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Updated: 05 दिसम्बर, 2016 03:37 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
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अमर सिंह के बोल बिंदास और अंदाज हमेशा शायराना होता है और यही बातें उन्हें टीवी फ्रेंडली बनाती हैं. वो अक्सर ही लच्छेदार बातों में मसालेदार टर्म इस्तेमाल करते हैं. इसमें बिलकुल ताजा है झंडू बाम. आखिर समाजवादी अमर कथा में ये झंडू बाम ट्विस्ट कौन सा नया गुल खिलाने वाला है? डबल मीनिंग के मायने...

टीवी पर रियल्टी शो में अक्सर डबल मीनिंग वाले शब्दों की भरमार मिलती है और अमर सिंह तो खुद राजनीति के चलते फिरते रियल्टी शो हैं. एक इंटरव्यू में इस बार खुद के लिए जब उन्होंने झंडू बाम शब्द का इस्तेमाल किया है. अगर सीधे-सीधे उन्होंने झंडू बाम बोल दिया होता तो बात शायद आई गई हो जाती. मगर, बड़े आराम से उन्होंने झंडू बाम से पहले एक और टर्म का इस्तेमाल किया जीरो बटा सन्नाटा.  

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 अमर सिंह फाइल फोटो

यानी लोग झंडू बाम को सीधे-सीधे कुछ समझें उससे पहले उन्होंने जीरो बटा सन्नाटा कह कर बता दिया कि समाजवादी पार्टी में उनकी कोई हैसियत नहीं रह गई है.

क्या वाकई ऐसा है? क्या सच में अमर सिंह की कोई हैसियत नहीं है? भला उस अमर सिंह की हैसियत जीरो बटा सन्नाटा कैसे हो सकती है जिसने मुलायम सिंह यादव को पूरे सात साल की सजा से बचा लिया हो. बाकी लोगों के लिए ये भले ही मामूली लगे, लेकिन मुलायम सिंह तो इसे ताउम्र नहीं भूलेंगे, ऐसा वो खुद बता चुके हैं और अमर सिंह की भी यही राय होगी.

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ये जरूर है कि हाल के दिनों में जब से मुलायम का परिवार सार्वजनिक तौर पर साथ नजर आने लगा है अमर सिंह पर्दे के पीछे चले गये हैं. लेकिन ये वही अमर सिंह हैं जिनके लिए अखिलेश बाहरी बाहरी करते रहे और मुलायम ने उन्हें भीतरी बना दिया. समय बलवान होता है, भला अमर सिंह से बेहतर इसे कौन जानेगा जो शख्स केंद्र की सरकार बचाने की कूव्वत रखता हो उसे बीमारी की हालत में भी जेल जान पड़े और फिर तमाम विरोधों को दरकिनार करते हुए वो राजनीति में सक्रिय हो जाये.तो क्या अमर सिंह वास्तव में हाशिये से भी बाहर चले गये हैं, या उनके बोल में रियल्टी टीवी के डबल मीनिंग हैं. मैं झंडू बाम...

फिल्म दबंग का ये डांस आइटम खासा हिट हुआ था - 'मुन्नी बदनाम हुई डार्लिंग तेरे लिए, मैं झंडू बाम हुई डार्लिंग तेरे लिये', जिस पर झंडू बाम बनाने वाली कंपनी ने नोटिस तक भेजा था. मालूम नहीं अमर सिंह को ऐसा कोई नोटिस मिला है या नहीं, लेकिन इतना जरूर है कि उनकी बातों का नोटिस लिया जरूर गया है. समाजवादी पार्टी के नेता अमर सिंह की इस बात से इत्तेफाक नहीं रखते दिखते. टीवी बहसों में कहते हैं कि वो समाजवादी पार्टी के महासचिव हैं और राज्य सभा सदस्य हैं फिर झंडू बाम बताने का क्या मतलब है?

बीच बीच में अमर सिंह पार्टी में अपने दुश्मन नंबर वन राम गोपाल यादव का नाम लेकर भी गुमराह करते रहते हैं. तो क्या अमर सिंह के इस हाल के पीछे कहीं न कहीं राम गोपाल यादव हैं? 80 के दशक के आखिरी वर्षों में झंडू शब्द खूब चलन में था. शायद ही कोई बातचीत, चर्चा या बहस ऐसी होती जो झंडू नाम लिये बगैर पूरी हो पाती. ऐसा हिंदी पट्टी के उन इलाकों में ज्यादा हुआ करता जहां लॉटरी खेलने वालों की बड़ी जमात रही. जो भी हार जाता कहता - 'यार झंडू हो गये...'

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अभी अभी 'भाबी जी घर पर हैं' के एक एपिसोड में भोजपुरी फिल्मों के स्टार रवि किशन आये हुए थे और वहां भी उनके उसी फेमस डायलॉग की फरमाईश हुई - 'जिंदगी झंड बा, फिर भी घमंड बा!' रवि किशन ने पूरे जोश से डायलॉग सुनाया भी. यहां तक कि प्रोमो में भी लगातार उनका डायलॉग चलता रहा.

लेकिन अमर सिंह ने न तो ये कहा है कि वो झंडू हो गये हैं और न ही उन्होंने रवि किशन का डायलॉग दोहराया है. फिर?फिर अमर सिंह के डबल मीनिंग को समझना होगा. अमर सिंह का साफ साफ कहना है कि वो झंडू बाम हैं. यानी वो हर दर्द की दवा हैं. कोई ये न समझे कि वो सिर्फ सात साल की सजा वाले अपराधों से ही बचा सकते हैं - वो हर मर्ज की दवा हैं. जी हां, झंडू बाम.

लेखक

मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

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