मोदी विरोधियों का NRI-विरोध अपने पैर में कुल्हाड़ी मारने जैसा
पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के विरोध में अप्रवासी भारतीयों (Indian diaspora) को निशाना बनाने की सोच 2014 के बाद बहुत तेजी से बढ़ी है. क्योंकि, पीएम मोदी के कार्यक्रमों में बड़ी संख्या में आने वाले ये एनआरआई उनका गर्मजोशी से स्वागत करते हैं. और, भारत में मोदी-विरोधियों (Anti Modi) को ये बात बिल्कुल भी नहीं पचती है.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले दिनों यूरोप की यात्रा पर थे. यहां जर्मनी और डेनमार्क में उन्होंने भारतीय समुदाय (Indian diaspora) को संबोधित किया. इसके अलावा जगह-जगह भारतीयों ने उनका आत्मीय स्वागत किया. विदेश में बसे भारतीयों का पीएम नरेंद्र मोदी से ये लगाव उनके विरोधियों को नागवार गुजरा. पीएम मोदी को उनकी विदेश यात्राओं के लिए भारत में आमतौर पर राजनीतिक आलोचनाओं का शिकार होना पड़ता है. लेकिन, यूरोप यात्रा के दौरान ही पीएम मोदी के साथ अप्रवासी भारतीयों (NRI) को भी निशाना बनाया जाने लगा.
बात कहां से शुरू हुई
दरअसल, बर्लिन में एक भारतीय बच्चे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने एक देशभक्ति गीत गया. पीएम नरेंद्र मोदी ने भी उस बच्चे का हौसला बढ़ाने के लिए उसके गीत के साथ चुटकी बजाकर ताल से ताल मिलाई. पीएम मोदी का ये भव्य और जोरदार स्वागत कई लोगों को अखर गया. मोदी विरोध से मशहूर हुए कॉमेडियन कुणाल कामरा ने इस बच्चे की गाने की वीडियो क्लिपिंग को एक एडिटेड वीडियो के साथ बदलकर ट्वीट कर दिया. बच्चे ने राष्ट्रभक्ति दर्शाता गीत 'हे जन्मभूमि भारत' गाया था. लेकिन, मोदी विरोध में आकंठ डूबे कुणाल कामरा को इस वीडियो में भी एक अवसर नजर आ गया. तो, उन्होंने इसे एक एडिडेट वीडियो में बदल दिया. जिसमें गाने को फिल्म 'पीपली लाइव' के 'महंगाई डायन खाए जात हैं' गाने से बदल दिया गया.
बर्लिन में एक भारतीय बच्चे ने पीएम मोदी के सामने एक देशभक्ति गीत गया. लेकिन, कुणाल कामरा को इसमें भी मोदी-विरोध का मौका दिख गया.
हालांकि, आलोचना होने के बाद कुणाल कामरा ने ये एडिडेट वीडियो हटा दिया. लेकिन, कामरा ने अपने ट्वीट को जस्टिफाई करते हुए तमाम तर्क और दलील दीं. क्योंकि, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने दिल्ली पुलिस को पत्र लिखकर उन पर कार्रवाई की बात कही थी. खैर, कुणाल कामरा ने तर्क दिया कि पिता अपने बच्चे को खुद ही पीएम के सामने गाने के लिए आगे बढ़ा रहे हैं. इस दौरान सभी के हाथ में कैमरा था और फुटेज सोशल मीडिया पर शेयर हुई. पीएम इस बच्चे को पब्लिक डोमेन में लेकर आए, मैं नहीं. मैंने सिर्फ बच्चे से वो गाना गवाया, जो पीएम को सुनने की ज्यादा जरूरत है. कुणाल कामरा ने ये कहा कि संघियों को मेंटल हेल्थ की चिंता हो रही है. उस बच्चे का कॉलेज में पीएम के लिए गीत गाने की वजह से मजाक उड़ाया जा सकता है. जिससे वह डिप्रेशन में जा सकता है.
