केजरीवाल जी, वेमुला पर बोलने से पहले दिल्ली के दलितों की सुनें
यह आपका पाखंड नहीं तो और क्या है कि आप हैदराबाद में दलितों के सवाल पर अपनी राय दे रहे हैं जबकि आपने अभी तक अपनी पार्टी, कैबिनेट और मंत्रालयों में दलितों की भलाई....
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प्रिय अरविंद केजरीवाल जी,
मैं आपको यह पत्र बतौर आम आदमी पार्टी की भूतपूर्व-सपोर्टर और आपकी राजनीति को बारीकी से समझने के कारण लिख रही हूं.
मैं इस बात से बेहद हैरान हूं कि किसी दूसरे राज्य का मुख्यमंत्री अचानक हैदराबाद के लिए उड़ान भरता है और खुद को दलित अधिकारों का मसीहा साबित करने की कोशिश करता है. आपके चेहरे पर लगे मुखौटे को हटाकर देखा जाए तो इसमें किसी को भी पाखंड ही नजर आएगा.
दिल्ली में अभी तक सफाई कर्मचारियों को नियमित नहीं किया जा सका है. न ही उनके लिए किसी तरह के मेडिकल इंश्योंरेंस का प्रावधान किया गया है. दिल्ली में सत्ता संभालने के बाद से अभी तक आपने दलितों को धोखा ही दिया है, लिहाजा, अब आप किस अधिकार से रोहित वेमुला की मौत पर दलितों का मसीहा बनने का दावा कर रहे हैं? कृपया आप यह बताएं कि सत्ता संभालने के बाद से कितनी बार आप या आपकी कैबिनेट या फिर आपकी पार्टी ने दलितों से जुड़े मुद्दों को उठाया है?
यह आपका पाखंड नहीं तो और क्या है कि आज आप हैदराबाद में दलितों के सवाल पर अपनी राय दे रहे हैं जबकि आपने अभी तक अपनी पार्टी, कैबिनेट और मंत्रालयों में दलितों की भलाई के लिए कोई कदम नहीं उठाया है.
हकीकत ये है कि आपने अपनी कैबिनेट से दलित महिला राखी बिरला को भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर हटा दिया है. लेकिन आपने उसे अपने पार्टी से नहीं निकाला है क्योंकि वह आपके दलित वोट बैंक को मजबूत करने का अहम जरिया है. लिहाजा, राजनीतिक लाभ और पाखंड के मकसद से की गई आपकी हैदराबाद यात्रा यही दिखाती है कि आप कितनी बेशर्मी के साथ दलितों की राजनीति कर रहे हैं क्योंकि आपका उद्देश्य सत्ता में बने रहना है.
देश के किसी अन्य राज्य के मुख्यमंत्री ने आपकी तरह तकड़-भड़क भरी हैदराबाद की यात्रा नहीं की. मिस्टर केजरीवाल, मैं आप पर आरोप लगा रही हूं कि आपकी राजनीति चाहे वह दलित अथवा सेक्युलर अथवा एंटी करप्शन की हो वह पूरी तरह से चयनात्मक है. यदि आप दबे-कुचले वर्ग के वास्तविक मसीहा होते तो आप चुपचाप रोहित के उस कर्ज को पाट देते जो मरने के बाद विश्वविद्यालय में देय है और यही दलितों के लिए आपकी सच्ची श्रद्धांजलि होती.
केजरीवाल जी अगर आप वास्तव में सेक्युलर होते तो आप उसी तत्परता से माल्दा की हिंसा के खिलाफ बोलते जितनी तत्परता से आपने ट्विटर पर अपने सेक्युलर होने का प्रचार किया. लेकिन आप ऐसा नहीं कर सकते, क्योंकि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से आपकी नई दोस्ती राजनीतिक गणित और केन्द्र विरोधी केमिस्ट्री के चलते जो हुई है.
केजरीवाल जी यदि आप एक सच्चे एंटी-करप्शन एक्टिविस्ट होते तो बिना किसी देरी के शीला दीक्षित के खिलाफ उन तमाम फाइलों और कागजात का आप खुलासा कर चुके होते. आपके ऐसा नहीं करने से आज शीला दीक्षित को क्लीन चिट मिल चुकी है जबकि उन्हीं के खिलाफ ऊंचे स्वर में आरोप लगाकर आपको दिल्ली की सत्ता मिली थी.
केजरीवाल जी, आपको कोई जिम्मेदार नहीं ठहरा रहा है क्योंकि आपमें मीडिया को दिल्ली के वास्तविक मुद्दों से दूर भटकाने की विलक्षण क्षमता है. अपने इर्द-गिर्द सभी विवादों का जवाब देने और अपने गुनाहों को धोने के लिए आप आसानी से नैतिकता की सीढ़ी चढ़ जाते हैं. आपको लगता है कि यह जनता मूर्ख है जिसे आप आसानी से टहला सकते हैं.
प्रिय केजरीवाल जी, दिल्ली की नागरिक होने के नाते आपकी तुगलकी नीतियों के असर को लेकर मैं ज्यादा चिंतित हूं. किस तरह जब आपके प्रशासन का एक वरिष्ठ अधिकारी सीबीआई के जाल में फंसा और आपने दिल्ली में ऑड-ईवन पॉलिसी लागू कर दी. ठीक उसी तरह जब हैदराबाद मामले में जांच चल ही रही है आप वहां पहुंचकर अपना मत रख रहे हैं. मैं अपने नेता को निजामुद्दीन बस्ती और मेहरौली के स्लम का दौरा करते हुए देखना चाहती हूं न कि वह मातम पर राजनीतिक रोटियां सेकने के लिए वह हैदराबाद की उड़ान भरे.
केजरीवाल जी 2019 अभी बहुत दूर है. जब राष्ट्रीय राजनीति के मंच से आपको साफ तौर पर रिजेक्ट किया जा चुका है तो आपमें इतनी विनम्रता होनी चाहिए कि आप उन मुद्दों को हल करें जिसके लिए दिल्ली की जनता ने आपको अपना वोट दिया है. आपको यह साबित करने की जरूरत है कि बतौर नेता आप दिल्ली को एक वास्तविक सेक्युलर स्पेस बनाएं और इसके बाद ही आप प्रदेश के बाहर के मुद्दों पर अपनी एक्सपर्ट राय जाहिर करें.
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