केजरीवाल सरकार के काम को BJP ने 'कारनामा' समझा दिया तो?
अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) का कहना है कि वो दिल्ली सरकार के काम (Delhi Govt Development Works) के नाम पर चुनाव में वोट मांगेंगे - सवाल है कि अगर बीजेपी ने यूपी की तरह 'काम' को 'कारनामा' समझा दिया तो क्या होगा?
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दिल्ली की एक फैक्ट्री में आग (Delhi Fire) लगी - और 43 लोगों की नींद में ही जान ले ली. कई लोग बचाये भी गये, लेकिन हर तरफ कोहराम मचा रहा. आग क्यों और कैसे लगी और उसके लिए जिम्मेदार कौन है, ये पता लगाने से पहले ही राजनीति शुरू हो गयी. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) जब तक मौके पर पहुंचे काफी देर हो चुकी थी. उनसे काफी पहले पहुंचे बीजेपी नेताओं ने अरविंद केजरीवाल के सीन से गायब रहने पर सवाल उठाना शुरू कर दिया था. बहरहाल, केजरीवाल पहुंचे और मुआवजे वगैरह की घोषणा भी की.
दिल्ली में स्कूलों और मोहल्ला क्लिनिक से लेकर मुफ्त बिजली-पानी और वाई-फाई देने के चुनावी वादे पूरे कर देने की बातें करते नहीं थकने वाले केजरीवाल - का अनाज मंडी इलाके में आग लगने के कई घंटे बाद पहुंचना बड़ा मुद्दा बन रहा था. पूरी दिल्ली को अपना परिवार बताने वाले केजरीवाल घटना से भी दुखी होंगे ही, लेकिन बेहद तनाव में नजर आ रहे थे. निश्चित तौर पर केजरीवाल इस बात से परेशान रहे होंगे कि चुनावों की तैयारी से पहले एक हादसे को लेकर हो रही राजनीति का काउंटर कैसे करें?
वैसे बीजेपी नेताओं ने जो व्यवहार दिल्ली के आग हादसे के बाद किया, खुद केजरीवाल भी पहले करते आये हैं. ये केजरीवाल ही हैं जो अपने दफ्तर में सीबीआई के छापे से नाराज होकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 'कायर और मनोरोगी' तक कह डाला था - और जब पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक हुई तो बहाने से सबूत मांग रहे थे.
आम आदमी पार्टी नेता अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में एक कार्यक्रम में बताया कि वो दिल्ली सरकार के अपने पांच साल के काम (Delhi Govt Development Works) के आधार पर चुनाव मैदान में उतरने वाले हैं - लेकिन क्या ये काम इतने पुख्ता हैं कि बीजेपी के हमलों को झेल सकें? क्या इतने सक्षम हैं कि बीजेपी के चुनावी एजेंडे से दो-दो हाथ कर सकें?
फिर पांच साल केजरीवाल!
दिल्ली में एक मीडिया हाउस के कार्यक्रम में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा - 'हमारी सरकार अगला चुनाव अपने काम पर ही लड़ेगी'. केजरीवाल का दावा है कि बीते पांच साल में विकास के जो काम हुए हैं उसकी सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है.
काम बोलेगा तो जरूर लेकिन कितना?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की स्टाइल में पिछले 70 साल के शासन का जिक्र करते हुए अरविंद केजरीवाल ने अपनी सरकार की उपलब्धियों को पेश किया. केजरीवाल बोले, '70 साल पहले ऐसी कई जगह थी जहां कभी सड़कें बनी ही नहीं कभी गलियां नहीं बनी, कभी सीवर की पाइप लाइन नहीं डली. ऐसी 1700 कालोनियों में से 12 से ज्यादा कालोनियों में सड़कें, बिजली, पानी और सीवर की लाइनें बिछा दी है. साथ ही, केजरीवाल ने दिल्ली सरकार की कई और उपलब्धियां भी गिनायीं -
1. केजरीवाल ने भ्रष्टाचारियों पर कार्रवाई करने की बात भी उपलब्धियों की सूची में रखी. खास बात ये है कि भ्रष्टाचार खत्म करने के नाम पर ही अरविंद केजरीवाल राजनीति में आये थे. वैसे प्रधानमंत्री मोदी तो केंद्र के साथ साथ जहां कहीं भी बीजेपी सरकार है, करप्शन-फ्री सरकार का दावा करते ही हैं.
आप नेता का कहना है कि ईमानदारी से सरकार भी चलायी जा सकती है - और चुनाव भी ईमानदारी से जीते जा सकते हैं. अच्छी बात है, बशर्ते हकीकत में भी ऐसा हो सके.
2. केजरीवाल ने बताया कि 98 फीसदी इलाकों में पानी की आपूर्ति सही तरीके से हो रही है और लोग सीधे नल से पानी पी सकते हैं.
