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Updated: 18 अगस्त, 2023 12:26 PM
नवेद शिकोह
नवेद शिकोह
  @naved.shikoh
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चार मित्र थे. एक मित्र अपनी महिला मित्र के साथ घूमता-फिरता और डेट पर जाता दिखता था. किंतु उनकी महिला मित्र का विवाह दूसरे मित्र से हुआ. तीसरे मित्र ने आश्चर्य से कहा ये क्या माजरा है? चौथे मित्र ने जवाब दिया- जो सिर में ताज की तरह मुर्गे के पंख लगाए रहते हैं वो मुर्गा नहीं खाते. और जो मुर्गा खाते हैं वो मुर्गे का पंख लगा कर नहीं चलते. पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव कहते फिर रहे हैं कि दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक यानी पीडीए उनकी पार्टी की ताकत बनेगा. और ये ताकत उन्हें लोकसभा में सफलता दिलाएगी. समाजवादी पार्टी पीडीए का टैग लगाकर घूम रही है. किंतु सही मायने में तो भारतीय जनता पार्टी बिना कहे पीडीए को अपने पक्ष में लाने के अमल पर काम कर रही है. खासकर गैर यादव जातियों का विश्वास बर्करार रखने के लिए जबरदस्त ज़मीनी मेहनत पर काम हो रहा है. दलित,पिछड़े और भारी संख्या में गरीब अल्पसंख्यकों को सरकार का फ्री राशन प्रभावित कर रहा है. भाजपा ने जाति प्रधान राजनीति से प्रभावित यूपी-बिहार में पिछड़ी जातियों के नेताओं और उनके छोटे-छोटे दलों से एनडीए का विस्तार करने में सफलता हासिल करना शुरू कर दी है. 

Akhilesh Yadav, Samajwadi Party, LokSabha Election, Appeasement, Muslim, Yadav, Minority2024 के लोकसभा चुनावों से पहले समाजवादी पार्टी में अखिलेश यादव कई महत्वपूर्ण परिवर्तन करते नजर आ रहे हैं

केंद्र और उत्तर प्रदेश सहित भाजपा शासित राज्यों में मंत्रिमंडल विस्तर में दलितों-पिछड़ों की हिस्सेदारी और भी अधिक बढ़ाने की तैयारियों की कवायद चल रही है. पसमांदा यानी पिछड़े मुसलमानों को रिझाने में भी भाजपा कोई कसर नहीं छोड़ रही. उत्तर प्रदेश के घोसी विधानसभा क्षेत्र में दलित, राजभर व यादव सहित अन्य पिछड़ी जातियों और मुसलमानों की बड़ी आबादी है.

इस विधानसभा क्षेत्र में चार लाख से अधिक मतदाताओं मे दलित समाज के मतदाताओं की संख्या साठ हजार से अधिक है. लगभग इतनी ही तादाद यहां मुस्लिम समाज की है. राजभर चालीस हजार के आसपास हैं. लेनिया 36000 और निषाद16000 हैं. यादव चालीस हजार से अधिक हैं.इसके अतिरिक्त कोइरी,कुर्मी,दुसाध,खटीक,गौड़,खरवार,नाई,कुम्हार,मुसहर..जैसी जातियों की मिक्स आबादी है.

इस सीट पर भाजपा के दारा सिंह चौहान दमखम के साथ चुनाव लड़ रहे हैं. एनडीए का हिस्सा सुभासपा के ओमप्रकाश राजभर दारा सिंह चौहान के लिए राजभर और अन्य पिछड़ी जातियों को भाजपा के पक्ष में लाने के लिए जोर लगा रहे हैं. बसपा ने यहां मुस्लिम प्रत्याशी उतार दिया तो मुसलमान बंट कर सीधा भाजपा को फायदा हो सकता है. इधर दूसरी तरफ भाजपा की मुख्य प्रतिद्वंद्वी समाजवादी पार्टी ने क्षत्रिय जाति (सवर्ण) के सुधाकर सिंह (पूर्व विधायक) को अपना उम्मीदवार बनाया है.

