Doorstep Delivery से पहले क्या केजरीवाल दिल्ली को डॉमिनोज जैसी गारंटी दे पाएंगे?
केजरीवाल सरकार ने दिल्ली वालों को आखिरकार उनकी पब्लिक हेल्पलाइन दे दी जिसकी मदद से अब घर बैठे सरकारी काम हो जाएंगे. दिल्ली में पब्लिक सर्विस की होम डिलिवरी शुरू हो गई है, लेकिन जैसा पहले दिन हुआ वो काफी निराशाजनक रहा.
-
Total Shares
दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल जिस तरह से सत्ता में आए थे वो किसी फिल्म की तरह था. कई वादे भी किए गए थे और बहुत ही फिल्मी अंदाज में केजरीवाल ने मोहल्ला क्लीनिक से लेकर नायक फिल्म की तरह पब्लिक की फरियाद सुनने की स्कीम बनाई थी, भले ही पब्लिक की स्कीम पूरी न हो पाई हो और जनता दरबार फ्लॉप हो गया हो, लेकिन केजरीवाल सरकार ने हार नहीं मानी और अब इतने समय बाद एक नई स्कीम के साथ आए हैं.
करप्शन कम करने की अपनी पहल में केजरीवाल सरकार ने दिल्ली वालों को आखिरकार उनकी पब्लिक हेल्पलाइन दे दी जिसकी मदद से अब घर बैठे सरकारी काम हो जाएंगे. दिल्ली में पब्लिक सर्विस की होम डिलिवरी (doorstep delivery) शुरू हो गई है. पर पहले ही दिन इस स्कीम ने लोगों को परेशान कर दिया है. अब सोचने वाली बात ये है कि क्या ये स्कीम डॉमिनोज की तरह होम डिलिवरी को सफल बना पाएगी.
क्या है ये डोरस्टेप डिलिवरी स्कीम?
इस स्कीम के अंदर दिल्ली वाले 40 से ज्यादा सरकारी सर्विसेज जैसे कास्ट सर्टिफिकेट, लर्निंग और परमानेंट ड्राइविंग लाइसेंस, गाड़ी का ट्रांसफर, या रजिस्ट्रेशन में ऐड्रेस या नाम बदलवाना, नए सीवर या पानी के कनेक्शन लेना, नए राशन कार्ड लेना, पेंशन स्कीम आदि सब काम घर पर ही हो जाएगा और दिल्ली वालों को इसके लिए लंबी लाइनों में नहीं लगना होगा.
दिल्ली में सीएम केजरीवाल डोरस्टेप डिलिवरी सर्विस को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के द्वारा लॉन्च करते हुए. ये टेलिकास्ट एक साथ 58 जगहों पर हुआ.
कैसे काम करेगी ये स्कीम?
दिल्ली वालों को कॉल सेंटर पर 1076 पर कॉल करना होगा. ये हफ्ते के सातों दिन किया जा सकता है. कॉल सेंटर वाले आपको बताएंगे कि कौन से दस्तावेज तैयार रखने हैं. अगर दस्तावेज तैयार हैं तो अपॉइंटमेंट फिक्स कर लीजिए. एक मोबाइल सहायक आपके घर तय समय पर पहुंचेगा. एप्लिकेशन फॉर्म भरवाएगा और डॉक्युमेंट्स साइन करवाएगा.
इसमें बायोमेट्रिक जांच भी होगी. इसके बाद, ई-रिसिप्ट की जाएगी जिसके लिए 50 रुपए फीस जमा करनी होगी. ऐसे में एप्लिकेशन संबंधित डिपार्टमेंट तक पहुंच जाएगी.
जो भी मोबाइल सहायक आपके घर आएगा वो पुलिस वेरिफिकेशन के बाद ही चुना जाएगा और हर मोबाइल सहायक कंट्रोल रूम द्वारा ट्रैक किया जाएगा. हालांकि, केजरीवाल सरकार के मुताबिक 50 हेल्पलाइन की जगह 120 हो जाएंगी दूसरे दिन से, लेकिन जिस तरह का दिल्ली वालों का रिस्पॉन्स रहा ये भी नाकाफी ही साबित होंगी. 21000 कॉल्स के लिए 120 हेल्पलाइन कम ही हैं और केजरीवाल सरकार कह रही है कि दो महीने में इसमें 100 सर्विसेज शुरू हो जाएंगी, ऐसे में मुश्किल और बढ़ सकती है.