3. बिजली बिल पर राहत देने को भी अरविंद केजरीवाल ने सरकार के कामों में गिनाया.
4. दिल्ली की प्राथमिक स्वास्थ्य को केजरीवाल ने दुनिया में बेस्ट बताया और मोहल्ला क्लीनिक खोले जाने को लेकर हो रही तारीफ में संयुक्त राष्ट्र महासचिव बॉन की मून का भी नाम लिया.
5. फरिश्ते योजना की बात करते हुए केजरीवाल ने बताया कि इसके तहत सड़क हादसों में घायल तीन हजार लोगों की जान बचाई गयी.
ये जरूर है कि केजरीवाल सरकार की मुफ्त सुविधायें बीजेपी के लिए मुश्किल खड़ी कर सकती हैं. महिलाओं के लिए बसों में मुफ्त सफर, 200 यूनिट तक मुप्त बिजली और 20 हजार लीटर पानी के साथ साथ अब दिल्ली में मुफ्त वाई-फाई सेवा भी लोगों के मन में आप सरकार के प्रति विशेष भावना जरूर बना ली होगी - और बीजेपी के लिए इसकी काट खोजना काफी मुश्किल होगा.
अबकी बार, किसकी सरकार
आप नेता को ये तो मालूम है ही कि बीजेपी महाराष्ट्र और हरियाणा में झटके खाने के बावजूद झारखंड में भी हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के एजेंडे के साथ ही चुनाव लड़ रही है. धारा 370 और अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की क्रेडिट लेने के साथ ही बीजेपी दिल्ली में भी NRC का मुद्दा उठाएगी ही, तय मान कर चलना चाहिये. इतना ही नहीं, अब नागरिकता संशोधन बिल (Citizenship Ammendment Bill 2019) भी आने वाला है और दिल्ली विधानसभा चुनाव तक बीजेपी को बताने के लिए वो भी उसकी सूची का हिस्सा हो ही जाएगा, जिस तरह से तैयारी चल रही है - ऐसे में अरविंद केजरीवाल का 'काम बोलता है' टाइप चुनाव प्रचार क्या असर दिखाता है देखना होगा. याद तो केजरीवाल को भी होगा ही कि किस तरह प्रधानमंत्री मोदी ने यूपी में अखिलेश यादव के 'काम बोलता है' स्लोगन को समझा दिया कि 'काम नहीं आपका कारनामा बोलता है' - और लोग मान गये. बीजेपी की सरकार बन गयी.
अरविंद केजरीवाल ने बीजेपी के लिए नया नारा सुझाया है - 'अबकी बार तीन पार'. पिछले चुनाव में बीजेपी को सिर्फ तीन सीटें मिली थीं और आप ने 70 में से 67 सीटें जीत ली थी. बाद में बीजेपी ने राजौरी गार्डन उपचुनाव जीत कर अपनी संख्या चार कर ली. एक दूसरे को शिकस्त देने की कोशिश तो बवाना में भी हुई थी, लेकिन केजरीवाल ने उपचुनाव में बड़ी मेहनत की और सीट बचा ली.
केजरीवाल को ये बात भी नहीं भूलनी चाहिये कि एमसीडी चुनाव में भी आम आदमी पार्टी को बुरी तरह हार झेलनी पड़ी थी और आम चुनाव में एक भी सीट मिलना तो दूर कई सीटों पर आप तीसरे स्थान पर रही और कुछ सीटों पर जमानत तक नहीं बच सकी.
दिल्ली का प्रदूषण सबसे बड़ी मुसीबत साबित हो रहा है और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का कहना है कि अभी प्रदूषण किस वजह से है, 'मुझे पता नहीं.'
दिल्ली सरकार के ऑड-ईवन एक्स्पेरिमेंट का भी प्रदूषण के मामले में कोई असर पड़ा हो, ये दावा भी सिर्फ आप नेताओं की तरफ से किया गया है लेकिन कोई प्रामाणिक फीडबैक नहीं मिला है. फायदे के नाम पर ऑड-ईवन काल में दिल्ली के साथ साथ एनसीआर में ट्रैफिक जरूर ठीक हो जाता है. ऐसी कई चुनौतियां हैं जिन पर अरविंद केजरीवाल को दिल्लीवासियों को समझाना मुश्किल हो सकता है.
अरविंद केजरीवाल और दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी में अक्सर नोक-झोंक चलती रहती है. मनोज तिवारी को केजरीवाल बीजेपी का चुनावी चेहरा नहीं मानते, कहते हैं वो गाना अच्छा गाते हैं, 'रिंकिया के पापा...' का खासतौर पर जिक्र भी करते हैं.
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