यानी जो पिछड़ी जातियों, दलित-मुस्लिम समाज के बाहुल्य चुनावी क्षेत्र हैं वहां भी सपा पिछड़ी जातियों के नेताओं को चुनावी हिस्सेदारी का मौका नही देगी तो फिर पीडीए के क्या मायने रहेंगे? 'जिसकी जितनी भागीदारी उसकी उतनी हिस्सेदारी" जैसे समाजवादी नारे गौण ही मानें जाएंगे. अखिलेश यादव से पिछड़ी जातियों के नेता-कार्यकर्ता ये सवाल ज़रूर करेंगे कि जब उनको उनकी घनी आबादी में सियासी हिस्सेदारी नहीं मिल रही तो फिर सपा पिछड़ों को सामाजिक न्याय कैसे दिलाएंगे?

गौरतलब है कि आगामी लोकसभा जैसे बड़े चुनाव की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. एनडीए और इंडिया गठबंधन अपना कुनबा बढ़ाने में लगा है. दोनों ही खेमें दलितों-पिछड़ों और अल्पसंख्यकों को रिझाने की रणनीतियां ही नहीं तैयार कर रहे बल्कि इसपर अमल करने लगे हैं. कांग्रेस ने इस रणनीति के तहत पहले ही दलित समाज के मल्लिकार्जुन खड़गे को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया और दलित समाज के ही बृजलाल खाबरी को उत्तर प्रदेश का अध्यक्ष बनाए बनाया था.

उत्तर प्रदेश को भाजपा का सबसे मजबूत किला माना जा रहा है. सबसे अधिक लोकसभा सीटों वाले यूपी में भाजपा (एनडीए ) का सीधा मुकाबला सपा से होना है. किंतु बताया जाता है कि सपा गठबंधन के सबसे मजबूत सहयोगी रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी और अखिलेश यादव के बीच अच्छे रिश्ते नहीं चल रहे हैं. पूर्वांचल में पकड़ रखने वाले सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर पहले ही सपा गठबंधन से नाता तोड़ चुके हैं, अब वो एनडीए की ताकत बन गए हैं.

दारा सिंह चौहान ने भी विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा देकर भाजपा का दामन थाम लिया. अब वो अपनी इस पुरानी घोसी सीट से भाजपा के टिकट से उपचुनाव लड़ रहे हैं. यूपी का ये उपचुनाव लोकसभा चुनाव की फुल ड्रेस रिहर्सल माना जा रहा है.

घोसी के रण में सपा पीडीए की पहली परीक्षा देगी!

आगामी लोकसभा चुनाव से पहले सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव चाहते हैं कि दलित-पिछड़े और अल्पसंख्यकों की एकजुटता का माहौल बने. इसलिए ही उन्होंने यूपी कि सियासत मे पीडीए का जाल बिछाने की जबानी रणनीति तय की है. पीडीए का फुलफॉर्म है- दलित,पिछड़ा और अल्पसंख्यक. सपा अपने अतीत की पारम्परिक जमीनी धरातल को दोहराना चाहती है.

अंतिम पंक्ति मे बैठे व्यक्ति को आगे की पंक्ति में बैठे लोगों से पासंग भर भी अधिकार कम ना मिले. दलित,पिछड़े, अल्पसंख्यक, मजदूर,किसान,मजदूर और हर गरीब मेहनतकश समाज के हाशिए से निकलकर मुख्यधारा में शामिल हो.‌ डाक्टर अम्बेडकर, जयप्रकाश नारायण, चौधरी चरण सिंह और राममनोहर लोहिया के सिद्धांतों को आगे बढ़ाकर समाजवादी पार्टी का पुराना लक्ष्य रहा है कि वंचित समाज को उसकी भागीदारी प्राप्त हो.

शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और हर आम-खास जरुरतों के साथ सत्ता में भी पिछड़ों,दलितों और अल्पसंख्यकों को बराबर की भागीदारी मिले.लेकिन अखिलेश यादव ने घोसी विधानसभा के उपचार में पिछड़े के बजाय क्षत्रिय प्रत्याशी उतार कर पीडीए के अर्थ को ही अर्थहीन बना दिया है.

लेखक

नवेद शिकोह नवेद शिकोह @naved.shikoh

लेखक पत्रकार हैं

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