BBC की डॉक्यूमेंट्री क्या भारतीय एसआईटी, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से भी ऊपर है?
गुजरात दंगों की फाइल आधिकारिक रूप से तो बंद हो गई लेकिन बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री फिर चर्चा में आ गई. बीबीसी से अब अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से लेकर ब्रिटेन की सांसद तक सवाल पूछे जा रहे हैं. क्या जवाब है बीबीसी के पास? पीएम पर आई डॉक्यूमेंट्री सच है या साज़िश, आइये जानें...
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27 फ़रवरी 2002 को गुजरात में भयंकर दंगे हुए. उस वक्त गुजरात के मुख्यमंत्री और भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हिंसा भड़काने व दंगाइयों को एक विशेष धर्म को टारगेट करने के आरोप लगे थे. इसके बाद नरेंद्र मोदी को लेकर कई जांचे हुई, और इन जांचों में मोदी को क्लीनचिट मिली. गुजरात दंगो पर बनी एक डॉक्यूमेंट्री अब चर्चा में हैं और चर्चा सिर्फ़ भारत तक ही सीमित नहीं है. विदेशों में भी इसकी चर्चा जोरों शोरों से है. केंद्र सरकार सहित एक वर्ग का मानना है कि इस डॉक्यूमेंट्री से सिर्फ़ और सिर्फ़ भारत की बदनामी होगी. तो वहीं विपक्ष सहित एक वर्ग का मानना है कि, प्रधानमंत्री मोदी को लेकर जो सच छुपा हुआ है. वह इस डॉक्यूमेंट्री के जरिए सामने आना ही चाहिए.
एक मिनट रुकिए! कौनसा सच? वही सच जो एसआईटी, हाईकोर्ट,गुजरात मजिस्ट्रेट कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट भी सामने नहीं ला सके ? या फिर वह सच जो सच है ही नहीं ? इन तमाम मुद्दो को लेकर फिलहाल राजनीति गरमा गई है. बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री सही है या गलत यह तो जब लोग देखेंगे तब पता चलेगा. लेकिन उससे पहले आपको बताते हैं कि कैसे इस डॉक्यूमेंट्री को लेकर विवाद छिड़ा हुआ है.
पीएम मोदी पर आई बीबीसी की डॉक्यूमेंटरी को लेकर सियासत फिर तेज हो गयी है
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर तारिक मंसूर ने इस डॉक्यूमेंट्री का विरोध करते हुए एक अंग्रेज़ी अखबार को दिए इंटरव्यू में कहा कि, 'प्रधानमंत्री मोदी को सुप्रीम कोर्ट से क्लीनचिट मिल चुकी है, क्या बीबीसी खुद को भारतीय न्यायव्यवस्था से ऊपर मानती है. BBC के लिए यह बेहतर होगा कि वह मुसलमानों को पीड़ित बताना बंद कर दे, हमारे समुदाय के पास नकली शुभचिंतकों की कमी नहीं है.'
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर का कहना है कि मुसलमानों को अपने देश की कार्यपालिका और न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है. वहीं एक वर्ग का भी मानना है कि डॉक्यूमेंट्री में झूठे तथ्यों की वजह से देश की एकता पर चोट होगी. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार प्रधानमंत्री मोदी को सितम्बर 2008 में नानावटी कमीशन ने, सितंबर 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने, अप्रैल 2012 में सुप्रीम कोर्ट की बनाई SIT ने, दिसंबर 2013 में गुजरात मजिस्ट्रेट कोर्ट ने, अक्टूबर 2017 में गुजरात हाईकोर्ट ने, जून 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने एक और याचिका पर सुनवाई करते हुए क्लीनचिट दी.
अब पूरे विपक्ष को बीबीसी की इस डॉक्यूमेंट्री का इंतज़ार है कि कब डॉक्यूमेंट्री लॉन्च होगी और प्रधानमंत्री मोदी का दंगे वाला सच सामने आएगा. लेकिन ब्रिटेन की संसद में भारत और इस डॉक्यूमेंट्री को लेकर क्या हुआ यह भी पढ़ लीजिए. ब्रिटेन के सांसद रामी रेंजर ने ब्रिटिश ब्रॉडकास्टर के महानिदेशक को लिखे एक पत्र में कहा कि, 'डॉक्यूमेंट्री न केवल दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के दो बार लोकतांत्रिक रूप से चुने गए प्रधान मंत्री का अपमान करती है. बल्कि न्यायपालिका और संसद का भी अपमान करती है, जिसने श्री मोदी की कड़ी जांच की और उन्हें किसी भी तरह से दंगों में शामिल होने से बाहर कर दिया.'
यह शब्द ब्रिटेन के सांसद रामी रेंजर के हैं. बीबीसी डॉक्यूमेंट्री ने भारत को एक असहिष्णु राष्ट्र के रूप में चित्रित करने का प्रयास करके ब्रिटिश हिंदुओं और मुसलमानों के बीच नफरत पैदा करके पुराने घावों को खोल दिया है जहां मुसलमानों को सताया जाता है. वहीं सांसद ने आगे कहा कि अगर ऐसा होता तो मुसलमान अब तक भारत छोड़ चुके होते.
इस विवाद के पनपने के बाद एक वर्ग बीबीसी के पुरजोर विरोध के साथ सवाल पूछ रहा है कि क्या बीबीसी ब्रिटिश राज में हुए भारतीयों पर अत्याचार पर डॉक्यूमेंट्री बनाएगा? क्या बंगाल में पड़े अकाल और जलियांवाला कांड पर डॉक्यूमेंट्री बनाएगा. प्रधानमंत्री मोदी अपने एक इंटरव्यू में तात्कालिक दूसरे राज्यों के मुख्यमंत्रियों के सामने कहते हैं कि इन्होंने मुझे पुलिस नहीं दी जब मैंने मांगी थी. लेकिन मुझे पुलिस नहीं दी गई.
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