दिल्ली में सीएम केजरीवाल डोरस्टेप डिलिवरी सर्विस को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के द्वारा लॉन्च करते हुए. ये टेलिकास्ट एक साथ 58 जगहों पर हुआ.
अभी सरकार ने इसमें 40 सर्विस जोड़ी हैं और अगले 2 महीने में 60 सर्विस जोड़ी जा सकती है.
अरविंद केजरीवाल ने इस सर्विस को लॉन्च करते समय कहा कि इससे दिल्ली वालों को बहुत सहूलियत होगी और उनका समय बचेगा.
जरूर दिल्ली वालों को सहूलियत होगी और जरूर इस तरह की सर्विस काफी उपयोगी साबित होगी अगर सही तरह से लागू की गई तो. दिल्ली सरकार की ये स्कीम लागू होने के बाद क्या ये ठीक तरह से चल पाएगी.
पहले दिन ही इस स्कीम को मिली असफलता..
पहले दिन यानी सोमवाल 10 सितंबर को इस स्कीम का रिस्पॉन्स फेल ही कहा जाएगा. कारण? शाम को 6 बजे तक कुल 21,000 फोन कॉल दिल्ली सरकार के कॉल सेंटर पर पहुंचीं. हालांकि, हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट दावा कर रही है कि असल कॉल 25000 थी, और 21000 सिर्फ वेटिंग में थी. लेकिन इनमें से सिर्फ 2728 कॉल्स कनेक्ट हुईं और उनमें से सिर्फ 1286 ही सुनी गईं यानी इसके अलावा सारी फोन कॉल्स पर कोई जवाब नहीं मिला या फोन कनेक्ट ही नहीं हुआ. इसके अलावा, 369 अपॉइंटमेंट फिक्स हुए और दस्तावेजों की जानकारी सिर्फ 7 से ही ली गई. यानी सिर्फ 7 का ही काम ठीक तरह से हो पाया और बाकी 20,993 लोगों को कॉल करने के बाद भी कुछ हासिल नहीं हुआ.
जो अपॉइंटमेंट फिक्स की गई हैं उसमें से अधिकतर रेवेन्यू डिपार्टमेंट की हैं जिसमें कास्ट सर्टिफिकेट, डोमिसाइल, इनकम या मैरिज रजिस्ट्रेशन आदि शामिल हैं.
क्या हुआ लोगों के साथ..
इंडिया टुडे की रिपोर्ट में एक दिल्ली वासी विनीत गुप्ता के बारे में बताया गया है जो प्रीत विहार में रहते हैं. उन्होंने हेल्पलाइन को 38 बार कॉल किया तो कॉल नहीं लगा और 39वीं बार लगा. जिसने भी फोन उठाया उसने कहा कि मोबाइल सहायक उसके पास साढ़े तीन घंटे में पहुंच जाएगा, लेकिन कोई नहीं आया. फिर भी विनीत गुप्ता को लगता है कि ये स्कीम दिल्ली वासियों के लिए कुछ अच्छा करेगी.
अब इस स्कीम का दूसरा दिन है और दिल्ली सरकार को सबसे पहले ये सुनिष्चित करना होगा कि लोगों की कॉल ज्यादा से ज्यादा सुनी जाए. सीएम केजरीवाल ने ये वादा तो कर दिया कि दिल्ली वालों को अब लाइन में लगना नहीं पड़ेगा, लेकिन ये नहीं सोचा कि अब उन्हें टेलिफोन की कॉल वेटिंग में लगना होगा.
वो स्कीम जो केजरीवाल सरकार ने लागू की और फेल हो गई...
केजरीवाल सरकार सही मायनों में 2015 में ही सत्ता में आई थी जब दिल्ली वालों ने केजरीवाल पर दूसरी बार भरोसा जताया था और तीन साल में केजरी सरकार ने कई स्कीम लागू की है और कई में वो फेल हुई है.
