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Updated: 01 जुलाई, 2016 09:47 PM
शुभम गुप्ता
शुभम गुप्ता
  @shubham.gupta.5667
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यूं तो भारत में बांग्लादेशीयों के होने को लेकर विवाद होते रहै है. कई राजनैतीक पार्टीयों ने इसे लेकर अलग-अलग तरह के बयान भी दिये हैं. मगर बांग्लादेश में हत्याओं का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. शुक्रवार को भी बांग्लादेश में अज्ञात हमलावरों ने एक हिंदू पुजारी की धारधार हथियार से हत्या कर दी जब वह श्यामनंद पूजा के लिये फुल इकट्ठे कर रहे थे. हमलावर बाईक पर सवार होकर आये और पुजारी की बेरहमी से हत्या कर दी.

ये कोई पहला मामला नहीं है जब बांग्लादेश में किसी हिंदू पुजारी की हत्या हुई हो. मगर इसका कारण अभी तक कोई नहीं बता पाया है. हां, इसका ज़िम्मा ज़रुर इस्लामिक इस्टेट ने लिया है भले बांग्लादेश सरकार इस घटना को एक बार फिर देश में आईएसआईएस की मौजूदगी को नकारने में लगी है.

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बांग्लादेश में हिंदुओं और इसाईयों की लगातार हो रही हत्या

ये कोई पहला मामला नहीं है जब गैर-मुस्लिम की हत्या हुई हो. बीते महीने की 7 तारीख को एक और हिंदू पुजारी की बेरहमी से हत्या कर दि गई जब वह मंदिर जा रहे थे. 5 जून को एक इसाई व्यापारी की हत्या कर दि गई थी. यही नहीं आतंकवादियों ने फरवरी में बांग्लादेश के एक मंदिर में एक हिंदू पुजारी की हत्या कर दी थी और उसकी मदद के लिए आने वाले एक श्रद्धालू को भी गोली मारकर घायल कर दिया था. आईएसआईएस के आतंकवादियों ने एक हिंदू दर्जी की उसकी दुकान पर हत्या कर दी थी. हाल ही में बांग्लादेश की पहली समलैंगिक पत्रिका के संपादक और उनके मित्र की भी ढाका में बेरहमी से हत्या कर दी गई थी. भारतीय प्रायद्वीप में आईएसआईएस और अलकायदा ने ऐसे कुछ हमलों की जिम्मेदारी ली है इसके बावजूद बांग्लादेश सरकार ने ऐसे किसी संगठन की देश में मौजूदगी से साफ इंकार किया है.

सवाल कई हैं, मगर बांग्लादेश सरकार के पास जवाब किसी का नहीं है. सरकार के पास सबसे अच्छा तरीका यही था की सभी हमलों की ज़िम्मेदारी आईएसआईएस के सर मढ़ दिया जाता. मगर बांग्लादेश सरकार ने इसे खारिज करके एक बड़े सवाल को जन्म दे दिया है. आखिर ये हमले किसने और क्यों किये? और सरकार ने आज तक इसके खिलाफ क्या क्या कदम उठाएं है?

ये हत्याएं सिर्फ हिंदू पुजारियों तक ही सिमित नही है. बांग्लादेश में पिछले 2 सालों में कई ब्लॉगर्स की भी हत्याएं हो चुकी है. अप्रैल 2016 में ही नज़ीमुद्दीन नाम के ब्लॉगर की हत्या की गई थी. फिर 2015 में रहमान नाम के शख्स की हत्या की गई थी. रहमान ने बांग्लादेश में अभिव्यक्ति की आज़ादी को लेकर अपना ब्लॉग लिखा था, जिसका परिणाम उसे अपनी जान गंवा कर चुकाना पड़ा.

तो क्या अभिव्यक्ति की आज़ादी सिर्फ बोलने मात्र ही रह गई है? इसके अलावा सेक्युलरिज्म को लेकर ब्लॉग लिखने वाले लगभग 5 ब्लॉगर्स की हत्या कर दि गई. इन सभी हत्याओं में एक चीज़ कॉमन है कि किसी भी हत्या में आज तक कोई हमलावर पकड़ा नहीं गया है.

अब बांग्लादेश सरकार के लिये सबसे बड़ी चुनौती यही है कि हत्याओं का यह सिलसिला कब रुकेगा? क्या किसी हमलावर को कभी पकड़ा जाएगा जिससे उसके गुनाहों की सजा उसे दी जा सके?

लेखक

शुभम गुप्ता शुभम गुप्ता @shubham.gupta.5667

लेखक आज तक में पत्रकार हैं.

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