मोदी-विरोधियों ने NRI को टारगेट करना शुरू किया
पीएम नरेंद्र मोदी को यूरोप यात्रा पर भारतीय समुदाय की ओर से मिले उत्साह से भरपूर स्वागत पर मोदी-विरोधियों का पारा चढ़ गया. और, पीएम मोदी की आलोचना करते हुए इन लोगों ने अप्रवासी भारतीयों यानी एनआरआई को भी निशाना बनाना शुरू कर दिया. दरअसल, 2014 के बाद पीएम मोदी के हर विदेश दौरे पर बड़ी संख्या में जुटने वाले एनआरआई को आलोचनाओं का शिकार होना पड़ता रहा है. एक कांग्रेस समर्थक ट्विटर यूजर श्रेया ने सभी एनआरआई को मोदी भक्त करार देते हुए लिखा है कि एनआरआई मोदी भक्तों से एक गंभीर सवाल है. मोदी के 8 सालों की सरकार के बाद क्या भारत आपके लिए इतना अच्छा बन गया है कि आप अपने एनआरआई होने पर मिलने वाले फायदे सरेंडर कर देश लौट आएं? बस जानने के लिए उत्सुक हूं.
A serious question to all NRI Modi Bhakts:After 8 years of Modi rule, is India good enough for you to surrender your NRI benefits and return home?Just curious.?
— Shreya (@s_shreyatweets) May 3, 2022
अनुपम गुप्ता नाम के एक ट्विटर यूजर ने एनआरआई पर तंज कसते हुए लिखा है कि मैं एनआरआई समुदाय को पसंद करता हूं. उनके पास एक प्वाइंट है, जब वे कहते हैं कि भारतीय होना एक वैश्विक अनुभव है. भारत की धरती पर रहने की कोई आवश्यकता नहीं है. आप अमेरिकी झंडे को सलामी दे सकते हैं, यूएस पासपोर्ट ले सकते हैं, यूएस की नौकरी कर सकते हैं, लेकिन फिर भी 100 फीसदी भारतीय (2014 के बाद) हो सकते हैं.
I like the NRI community. They have a point when they say that being Indian is a global feel, no need to stay on Indian soil. You can salute American flag, hold US passport, have US job, but still be 100% Indian (after 2014). ?
— Anupam Gupta (@b50) May 5, 2022
वहीं, एक यूजर ने लिखा है कि NRI अपनी भारतीय विरासत, संस्कृति और प्रधानमंत्री पर बहुत गर्व करते हैं. लेकिन, वे कभी भी वापस नहीं आना चाहते हैं. वे केवल छुट्टियों, बड़ी शादियों के लिए आते हैं. और, तुरंत अमेरिका, यूरोप या अन्य जगहों पर अपने आरामदायक घरों में वापस चले जाते हैं. लेकिन, वे भारत से बहुत प्यार करते हैं.
NRIs are so proud of their Indian heritage, culture and Prime Minister but never do they want to return for good. They only return for holidays, big fat weddings and promptly go back to their cosy homes in US, Europe or elsewhere. But they love India so much. #NRI #Indiansabroad
— S.Grover (@DieWanderin1) May 2, 2022
बच्चे के पिता की बात...
अप्रवासी भारतीयों को पीएम नरेंद्र मोदी के स्वागत पर निशाना बनाए जाने की बात गणेश पोल (मोदी के सामने गीत गाने वाले बच्चे के पिता) ने इंडिया टुडे से बातचीत की. गणेश पोल का एनआरआई लोगों को पीएम मोदी के लिए 'भाड़े पर लाए गए लोग' बताने पर कहना था कि मैंने आधी दुनिया घूमी है. मैं कई अलग-अलग देशों में नौकरी की है. हम सब यहां अच्छे से स्थापित हो चुके हैं. और, हमें कोई 100 डॉलर या 1000 यूरो देकर नहीं बुला सकता है. ऐसा कहने वालों को मैं ऑफर कर सकता हूं. भारतीय समुदाय यहां अच्छा कमाता है. गणेश पोल ने भारत से बाहर नौकरी करने की बात पर कहा कि हम दुनियाभर में भारत को रिप्रेजेंट करते हैं. बड़ी-बड़ी कंपनियों में लोग भारतीयों को केवल भारतीय होने की वजह से ही सम्मान देते हैं. उन्होंने कहा कि बहुत से एनआरआई हैं, जो मिडिल क्लास फैमिली से आते हैं. हमने अपनी मेहनत के दम पर यहां तक का सफर तय किया है.