दिल्ली में केजरीवाल सरकार के तीन साल पूरे होने पर एक सर्वे किया गया था
एक लोकल सर्वे की रिपोर्ट कहती है कि 62% लोग ये मानते हैं कि केजरीवाल सरकार अपने वादे पूरे करने और काम करने में सफल नहीं हो पाई. पावर सब्सिडी, 8000 क्लासरूम (जिसमें टीचर्स को खास ट्रेनिंग दी जानी थी और प्राइवेट स्कूलों को फीस बढ़ाने नहीं दी.), मजदूरों की तन्ख्वाह, पेंशन, मुआवजे और फ्री 20 किलोलीटर पानी वाली स्कीम को छोड़कर सभी स्कीम में कहीं न कहीं कमी रह गई है. जैसे-
1. 1000 मोहल्ला क्लीनिक का टार्गेट था जिसमें से 180 बने और उसमें से 160 ही फ्री सुविधाएं दे रहे हैं, पर इनमें से कई मोहल्ला क्लीनिक सुविधाओं को नाम पर ज्यादा बेहतर नहीं हैं. कई के आस-पास कूड़े का ढेर है, कई में जानवर धूमते हैं तो कई में लोग घुसकर शराब पीते हैं.
दिल्ली मोहल्ला क्लीनिक की ये हालत है
2. स्वराज बिल को LG ने स्वीकृति नहीं दी.
3. यमुना रिवरफ्रंट जो 5 किलोमीटर का बनाने का वादा था. वो पूरा नहीं हुआ है. केजरीवाल सरकार ने कहा था कि 36 महीने में यमुना को नहाने लायक बनाएंगे वो नहीं हुआ.
4. फ्री वाईफाई वाले प्रोजेक्ट के लिए अभी तक कोई टेंडर नहीं जारी हुआ है.
5. 100 आम आदमी कैंटीन खोलने की बात थी उसमें से एक खुली LNJP अस्पताल में जो दो महीने में बंद हो गई.
6. 20 डिग्री कॉलेज खोलने की बात थी, लेकिन एक भी नहीं खुला.
7. दो लाख पब्लिक टॉयलेट बनाने की बात थी उसमें से 21000 बने सिर्फ.
डोर स्टेप डिलिवरी सर्विस के बाद अभी दिल्ली सरकार का हेल्थ कार्ड प्रोजेक्ट, सीसीटीवी कैमरा लगाने वाला प्रोजेक्ट, 1000 इलेक्ट्रिक बसों का प्रोजेक्ट, स्किल सेंटर और आंगनवाड़ी खोलने का प्रोजेक्ट अभी बाकी ही है.
डोर स्टेप डिलिवरी को लेकर दिल्ली वालों के इस रिस्पॉन्स से पहले भी एक बार केजरीवाल सरकार की किरकिरी हो चुकी है. जनता दरबार में शुरुआत में अपनी शिकायत दर्ज करवाने के लिए इतने लोग आ गए थे कि केजरीवाल और मनीश सिसोदिया को जगह से भागना पड़ा था. हालांकि, 2017 आते-आते केजरीवाल का जनता दरबार ढर्रे पर आ गया है, लेकिन डोर स्टेप डिलिवरी को इतना समय नहीं दिया जा सकता. डोर स्टेप डिलिवरी सर्विस को सफल होना पड़ेगा. 2020 तक केजरीवाल सरकार के पास समय है और ये सर्विस आने वाले समय में केजरीवाल सरकार के रिपोर्ट कार्ड में एक अच्छी ग्रेड की तरह दिख सकती है. जहां एक ओर केजरीवाल की छवि अब धूमिल होती जा रही है वहीं दूसरी ओर इस तरह की सफल स्कीम केजरीवाल को बेहतरीन माइलेज दे सकती हैं. पर ये देखना होगा कि जैसा पहले दिन हुआ कहीं वैसा ही इस स्कीम के साथ रूटीन न हो जाए. अधिकतर सरकारी कॉल सेंटर वाली स्कीम में लोगों को ये परेशानी होती है कि या तो उनकी कॉल कनेक्ट नहीं होती और अगर होती है तो भी काम नहीं होता. कहीं केजरीवाल की बाकी फेल स्कीम की तरह ये भी फेल हो गई तो यकीनन दिल्ली वासियों और खुद केजरीवाल के लिए ये किसी बुरे सपने की तरह हो जाएगा.
ये भी पढ़ें-
आखिर 'आप' के केजरीवाल नाम के लिए कब तक जूझते रहेंगे?
दिल्ली की सड़क पर 30 लोग बारिश में फंसे तो सरकार डूब ही क्यों न गई!
आपकी राय