रामनगरी में भी महंती सत्ता स्थापित करना चाहती है भाजपा
राजनीति में आने के सवाल पर महंत ने कहा कि अयोध्या हमारे आराध्य की नगरी है. लोगों का दुख दर्द साझा कर सकूं इसलिए राजनीति में आया हूं. महंत के रुप में भी सेवा कर रहे थे के जवाब में भाजपा प्रत्याशी ने कहा कि हाथ में शक्ति आएगी तो बेहतर ढंग से जनसेवा कर सकूंगा.
-
Total Shares
प्रदेश की सत्ता एक महंत को सौंप,उसके परिणाम से गदगद भाजपा रामनगरी में भी 'महंती सत्ता' के जरिए तीसरे इंजन की सरकार बनाना चाहती है. नगर निगम महापौर के लिए भाजपा उम्मीदवार गिरीश पति त्रिपाठी एक प्रतिष्ठित तीन कलशा वाले 'तिवारी मंदिर' के महंत हैं. आईएएस बनने का सपना देखने वाले भाजपा प्रत्याशी को भरोसा है कि वे महापौर बनकर जनसेवा की अधूरी कामना पूरी कर सकेगें. महंत को सत्ता सौंपने का फार्मूला भाजपा का आजमाया हुआ है व कारगर भी है. प्रदेश में महंत योगी आदित्यनाथ को आजमाने के बाद रामनगरी अयोध्या में भाजपा इस फार्मूले को आजमा रही है. अपने ही महापौर का टिकट काटकर एक महंत को चुनाव लड़ाने के पीछे अतीत में लगे आरोपों को धोना भी है. धर्मनगरी के विकास में धार्मिक समूह की शिकायत रहती है कि उनके अनुरूप विकास नहीं हुआ है. एक महंत जब जनप्रतिनिधि होगा तो उनकी भावनाओं को बेहतर समझ के साथ योजनाएं बना सकता है. अयोध्या में गृहस्थों के साथ एक बड़ा समूह साधुओं का है.
रामनगरी की महापौरी के लिए महंत को टिकट देने के सवाल पर दीपोत्सव अयोध्या जनक व अवध विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति आचार्य मनोज दीक्षित का कहना है कि संत को राजनीति को दिशा देने का काम करना ही है. स्वामी ब्रह्मानंद से लेकर प्रभुदत्त ब्रह्मचारी तक, साध्वी उमा भारती से लेकर प्रज्ञा ठाकुर तक और योगी आदित्यनाथ तक संतों के राजनीति में आने का संकेत शुभ है. उन्हें राजनीति में भी संत ही रहना होगा तभी संतत्व का प्रभाव राजनीति पर पड़ेगा.
अयोध्या में एक बार फिर भाजपा बड़ा दांव खेलती हुई नजर आ रही है
दार्शनिक व लेखक अरुण प्रकाश का मानना है कि संत की दृष्टि सम्यक होती है, क्योंकि वह समाज को साक्षी होकर देखता है, लिप्त होकर नहीं. रामनगरी में संत महापौर प्रत्याशी होना, सुखद है. इससे अयोध्या की अपेक्षाओं को आकार मिल सकेगा, इसके साथ ही साधुओं और सत्ता का स्वाभाविक द्वंद्व कम होगा.
भाजपा ने रामनगरी में महापौरी के लिए पार्टी के वफादारों की दावेदारी खारिज कर एक महंत पर दांव लगाकर सबको चौंका दिया है. नाऊ भाई कितने बाल ये तो तेरह मई की मतगणना में ही पता चलेगा लेकिन रामनगरी की महापौरी के दावेदारों ने वादों के शोर से चुनावी माहौल को गरमा दिया है. भाजपा से टिकट ना पाने वाले बागी भी मैदान में हैं.
अवध विश्वविद्यालय से स्नातक व इलाहाबाद विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र में परास्नातक गिरीश पति त्रिपाठी का सपना आईएएस बनने का था. प्रथम प्रयास में प्री क्वालीफाई भी कर लिया था लेकिन पिता के देहांत के बाद गिरीश पति को दिल्ली से अयोध्या लौटना पड़ा. कम उम्र में ही महंती का दायित्व संभालना पड़ा. राजकीय सेवा के माध्यम से जनसेवा का जो सपना अधूरा रह गया था उसे महापौर बन पूरा करना चाहते हैं.
राजनीति में आने के सवाल पर महंत ने कहा कि अयोध्या हमारे आराध्य की नगरी है. लोगों का दुख दर्द साझा कर सकूं इसलिए राजनीति में आया हूं. महंत के रुप में भी सेवा कर रहे थे के जवाब में भाजपा प्रत्याशी ने कहा कि हाथ में शक्ति आएगी तो बेहतर ढंग से जनसेवा कर सकूंगा.
आपकी राय