तानी में मेघानभीट, चैकी, शॉन तौरुजी भीट, खिप्रो, मेथी, इस्लामकोट मीर, सांगद, थारपारकर, बदीन, शाहगढ़ बुर्ज, नाचना क्षेत्रों में चीनी कंपनियां जबरदस्त तेल और गैस का उत्पादन कर रही हैं. इन इलाकों में 30 कंपनियां थार के रेगिस्तान में गैस खोजने में लगी हैं. इन इलाकों में 40 से 50 ताल और गैस के कुएं चाइना की मदद से चल रहे हैं. खोज कार्यों में लगी रिंग्स की ऐविशिएन लाइटें काफी दूर से सीमा पर नजर आती हैं. इस क्षेत्र में करीब 850 से ज्यादा विशेषज्ञ व अन्य कार्मिक लगे हुए हैं. सूत्रों ने बताया कि पाकिस्तान सीमा से लगती घोटारू क्षेत्र में 2005-06 से तेल-गैस खोज कार्य शुरू किया गया था, लेकिन जनवरी 2017 में यहां नया तेल-गैस खोज कार्य किया गया था. जनवरी 2017 में यहां नए तेल गैस भंडरों की डिस्कवरी हुई है, उसके बाद में बड़े पैमाने पर यहां तेल उत्पादन शुरू किया गया है.
बाड़मेर से लगती पाकिस्तानी सीमा पर मुनाबाव के सामने घूंघर, जवाहर शाह, शामगढ़, बिलाली घाट और हारू में 2-3 किमी. की दूरी पर सीमा पार चीनी तेल और गैस कंपनियों में काम करते दिख जाते हैं. गुजरात के क्रिक से लगती सीमा पर सुई गैस फील्ड में भी बड़ी संख्या में चाइनीज कंपनियां भारी मात्रा में गैस का उत्पादन कर रही हैं. सीमा पर चीनी कंपनियों पर अध्ययन करने वाले सेना के अधिकारी बताते हैं कि चीन कभी भी पाकिस्तान को अपने व्यपार को बर्बाद होने की कीमत पर युद्ध की इजाजत नहीं देगा.
चीन इस इलाके में इस कदर अपना कब्जा जमा चुका है कि यहां के स्कूलों में चीन की मंदारिन पढ़ाई जाने लगी है, ताकि चीन को आसानी से मजदूर मिल सकें. चीन पाकिस्तानियों पर अपनी कंपनियों को लेकर भरोसा नहीं करता है. अपनी कंपनियों की सुरक्षा भी पाकिस्तानी सेना को नहीं देता है, बल्कि चाइनीज रिपब्लिकन आर्मी के सैनिक ही इन कंपनियों की सुरक्षा के लिए आए हुए हैं.
चीन अपनी कंपनियों की सुरक्षा भी पाकिस्तानी सेना को नहीं देता है.पाकिस्तानी सीमा के निकट तेल गैस खोज के लिए चीन ने जैसलमेर के घोटारू क्षेत्र के सामने सीमा पार 26 कि.मी. अंदर पाक क्षेत्र खेरपुर जिले के कादनवाली में एक नया हवाई अड्डा बनाया है. ये हवाई अड्डा तेल गैस की खोज के लिये लगी हुई चाइनीज कंपनियों के लिये बनाया गया है.
हाल ही में चीन ने दूसरा हवाई अड्डा बाड़मेर के मुनाबाव क्षेत्र के सामने सीमा पार बनाया है. ये हवाई अड्डा पाकिस्तानी क्षेत्र में तेल गैस खोज में लगी हुई चाइनीज कंपनियों के चीनी विशेषज्ञों के लिए बनाया है. इस हवाई अड्डे का निर्माण भी अन्तर्राष्ट्रीय सीमा से 30 कि.मी. अंदर पाक क्षेत्र में किया गया है.
चीन गुजरात सीमा के पास मीठी में भी तेल-गैस की खोज में लगे अपने अधिकारियों के लिए हवाई अड्डा बना रहा है. इस इलाके में चाइना हार्बर इंजीनियरिंग कंपनी पोर्ट और ड्राईपोर्ट बनाने में लगी है. इसी तरह से चीन-पाकिस्तान मिलकर सीमा पर रेल पटरियां भी बिछाने का काम कर रही हैं. सूत्रों के अनुसार भारतीय सीमा पर करीब 20000 से ज्यादा चाइनीज विशेषज्ञ तेल, गैस और कंस्ट्रक्शन कंपनियों में काम कर रहे हैं. अब जब चाइना पाकिस्तान को अपनी कंपनियों के इलाके में सड़क और हवाई अड्डे तक नहीं बनाने दे रहा है तो इनके सैनिकों को अपने हजारों करोड़ के इन्वेस्टमेंट को कैसे बर्बाद होने देगा.
चीन ने थार के रेगिस्तान का दोहन 80 के दशक में ही शुरू कर दिया था.
पाकिस्तान ने जब 1965 और 1971 का युद्ध किया था तब चीन इन इलाकों में नहीं था. चीन ने थार के रेगिस्तान का दोहन 80 के दशक में शुरू किया है. चीन के मिशन थार की वजह से ही पाकिस्तान की थोड़ी बहुत आर्थिक स्थिति ठीक हुई है. पाकिस्तान और चीन ने जब इन इलाकों में तेल और गैस को सोना बना दिया, तब जाकर भारत 90 के दशक में जागा था और भारत की तरफ भी बड़ी संख्या में सरकारी और निजी कंपनियां तेल और गैस की खोज और दोहन का काम कर रही हैं.
चीन अब एक बिजनेस कंट्री हो गया है. इसके विस्तारवादी और उग्र विदेश नीति भी व्यापार केंद्रित रहने लगी है. यह माओ का नहीं जिनपिंग का चीन है. अपने सदाबाहार दोस्त के बार-बार गिड़गिड़ाने पर भी चीन ने जिस तरह से नरम रवैया अपनाते हुए दोनों देशों के बीच बातचीत से मसला हल करने की सलाह दी है, उससे साफ हो गया है कि चीन की पहली प्राथमिकता आर्थिक विकास के लिए जरूरी इलाके में शांति-व्यवस्था कायम रखने की है. यही वजह है कि पाकिस्तान और उसके पाले हुए आतंकियों को भी चीन ने साफ कह रखा है कि राजस्थान और गुजरात की सीमा पर उनकी कोई भी नापाक हरकत नहीं होगी. यहां तक की इन इलाकों में लश्कर-ए-तैयबा के चीफ हाफिज सईद ने सामाजिक कार्य की आड़ में अपने अड्डे खोजने चाहे तो चीन के कहने पर बंद करने पड़े थे.
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