अगर ओसामा कहता कि WTC पर हमला गलती थी तो माफ कर देते?
अमेरिका जिस तरह की बातें कर रहा है, ऐसा लगता है कि उसने ऐसी गलती पहली बार की हो. गलती से अमरिका ने पिछले 70-75 वर्षों में क्या-क्या किया है, इसका हिसाब अगर वह लगाए तो पता नहीं कितनी बार उसे माफी मांगनी पड़े.
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कल्पना कीजिए...वर्ल्ड ट्रेड सेंटर (WTC) के दोनों टावरों पर विमानों के टकराने के बाद अगली सुबह ओसामा बिन लादेन टेप जारी करता और कहता, 'मेरा निशाना तो पेंटागन था. आतंकवादियों की गलती और लापरवाही के कारण विमान WTC से जा टकराए. निर्दोष लोगों की जान चली गई. इसलिए मैं माफी मांगता हूं.' तो क्या अमेरिकावासी ओसामा को माफ कर देते? आप कहेंगे कि यह कैसा बेवकूफाना सवाल है. माना, सवाल बेवकूफी भरा है लेकिन उत्तर तो हम सब जानते हैं. अमेरिका वही करता जो उसने किया और जिस अंदाज में किया.
एक आतंकी की खोज के लिए पूरे देश पर बम बरसाना सही था या नहीं, यह बहस अब पुरानी हो चली है. लेकिन पिछले हफ्ते अफगान शहर कुंदुज के डॉक्टर्स विदाउट बोर्डर्स (एमएसएफ) के अस्पताल में जिस तरह बमबारी की गई, उस पर चर्चा जरूरी है. चर्चा इसलिए भी कि अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने उस घटना के लिए माफी मांगी है! ओबामा ने एमएसएफ के प्रमुख जोआन लीयू को फोन कर माफी मांगी. ओबामा ने अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी को भी फोन कर घटना पर खेद जताया.
अमेरिका की ओर से कहा गया कि यह गलती से हुआ. अमेरिकी सैनिक दरअसल तालिबान पर हमले की कोशिश कर रहे थे. व्हाइट हाउस ने यह भी कहा कि सभी तथ्यों की जांच होगी. पता लगाने की कोशिश की जाएगी कि चूक कैसे और कहां हुई. इस हमले में कम से कम 22 लोग मारे गए जिसमें अस्पताल के कर्मचारी और मरीज शामिल हैं.
दरअसल, अमेरिका जिस तरह की बातें अभी कर रहा है, ऐसा लगता है कि उसने ऐसी गलती पहली बार की हो. गलती से अमरिका ने पिछले 70-75 वर्षों में क्या-क्या किया है, इसका हिसाब अगर वह लगाए तो पता नहीं कितनी बार उसे माफी मांगनी पड़े. वर्ल्ड पॉलिटिक्स में अमेरिका की हैसियत 1940 के दशक में बहुत तेजी से बढ़ी जब वह दूसरे विश्व युद्ध में कूदा. यह वो समय भी था जब युनाइटेड किंगडम का किला धवस्त हो रहा था. दुनिया भर के कई देश आजादी की ओर अपने कदम बढ़ा रहे थे. इन पूरे वैश्विक घटनाक्रमों का सीधा फायदा अमेरिका और रूस (तब सोवियत यूनियन) को हुआ.
इसके बाद 'गलती'से अमेरिका जो भी करता गया, वह इतिहास है. फिर चाहे हिरोशिमा-नागासाकी पर परमाणु बम हमला हो या फिर कोल्ड वार के समय में पूरी दुनिया पर मंडरा रहे एक और युद्धा का खतरा. वेपन ऑफ मास डिस्ट्रक्शन की थ्योरी गढ़कर अमेरिका ने इराक पर 'गलती' से हमला किया. वहां भी कुछ हाथ नहीं लगा. अलबत्ता शहर के शहर जरूर कंक्रीट के ढेर में तब्दील होते चले गए. ऐसे ही अमेरिका के नेतृत्व में ईरान को लेकर भी एक हवा बनाई गई और नतीजा वहां से भी सिफर रहा.
इसलिए सवाल बनता है कि अमेरिका ने अभी जिस घटना के लिए माफी मांगी है, क्या वह काफी है. तालिबान या आतंकियों को मारने का हवाला देकर क्या किसी को ऐसे ही अपनी मनमर्जी के अनुसार बम गिराने की आजादी होनी चाहिए? क्या अमेरिका का कदम 'वार क्राइम' नहीं है? क्या वैश्विक बिरादरी की ओर से उस पर सख्त कार्रवाई की बात नहीं होनी चाहिए?
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