हिंदुओं के खिलाफ सबसे बड़ी साजिश है आर्टिकल 30, पढ़ें ट्विटर की ये चर्चा
उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने सूबे के ऐसे मदरसों (Madrasa) के सर्वे का निर्देश जारी किया है, जिन्हें मान्यता नहीं मिली है. एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने आर्टिकल 30 (Article 30) का हवाला देते हुए इस फैसले का विरोध किया है. वहीं, ट्विटर पर एक यूजर ने आर्टिकल 30 को हिंदुओं (Hindu) के खिलाफ साजिश बताया है. पढ़िए क्या कहता है ये ट्विटर थ्रेड...
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देश में अचानक ही आर्टिकल 30 को लेकर चर्चा जोर पकड़ने लगी है. दरअसल, बीते दिनों उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने सूबे के ऐसे मदरसों के सर्वे का निर्देश जारी किया है, जिन्हें मान्यता नहीं मिली है. योगी सरकार के इस फैसले पर एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने निशाना साधा है. असदुद्दीन ओवैसी का कहना है कि 'सभी मदरसे आर्टिकल 30 के तहत आते हैं. फिर यूपी सरकार ऐसा सर्वे क्यों करा रही है. यह सर्वे नहीं छोटा एनआरसी है. सरकार हमें आर्टिकल 30 के तहत मिले अधिकारों में हस्तक्षेप नहीं कर सकती है. वे केवल मुस्लिमों का उत्पीड़न करना चाहते हैं.'
वैसे, संविधान के आर्टिकल 30 में अल्पसंख्यकों को मिले अधिकारों को देखते हुए कहा जा सकता है कि ओवैसी सही ही कह रहे हैं. लेकिन, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर पर एक एजेंडा बस्टर नाम के एक यूजर ने ऑर्टिकल 30 को लेकर एक ट्विटर थ्रेड लिखा है. इस ट्विटर थ्रेड में सिलसिलेवार तरीके से बताया गया है कि कैसे आर्टिकल 30 को संविधान में हिंदुओं को कमजोर करने के लिए जोड़ दिया गया था. आइए जानते हैं कि आर्टिकल 30 के बारे में क्या कहता है ये ट्विटर थ्रेड?
क्या आपने कभी ये सुना है कि सरकार ने गुरुकुल पर पैसे खर्च किए हैं?
ट्विटर थ्रेड में उठाए गए हैं कौन से सवाल?
एजेंडा बस्टर नाम के इस यूजर ने अपने ट्विटर थ्रेड में लिखा है कि यह थ्रेड हिंदुओं के खिलाफ की गई सबसे बड़ी साजिश के बारे में हैं. जो काम औरंगजेब और अंग्रेज नहीं कर सके. उसे हमारे अपने ही नेताओं ने कर दिया और हिंदू संस्कृति को मृत्यु शैय्या पर लिटा दिया. संविधान के एक आर्टिकल से हिंदू संस्कृति की रीढ़ तोड़ दी गई. आपने कई बार सुना होगा कि सरकार मदरसों में मिलने वाली शिक्षा पर खर्च कर रही है. मदरसा एक ऐसी जगह है, जहां मुस्लिमों को मजहबी शिक्षाएं दी जाती हैं.
क्या आपने कभी ये सुना है कि सरकार ने गुरुकुल पर पैसे खर्च किए हैं? इस ट्विटर थ्रेड में आपको इन सवालों के जवाब मिलेंगे. सरकारें मदरसों पर भारी-भरकम खर्च करती हैं. लेकिन, गुरुकुल को फंड नहीं दे सकती हैं? क्यों भारत के सभी टॉप स्कूल ईसाई और मुस्लिमों द्वारा चलाए जा रहे हैं? क्यों स्कूलों में वेद और गीता कभी पढ़ाए नहीं जा सकते हैं? क्यों हिंदू धर्म अगले 30 सालों में भारत से गायब हो जाएगा? कैसे सरकार एक सुधार कर हिंदुओं को बचा सकती है?
इस यूजर ने अगले ट्वीट में लिखा कि हर राज्य का अपना अलग-अलग मदरसा बोर्ड होता है. और, मदरसे में मिलने वाली शिक्षा के लिए फंड होता है. जैसे पश्चिम बंगाल में मदरसा शिक्षा के लिए 5000 करोड़ का फंड रखा गया है. और, इसी तरह अन्य राज्यों में भी इतना ही या इससे कम फंड रखा गया है. सरकारों के पैसों से चलने वाले इन मदरसों की वजह से मुस्लिम बहुत ही धार्मिक और मजहब के विचारों की जड़ों से जुड़े रहते हैं. लेकिन, क्या आप कभी इस बात पर चौंके हैं कि किसी भी राज्य में कोई हिंदू शिक्षा बोर्ड नहीं है. कोई सरकार एक नया पैसा भी गुरुकुल शिक्षा पर खर्च नहीं करती है. जहां हिंदू बच्चे अपने हिंदू धर्म के बारे में जान सकें. क्यों?