Kunal Kamra mocks kid who sang for PM Modi.Ganesh Pol, Ashutosh’s father, speaks exclusively to India Today’s @ShivAroor.#ITVideo #Exclusive pic.twitter.com/pHHuOE4oqU
— IndiaToday (@IndiaToday) May 5, 2022
गणेश पोल ने पीएम मोदी के लिए अप्रवासी भारतीयों के प्रेम को लेकर कहा कि हम नरेंद्र मोदी को पसंद नहीं करते हैं. हम भाजपा समर्थक नहीं हैं. हमें मोदी का विजन और आइडिया पसंद हैं. अगर कल कोई विपक्ष का नेता देश के लिए कुछ अच्छा करता है, तो हम उसका साथ देंगे. कुणाल कामरा के एडिटेड वीडियो वाले ट्वीट पर उस बच्चे के पिता गणेश पोल ने जमकर लताड़ लगाई थी. गणेश पोल ने लिखा था कि वह मेरा 7 साल का बेटा है, जो अपनी प्यारी मातृभूमि के लिए ये गीत गाना चाहता था. हालांकि, वह अभी छोटा है, लेकिन वह अपने देश को आपसे मिस्टर कामरा या कचरा, जो भी आपका नाम है, ज्यादा प्यार करता है. मेरे बेटे को अपनी घटिया राजनीति से दूर रखें और अपने खराब चुटकुलों पर काम कीजिए.
मेरी राय...
जब भी कोई भारतीय मूल का शख्स किसी बड़ी कंपनी का सीईओ बनता है या अमेरिका जैसे देश में सांसद या किसी बड़े पद पर नियुक्त होता है. तो, लोगों को उसका भारतीय मूल याद आ जाता है. लेकिन, मोदी-विरोध के लिए उन्हीं भारतवंशियों को देश के कुछ लोग ट्रोल करने की कोशिश में जुट जाते हैं. मोदी-विरोध में अप्रवासी भारतीयों को निशाना बनाने वाले विदेशों में बसे पूरे भारतीय समुदाय को ही मोदी भक्त साबित करने में जुट जाते हैं. जबकि, शायद ही ऐसा होगा कि विदेश में रहने वाले भारतीय समुदाय के सभी लोग पीएम मोदी को पसंद करते होंगे. लेकिन, मोदी-विरोध में अंधे हो चुके ये लोग किसी भी हद तक जाकर बस पीएम मोदी का विरोध करना चाहते हैं. उन्हें इससे बिलकुल भी फर्क नहीं पड़ता है कि वैश्विक स्तर पर उनकी इस तरह की बातों का भारतीय समुदाय के लिए हालातों पर किस तरह असर पड़ेगा.
वैसे, जिन एनआरआई बेनिफिट और उनकी विदेश में नौकरी की बात कर अप्रवासी भारतीयों को टारगेट किया जाता है. क्या उनको ये नौकरी उन पर तंज कसने वालों ने दिलाई है? कोई शख्स अपनी मेहनत से उस मुकाम तक पहुंचता है, तो उसे पूरा हक है कि वह उन सुविधाओं का आनंद उठाए, जो उसे मिल सकती हैं. क्या भारत में सरकारी और प्राइवेट संस्थानों में नौकरी करने वाले सुविधाएं नहीं चाहते हैं? वैसे, एनआरआई देश का विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ाने के काम भी आते हैं. हालांकि, यह एक छोटा हिस्सा होता है. लेकिन, मोदी सरकार ने विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाने के लिए NRI को तरह-तरह की स्कीम के जरिये भारत में निवेश करने के लिए प्रेरित किया है. जो पीएम मोदी की यूएसपी बनी है. लेकिन, क्या इससे पहले की सरकारों को ऐसा करने से किसी ने रोका था.
भारत सरकार पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में इन एनआरआई की विदेशों में सुरक्षा, काम करने के हालातों, सामाजिक सुरक्षा जैसे कई पहलुओं पर तेजी से काम कर रही है. तो, अप्रवासी भारतीयों के एक धड़े का पीएम मोदी के लिए उमड़ा प्रेम चौंकाता नहीं है. आसान शब्दों में कहा जाए, तो मोदी-विरोधियों का NRI-विरोध काफी हद तक अपने पैर में कुल्हाड़ी मारने जैसा ही है.
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