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Updated: 31 मई, 2017 02:51 PM
मोहित चतुर्वेदी
मोहित चतुर्वेदी
  @mohitchaturvedi123
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अयोध्या में विवादास्पद ढांचा गिराए जाने के मामले में बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, पूर्व मानव संसाधन विकास मंत्री मुरली मनोहर जोशी तथा केंद्रीय मंत्री उमा भारती सहित सभी 12 आरोपियों पर सीबीआई की विशेष अदालत ने आरोप तय कर दिए.

बता दें, 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद का विवादित ढांचा कारसेवकों ने गिरा दिया था. बीजेपी और वीएचपी के कई बड़े नेताओं के खिलाफ आपराधिक साजिश रचने और उन्माद फैलाने के लिए भी विभिन्न धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था. 1528 से अब तक बाबरी मस्जिद को लेकर विवादों के कई पड़ाव हैं.

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1528 में हुआ निर्माण

भारत में बाबर के गद्दी संभालने के ठीक 2 वर्ष बाद 1528 में बाबरी मस्जिद का निर्माण हुआ. हिंदू संगठनों का दावा है कि मस्जिद का निर्माण मंदिर को तोड़ कर किया गया.

1853 में पहली बार हआ सांप्रदायिक दंगा

1853 में पहली बार सांप्रदायिक दंगे हुए. 1859 में ब्रिटिश प्रशासन ने फेंस लगाकर हिंदू और मुस्लिम समुदाय के लिए पूजा की अलग-अलग जगहें बना दी. अगले 90 वर्ष तक ऐसे ही चलता रहा. 1949 में भगवान राम की प्रतिमा को अंदर रखने के बाद यह मामला कोर्ट में चला गया. हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्षों ने जमीन को लेकर मुकदमे किये.

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1984 में राम मंदिर निर्माण को लेकर संगठन बना

1984 में राम मंदिर को लेकर हिंदू संगठनों ने समिति का गठन किया. इसके 3 साल बाद जिला अदालत ने मस्जिद का दरवाजा खोलने का आदेश देते हुए हिंदुओं को विवादित ढांचे के अंदर पूजा की इजाजत दे दी. उसके बाद मुस्लिम समुदाय ने बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी का गठन किया. विवादित जगह के पास ही मंदिर बनाने के लिए शिलाएं रखी गईं.

1990 में लालकृष्ण आडवाणी ने निकाली रथयात्रा

1990 में बीजेपी के तत्कालीन अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी ने राम मंदिर के लिए जनसमर्थन जुटाने के उद्देश्य से रथयात्रा निकाली जिसे बिहार में रोक दिया गया. 6 दिसंबर 1992 को कारसेवकों ने मस्जिद को ढहा दिया. इसके बाद पूरे देश में सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे. 16 दिसंबर को घटना की जांच के लिए लिबरहान आयोग का गठन हुआ. आयोग ने 17 साल बाद जून 2009 में अपनी रिपोर्ट सौंपी.

2002 में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच की 3 सदस्यीय पीठ ने विवादित जमीन के मालिकाना हक की सुनवाई शुरू की. उसी साल फरवरी में गुजरात के गोधरा में ट्रेन में आग लगा दी गई, जिसमें अयोध्या से कारसेवक लौट रहे थे. इसमें 58 लोग मारे गए. इसके बाद पूरे प्रदेश में दंगा फैल गया और 1000 से भी अधिक लोग मारे गए.

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सितंबर 2003 में कोर्ट ने बीजेपी के बड़े नेताओं सहित 7 नेताओं के खिलाफ बाबरी मस्जिद ढहाने के लिए उकसाने के मामले में ट्रायल शुरू करने का फैसला दिया. हालांकि, तत्कालीन उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी के खिलाफ कोई चार्ज नहीं लगा. 2010 में हाई कोर्ट ने विवादित जमीन को निर्मोही अखाड़ा, राम लला और सुन्नी वक्फ बोर्ड के बीच बराबर बांटे जाने का फैसला सुनाया. लेकिन हिंदू और मुस्लिम दोनों ही पक्षों ने कोर्ट के फैसले को मानने से इंकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया.

2011 में सुप्रीम कोर्ट गया मामला

2011 में सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी. 3 सितंबर 2013 को CBI द्वारा जल्द सुनावाई किए जाने की अपील के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आडवाणी और अन्य 19 के खिलाफ केस को दो महीने आगे बढ़ा दिया था.

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बड़े नेताओं पर चला मामला

मार्च 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं आडवाणी, जोशी, उमा भारती और कल्याण सिंह को नोटिस जारी किया. मार्च 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद मुद्दे के निपटारे के लिए फिर से बातचीत के जरिए रास्ता निकाले जाने की बात कही. 19 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी विध्वंस केस में बीजेपी नेताओं आडवाणी, जोशी और उमा भारती समेत सभी आरोपियों पर आपराधिक साजिश का मामला चलाने का फैसला सुनाया.

सुप्रीम कोर्ट की हिदायत पर सभी आरोपी नेता स्पेशल CBI कोर्ट में पेश हुए और कोर्ट ने निजी मुचलके पर उनकी जमानत मंजूर कर ली. बता दें, बीजेपी ने 2017 यूपी चुनावों के लिए जारी घोषणापत्र में 'संविधान के दायरे में सभी संभावित तरीकों से अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण' की बात कही थी. 15 साल बाद बीजेपी यूपी में सत्ता में आई है. सीएम योगी आदित्यनाथ घोषणापत्र में सभी वादों को पूरा करने में लगे हैं. अब ये देखना होगा कि इस केस में आगे क्या होगा...

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लेखक

मोहित चतुर्वेदी मोहित चतुर्वेदी @mohitchaturvedi123

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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