सवालों का जवाब कैसे आर्टिकल 30 से जुड़ता है?
यूजर ने अपने ट्विटर थ्रेड में लिखा है कि इन सभी सवालों का जवाब भारतीय संविधान के दो अनुच्छेद में आता है. जो आर्टिकल 28 और आर्टिकल 30 हैं. आर्टिकल 28 के अनुसार, किसी भी सरकारी या सरकार द्वारा सहायता प्राप्त स्कूल में धार्मिक शिक्षा नहीं दी जा सकती है. कोई भी स्कूल जो सरकार से किसी भी प्रकार की सहायता जैसे कि वित्तीय, टैक्स में छूट, भूमि में छूट या सरकारी पाठ्यक्रम या सरकारी सर्टिफिकेशन यानी सीबीएसई की तरह बोर्ड जैसी सहायता भी लेता है. तो, स्कूल को सरकारी सहायता प्राप्त माना जाएगा. इस तर्क के हिसाब से भारत के 99.99 फीसदी स्कूल आर्टिकल 28 के अंतर्गत आते हैं. तो, आर्टिकल 28 सभी धर्मों की धार्मिक शिक्षा पर रोक लगाता है. यानी किसी भी स्कूल में धार्मिक शिक्षा नहीं दी जा सकती है.
ठीक है. अब बात करते हैं भारतीय संविधान के काले आर्टिकल 30 की. आर्टिकल 30 के अनुसार, सभी अल्पसंख्यकों को अधिकार है कि वे अपनी इच्छा के हिसाब से अपने शैक्षणिक संस्थानों को स्थापित और उनका प्रबंधन कर सकते हैं. राज्य इन शैक्षणिक संस्थानों को सहायता प्रदान करने में किसी भी संस्थान के खिलाफ इस आधार पर भेदभाव नहीं करेगा कि वह अल्पसंख्यक समुदाय के प्रबंधन के अधीन है. भारत में मुस्लिम, ईसाई, सिख, पारसी, जैन, बौद्ध अल्पसंख्यकों में आते हैं. आसान शब्दों में कहा जाए, तो आर्टिकल 28 अल्पसंख्यकों पर लागू नहीं होता है. आर्टिकल 28 में संविधान निर्माताओं ने सभी धार्मिक शिक्षाओं पर रोक लगाई. और, आर्टिकल 30 में चुपके से मुस्लिम, ईसाई और अन्य अल्पसंख्यकों को इससे बाहर कर दिया.
लेकिन, हिंदुओं की धार्मिक शिक्षा को पिंजरे में ही बंद रखा गया. जो आज भी उसी पिंजरे में कैद है. अगर हम आर्टिकल 28 और 30 को एक साथ देखेंगे. तो, मुस्लिम, ईसाई, सिख अपनी धार्मिक शिक्षाएं सरकारी या सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में दे सकते हैं. लेकिन, हिंदुओं को ऐसा करने का अधिकार नहीं है. सरकार मदरसों, ईसाई स्कूलों को वित्तीय सहायता दे सकती है. लेकिन, सरकार गुरुकुल को वित्तीय सहायता नहीं दे सकती है. इसी वजह से सभी राज्यों में मदरसा बोर्ड तो हैं. लेकिन, कोई गुरुकुल बोर्ड नहीं है. क्योंकि, संविधान इसकी इजाजत नहीं देता है. इसी के चलते बाइबल और कुरान स्कूलों में पढ़ाई जा सकती है. लेकिन, कभी किसी सरकारी या सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल में गीता नहीं पढ़ाई जा सकती है.
एक और रोचक बात ये है कि किन स्कूल को बहुसंख्यक और किन्हें अल्पसंख्यक स्कूल कहा जाएगा? जो स्कूल हिंदू स्वामित्व वाला है, तो वह बहुसंख्यकों का स्कूल कहलाएगा. और, जो स्कूल मुस्लिम या ईसाई स्वामित्व वाला है, तो उसे अल्पसंख्यक स्कूल कहा जाएगा. फिर चाहे वो धार्मिक शिक्षा दे रहे हों या नहीं. या फिर वहां अल्पसंख्यक छात्र हो या नहीं. मान लीजिए कि राम, अब्दुल और माइकल ने सीबीएसई की मान्यता प्राप्त एक प्राइवेट स्कूल शुरू किया. इन तीनों स्कूलों में एक जैसे विषय, पाठ्यक्रम और 100 फीसदी हिंदू छात्र हैं. तो, क्या होगा? अब्दुल और माइकल के स्कूलों को अल्पसंख्यक स्कूलों का दर्जा मिलेगा. और, वो आर्टिकल 30 के तहत मिलने वाली सभी सुविधाओं का लाभ उठाने के अधिकारी होंगे. जिसका मतलब है कि राम को सरकार की गाइडलाइंस का पालन करना होगा. लेकिन, अब्दुल और माइकल को ऐसा करने की जरूरत नहीं है.
