बीजेपी के प्रेम में जब खुद को इतिहासकार समझ बैठे अमर सिंह
प्रायः अपने बयानों के चलते चर्चा में रहने वाले अमर सिंह एक बार फिर चर्चा में हैं. इस बार उन्होंने अखिलेश को औरंगजेब, आज़म खान को खिलजी और जया प्रदा को पद्मावती की संज्ञा दे डाली जिसके चलते उनकी आलोचना शुरू हो गयी है.
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भारत जैसे विशाल लोकतंत्र में राजनीति को समझना आसान नहीं है. जब एक तरफ हम देश की राजनीति को ही समझने में असमर्थ हैं तब किसी नेता के बारे में बात करना अपने आप में एक जटिलता से भरा हुआ प्रश्न है. ये जटिलता तब और विकराल रूप ले लेती है जब हमारे सामने उपस्थित नेता "अमर सिंह" हों. किसी जमाने में समाजवादी पार्टी सुप्रीमो मुलायम सिंह और आज़म खान के बेहद करीबियों में शामिल अमर सिंह, देश की उन चुनिंदा राजनीतिक शख्सियतों में हैं जिनको देखकर कोई भी भविष्यवाणी किसी भी तरह का पूर्वाग्रह नहीं किया जा सकता.
बात अगर अमर सिंह और मुलायम सिंह के रिश्ते की हो तो, अमर सिंह के समर्थकों का मत है कि, आज मुलायम जिस मुकाम तक आए हैं, वहां तक उन्हें पहुंचाने में अमर सिंह का बहुत बड़ा हाथ है. इसके विपरीत वो लोग जो किन्हीं कारणों से अमर सिंह से बैर रखते हैं या फिर उनके अलोचक हैं उनका मानना है कि आज अगर मुलायम सिंह का राजनीतिक पतन हुआ है तो इसके पीछे की एक अहम वजह अमर सिंह का साथ था.
एक बार फिर अपने द्वारा दिए गए बयान के कारण अमर सिंह चर्चा में आ गए हैं
अपने बयानों के चलते अक्सर ही मीडिया की सुर्ख़ियों में रहने वाले अमर सिंह एक बार फिर चर्चा में हैं. इस बार उनके चर्चा में आने के पीछे की वजह अपने आप में बहुत दिलचस्प है. भूतपूर्व समाजवादी नेता और वर्तमान में राज्यसभा सांसद अमर सिंह ने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पर जोरदार निशाना साधा है.
अखिलेश यादव को औरंगजेब बताते हुए अमर सिंह ने कहा है कि "दशरथ ने भगवान राम को 14 साल का वनवास दिया, लेकिन अखिलेश ने औरंगजेब की तरह अपने पिता को ही उम्रकैद दे दी.'' अमर सिंह ने अपने खास अंदाज में अखिलेश यादव और उनकी राजनीति पर निंदा करते हुए कहा है कि ये (अखिलेश) औरंगजेब ही हैं और उनकी राजनीति मुगलों के अंदाज वाली राजनीति है."
ध्यान रहे कि, उत्तर प्रदेश स्थित मैनपुरी के बिछवां पहुंचे अमर सिंह ने एक जनसभा को संबोधित करते हुए बेहद तल्ख लहजे में जहां एक तरफ अखिलेश और मुलायम को आड़े हाथों लिया तो वहीं वो उत्तर प्रदेश के कद्दावर नेता आज़म खान और जयाप्रदा पर भी जमकर बरसे.अमर सिंह ने आज़म खान को खिलजी तो वहीं जया प्रदा को रानी पद्मावती की संज्ञा दे डाली.
किसी जमाने में अमर सिंह का शुमार मुलायम सिंह के विश्वास पात्रों में था
गौरतलब है कि पिछले विधानसभा चुनाव से ही अमर सिंह और मुलायम के रिश्तों में दरार देखने को मिल रही थी. पूर्व में ऐसे भी कई मौके देखे गए जब अमर सिंह धीमे स्वर में बगावत का बिगुल बजाते नजर आए. मगर अब अमर का मुलायम और उनके परिवार पर खुलकर सामने आना ये बताने के लिए काफी है कि भविष्य में अमर कोई बड़ा फैसला लेकर उत्तर प्रदेश के अलावा देश भर की जनता को हैरत में डाल सकते हैं. यहां ध्यान देने वाली बात ये भी है कि किसी जमाने में भाजपा के धुर विरोधी रहे अमर सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जमकर तारीफ की है.
पीएम मोदी और योगी आदित्यनाथ को लेकर अमर सिंह ने कहा है कि जिस तरह अभी उत्तर प्रदेश में पीएम मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा इन्वेस्टर्स समिट कराई गयी वो एक सराहनीय पहल है, जिसकी जम कर तारीफ होनी चाहिए. अमर सिंह मानते हैं कि भाजपा सरकार द्वारा प्रदेश में पहली बार शुरू की गयी इस पहल से प्रदेश के युवाओं के लिए नौकरी और रोज़गार के तमाम अवसर पैदा होंगे.
ये अमर सिंह ही थे जिनके कारण अखिलेश और मुलायम के संबंधों में खटास आई
खुद को संजय लीला भंसाली समझ मुलायम और उनके परिवार को पद्मावत के सांचे में डालकर बुराई तक तो ठीक था मगर जिस तरह अमर ने भाजपा की तारीफ की है उसके देखकर ये साफ पता चल रहा है कि वो दिन दूर नहीं जब हम अमर को भाजपा के पाले में बल्ला पकड़े बैटिंग करते या फिर बॉल के जरिये बॉलिंग करते देखें.
वैसे भी आलोचकों के बीच ये बात मशहूर है कि, अमर सिंह एक मौका परस्त राजनेता हैं. वो उस नाव पर सवारी करना पसंद करते हैं जो खूबसूरत और विशाल हो. साथ ही अमर सिंह उन लोगों में भी हैं जो नाव पर हुए छेद को देखकर सबसे पहले भागते हैं. अमर सिंह के इतिहास को देखकर शायद ये कहना गलत न हो कि आज जिस पार्टी के लिए ये तीखे तेवर रखे हुए हैं यदि कल वो दोबारा सत्ता में आ जाए तो इनका सारा गुस्सा पानी हो जाएगा और फिर ये उसके लोगों के गले लग जाएंगे और तारीफ पर तारीफ का सिलसिला एक बार फिर से शुरू हो जाएगा.
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