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Updated: 24 अगस्त, 2019 05:54 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
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23 मई से पहले तक पूरा विपक्ष मुखर होकर सरकार की आलोचना करता था. बात अगर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की हो तो उन्होंने भी प्रधानमंत्री मोदी के बारे में ऐसी तमाम बातें कहीं थी जिसके कारण उन्हें सत्ता पक्ष की तरफ से तीखी आलोचना का सामना करना पड़ा. 23 मई के बाद से केजरीवाल के अंदाज बदले-बदले से नजर आ रहे हैं. देश में लोगों की नौकरियां जा रही हैं. माना जा रहा है कि देश आर्थिक मंदी की कगार पर खड़ा है. इस पर अपनी राय रखते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि उन्हें केंद्र सरकार पर इस बात को लेकर पूरा भरोसा है कि वह आर्थिक नरमी से निपटने के लिये ठोस कदम उठाएगी. उन्होंने कहा कि यह एक देश के रूप में एकजुट होकर खड़े होने और अर्थव्यवस्था को दुरुस्त करने का समय है. केजरीवाल ने लोगों की जाती हुई नौकरियों पर भी चिंता जाहिर की है और कहा है कि यह गंभीर चिंता का विषय है, खास तौर पर ऑटो सेक्टर, टेक्सटाइल सेक्टर, रीयल एस्टेट और अन्य ऐसे सेक्टर जिनमें नरमी का असर ज्यादा नजर आ रहा है.

अरविंद केजरीवाल, नरेंद्र मोदी, आर्थिक मंदी, कांग्रेस, Arvind Kejriwal     मंदी पर सरकार को समर्थन देकर केजरीवाल ने अपनी राहें आसान कर ली हैं

आखिर क्यों लिया है केजरीवाल ने यू टर्न

लोकसभा चुनाव को बीते अभी ज्यादा दिन नहीं हुए हैं. पुलवामा हमले के बाद जब भारत ने बालाकोट पर एयर स्ट्राइक की तो केजरीवाल ने केंद्र सरकार पर तमाम तरह के आरोप लगाए. चुनाव के नतीजों के बाद से ही केजरीवाल ने अपने सुर बदल लिए हैं और जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35 ए हटाए जाने से लेकर कई अहम चीजों पर केजरीवाल ने सरकार और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को समर्थन दिया है. यानी गुजरे 3-4 महीनों में केजरीवाल इस बात को समझ चुके हैं कि ये एक ऐसा समय है जब लोग मोदी विरोध में की गई बात सुनना बिलकुल भी पसंद नहीं कर रहे हैं.

साथ ही केजरीवाल लोकसभा चुनाव में दिल्ली में अपनी पार्टी का प्रदर्शन भी देख चुके हैं जिसके अंतर्गत दिल्ली में आम आदमी पार्टी नंबर 3 की पोजीशन पर रही है. ये कहना हमारे लिए अतिश्योक्ति नहीं है कि लोकसभा चुनाव और उस चुनाव में नरेंद्र मोदी की प्रचंड जीत से केजरीवाल को ज्ञान मिल गया है कि यदि उन्हें दिल्ली में राजनीति को अंजाम देना है और मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठकर सत्ता सुख लेना है तो 'नवीन पटनायक' बनने में ही फायदा है.

लोकसभा चुनावों के परिणामों के बाद से जैसा केजरीवाल का रुख है साफ़ है कि वो इस बात को भली प्रकार जानते हैं कि यदि उन्हें सियासत में बड़ी पारी खेलनी है तो सबसे पहले उन्हें मोदी विरोध को दरकिनार करना होगा. चीजों को लेकर प्रधानमंत्री की तारीफ करनी होगी, उन्हें समर्थन देना होगा और चुपचाप अपना काम करना होगा.

सवाल होगा कि किसी ज़माने में अपने मोदी विरोध के लिए लोकप्रिय केजरीवाल ने ऐसा क्यों किया ? तो इस सवाल का जवाब बहुत आसान है. केजरीवाल ये भी जानते हैं कि यदि इस समय उन्होंने पीएम मोदी या उनकी नीतियों के विरोध में कोई बात की तो सत्ता पक्ष के समर्थकों द्वारा पूर्व में उनके द्वारा कही बातों का विडियो बाहर कर दिया जाएगा जो आगामी चुनाव में उन्हें मुसीबत देगा और उनका वो सपना अधूरा रह जाएगा जिसके लिए उन्होंने इतनी मेहनत की है.