राम अपने स्कूल में भगवत गीता नहीं पढ़ा सकता है. लेकिन, अब्दुल और माइकल अपने स्कूल में कुरान और बाइबल पढ़ा सकते हैं. जबकि, उनके स्कूल में 100 फीसदी हिंदू बच्चे हैं. इसका मतलब बै कि राम को 25 फीसदी सीटें राइट टू एजूकेशन एक्ट के तहत आरक्षित करनी होंगी. लेकिन, ये नियम अब्दुल और माइकल के स्कूलों पर लागू नहीं होगा. राम को सभी सरकारी गाइडलाइंस का पालन करना होगा. जैसे कि प्रिंसिपल का चुनाव, शिक्षकों का शैक्षणिक दायरा, कोटा के तहत 25 फीसदी सीटें, फी स्ट्रक्चर, इंफ्रास्ट्रक्चर. लेकिन, माइकल और अब्दुल को ये करने की जरूरत नहीं है. इसी वजह से एक हिंदू के लिए स्कूल चलाना मुश्किल होता है. और, भारत में अच्छे स्कूलों में से ज्यादातर मुस्लिम या ईसाई धर्म के लोगों के पास हैं.
26 जनवरी 1950 भारत के लिए गणतंत्र दिवस नहीं था. यह हिंदू संस्कृति के लिए गुलामी दिवस था. जिस दिन उन लोगों ने आधिकारिक रूप से हिंदू संस्कृति को संविधान के द्वारा खत्म कर दिया. उन्होंने पूरी शिक्षा व्यवस्था ही अल्पसंख्यकों को दे दी. दुनिया में 200 देश हैं. लेकिन, किसी भी एक देश में ऐसे खतरनाक बहुसंख्यक विरोधी कानून नहीं हैं. मजहबी शिक्षा की वजह से मुस्लिम आज भी मुस्लिम ही है. एक ईसाई आज भी ईसाई ही है. लेकिन, हिंदू आज हिंदुओं से ही नफरत करने वाला और वोक हिंदू बन चुका है. और, अगर ये आर्टिकल 28 और 30 संविधान से हटाए नहीं गए. तो, संभव है कि आने वाले 20-30 वर्षों में हिंदू धर्म भारत से गायब हो जाए. और, इसकी वजहहोगी सभ्यता के ज्ञान का अभाव.
सरकार को भारतीय संविधान से आर्टिकल 28 और 30 को रद्द कर देना चाहिए. जिससे बहुसंख्यकों और अल्पसंख्यकों दोनों को ही भारत में बढ़ने के लिए एक जैसे समान अधिकार मिल सकें. और, बहुसंख्यक हिंदुओं और अल्पसंख्यकों के बीच इस संवैधानिक भेदभाव की कहानी केवल शिक्षा के मामले पर ही खत्म नहीं होती है. हम अभी भी सरकार के इस भेदभाव से बच सकते थे. हम अभी भी बिना किसी सरकारी सहायता के दुनिया के सर्वश्रेष्ठ हिंदू स्कूल बना सकते थे. अगर हमारे मंदिर सरकारी नियंत्रण से मुक्त होते. क्योंकि, इन मंदिरों के पास बहुत पैसा है.
लेकिन, जवाहर लाल नेहरू अनुच्छेद 30 पर ही नहीं रुके थे. मंदिरों के लिए कानून बनाकर उन्होंने हमारे मंदिरों पर भी कब्जा कर लिया. लेकिन, मस्जिदों और चर्च को नहीं छुआ. अब हमारे पास हिंदू शिक्षा के लिए ना राज्य सरकार का साथ है और ना ही हम मंदिरों से वित्तीय सहायता ले सकते हैं. भारत में मस्जिद और चर्च मुक्त हैं. लेकिन, मंदिर नहीं. अल्पसंख्यकों को धार्मिक शिक्षा देने की आजादी है. लेकिन, हिंदुओं को ऐसा करने की आजादी नहीं है.
यहां पढ़ें पूरा ट्विटर थ्रेड...
Article 30 (Thread)This thread is abt the biggest conspiracy done with Hindus. The work that Aurangzeb n Britishers cud not do, Our own leaders did n brought Hindu civilization at death bed. Just one act of constitution n they broke backbone of Hindu civilization 1/23 pic.twitter.com/hhBD1r6Ugb
— Agenda Buster (@Starboy2079) September 1, 2022
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