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Updated: 09 सितम्बर, 2018 04:22 PM
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SC/ST कानून को लेकर दो बार भारत बंद हो चुका है. बंद की दोनों ही कॉल विरोध में दी गयी - और दोनों का पूरा असर देखने को मिला. केंद्र की सत्ता में होने के कारण बीजेपी दोनों ही बार निशाने पर रही. पहले बंद के दौरान नाराज तबके को खुश करने में बीजेपी ने जितनी तत्परता दिखायी उतनी दूसरी बार नहीं नजर आ रही है.

एससी-एसटी एक्ट के विरोध में आंदोलन कर रहे सवर्ण समुदाय को लेकर बीजेपी चिंतित तो हैं लेकिन जाहिर नहीं कर रही है क्योंकि वो सारे किये कराये पर पानी नहीं फेरना चाहती होगी. बीजेपी को पता है कि जरा सी भी चूक हुई तो मायावती को बीच में लाकर विपक्ष जो राजनीति कर रहा है, उससे जूझना काफी मुश्किल होगा.

अंबेडकर के भरोसे रिस्क उठाने को तैयार

एससी-एसटी एक्ट पर बीजेपी ने जो भी कदम उठाया उसके पीछे कांग्रेस का बड़ा हाथ है. राहुल गांधी के आगे बढ़ कर पहल करने के बाद ही एनडीए के सांसदों ने इसे लेकर प्रधानमंत्री से मुलाकात की - और सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर के खिलाफ कदम उठाने की मांग की. संसद में तो सारे दलों ने मिल जुल कर कानून को फिर से पुराने फॉर्म में ला दिया, लेकिन लड़ाई अब क्रेडिट लेने की है.

amit shahएक तेरा ही सहारा!

बीजेपी की कार्यकारिणी बैठक में अंबेडकर प्रतिमा पर फूल चढ़ा कर बीजेपी नेताओं ने बड़ा संदेश देने की कोशिश की - कोई इस मुगालते में न रहे कि बीजेपी सिर्फ ब्राह्मणों और बनियों की पार्टी है या सवर्णों की बपौती है, बल्कि - वो समाज के सभी वर्गों को पूरी अहमियत देती है.

असल बात तो ये है कि बीजेपी अब खुद को बहुजन हिताय साबित करने की कोशिश में दिख रही है. हालांकि, इसे वो मायावती के पुराने डायलॉग सर्वजन हिताय के तौर पर पेश कर रही है. वैसे भी उसका नारा सबका साथ सबका विकास ही है, जिसे जब चाहे जैसे समझा ले.

एससी-एसटी एक्ट को लेकर हो रहे ताजा बवाल को बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कमतर दिखाने की पूरी कोशिश भी की, "एससी-एसटी के मुद्दे को लेकर भ्रम पैदा करने की कोशिश की गई, लेकिन इससे 2019 के चुनावों पर कोई असर नहीं पड़ेगा."

बीजेपी पदाधिकारियों को संबोधित करते हुए अमित शाह ने कहा कि काननू को लेकर जो भी भ्रम फैलाया जा रहा है उसका डटकर मुक़ाबला किया जाएगा.

bjp leadersसवर्ण आंदोलन से बेपरवाह बीजेपी

इससे पहले बीजेपी ने सवर्णों का आंदोलन काउंटर करने के लिए बीजेपी नेताओं की दो टीमें बनाई है. ये नेता दो से पांच हजार की भीड़ जुटाकर लोगों को एससी-एसटी एक्ट को लेकर भ्रम दूर करने की कोशिश करेंगे. साथ ही, ये भी बताएंगे कि इस समुदाय के लोग मोदी सरकार की बदौलत कैसे बड़े बड़े पदों पर बैठे हुए हैं.

भले ही ऊपर से बीजेपी सवर्ण समुदाय को तवज्जो नहीं देकर एक बड़ा वोट बैंक बचाने की कोशिश कर रही हो, लेकिन अगर पार्टी उन्हें अचल संपत्ति के तौर पर मान कर चल रही है तो ये उसकी बड़ी भूल साबित हो सकती है.

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