अरविंद केजरीवाल, नरेंद्र मोदी, आर्थिक मंदी, कांग्रेस, Arvind Kejriwal जयराम रमेश ने पीएम मोदी के हित में बात कहकर पूरे देश को आश्चर्य में डाल दिया है

केजरीवाल की तर्ज पर कांग्रेसियों ने भी शुरू किया पीएम मोदी का गुणगान

केजरीवाल को दिल्ली का चुनाव लड़ना है इस लिए उनका पीएम मोदी की तारीफ में गुणगान करना स्वाभाविक है. मगर जिस तरह कांग्रेस के थिंक टैंक में शुमार जयराम रमेश, अभिषेक मनुसिंघवी और शशि थरूर जैसे लोग पीएम मोदी की राह में गुलाबी डाल रहे हैं उनकी तारीफ कर रहे हैं वो अचरज में डालने वाला है. एक बड़ा वर्ग है जिसका मानना है कि कांग्रेस के लोग चिदंबरम की गिरफ़्तारी देख डर चुके हैं. उन्हें कहीं न कहीं इस बात का डर बना हुआ है कि किसी बात को आधार बनाकर उनके खिलाफ भी एक्शन लिया जा सकता है. ऐसी स्थिति में पीएम मोदी का गुणगान ही वो तरीका है जो इन्हें बचा सकता है.

मंदी को लेकर क्या कह रहा है नीति आयोग

बात की शुरुआत देश में छाई आर्थिक मंदी से हुई थी. मंदी पर नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा है कि, पिछले 70 सालों में (हमने) तरलता (लिक्विडिटी) को लेकर इस तरह की स्थिति का सामना नहीं किया, जब समूचा वित्तीय क्षेत्र (फाइनेंशियल सेक्टर) आंदोलित है. साथ ही कुमार ने ये भी कहा है कि सरकार को 'हर वह कदम उठाना चाहिए, जिससे प्राइवेट सेक्टर की चिंताओं में से कुछ को तो दूर किया जा सके.

अरविंद केजरीवाल, नरेंद्र मोदी, आर्थिक मंदी, कांग्रेस, Arvind Kejriwal     मंदी को लेकर वित्त मंत्रालय भी मानता है कि कहीं न कहीं चूक हुई है

मंदी के मद्देनजर आने वाले वक़्त में हम किस हद तक परेशानियों का सामना कर सकते हैं इसे खुद हम केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सितारमण की बातों से समझ सकते हैं. वित्त मंत्री खुद इस बात को स्वीकार कर रही हैं कि कुछ मामलों में चूक हुई है और आगे लोगों को परेशानी न हो इसके लिए वित्त मंत्री ने कुछ राहें  सुझाई हैं. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) पर बजट में बढ़े हुए अधिभार के आंशिक रोलबैक की घोषणा की और हाई नेट वर्थ वाले व्यक्तियों के लिए अधिभार लेवी की समीक्षा का भी संकेत दिया. उन्होंने कहा कि इक्विटी शेयर्स के ट्रांसफर से होने वाले लॉन्ग और शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन पर सरचार्ज वापस ले लिया गया है.

इस के अलावा उन्होंने ये भी घोषणा की कि अब CSR उल्लंघन को सिविल अफेंस के रूप में देखा जाएगा जो पहले क्रिमिनल अफेंस था. इसके अलावा वित्त मंत्री ने घरेलू अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कई उपायों की घोषणा की. इसमें  ICE (आंतरिक दहन इंजन) वाहन ईवीएस (इलेक्ट्रिक वाहन) के साथ मिलकर काम करेंगे. इसके अलावा बैंकों को भी निर्देशित किया गया है की वो उपभोक्ताओं की ब्याज दरों में कटौती को तत्काल प्रभाव से लागू करें.  देश की अर्थव्यवस्था सुचारू रूप से चल सके इसके लिए स्टार्ट अप को भी करों में बड़ी राहत दी गई है.

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बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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