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Updated: 08 दिसम्बर, 2020 10:18 PM
नवेद शिकोह
नवेद शिकोह
  @naved.shikoh
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कृषि कानूनों (Farm Bill 2020) के खिलाफ किसान संगठनों के भारत बंद में भाजपा समर्थकों (BJP Supporters) और विरोधियों की टेरिटरी की तस्वीर साफ तौर पर उभर कर सामने आई. दिल्ली, पंजाब, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, झाड़खंड, राजस्थान.. जैसे जिन राज्यों में जहां गैर भाजपा सरकारें हैं यहां केद्र की मोदी सरकार (Modi Government) के खिलाफ खूब असर दिखा. गैर भाजपा सरकारों (Non BJP Government) वाले राज्यों में भाजपा का जनाधार कम और सत्ताधारी दलों का जनाधार अधिक होगा ही. इन गैर भाजपा राज्यों में मोदी सरकार विरोधियों को प्रदर्शन करने में कोई डर और झिझक भी नहीं हुई. पुलिस, कानून और कोरोना की एहतियातों के दायरों से निकल कर पार्टी वर्कर वर्ग के प्रदर्शकारियों को किसी का डर नहीं था. ये लोग कहीं ना कहीं अपनी-अपनी राज्य सरकार के संरक्षण के अति आत्मविश्वास में होंगे, और इन्हें सड़क पर उतरने का बल मिला.

Farmer Protest, Punjabi Farmer, Bharat Bandh, Modi Government, Narendra Modiकिसानों का जैसा रुख है वो कृषि बिल को लेकर अपनी मांगें मनवाने के बाद ही धरना वापस लेंगे

यही कारण रहा कि गैर भाजपा सरकारों में भारत बंद सफल और भाजपा शासित राज्यों में भारत बंद बेअसर दिखा. इस बात के अपवाद स्वरूप बिहार जहां एनडीए की सरकार है यहां भी प्रदर्शनकारियों की धमक सुनाई दी. वजह ये है कि इस सूबे में तगड़ा विपक्ष है इसलिए यहां भी भारत बंद का असर दिखा. हाल ही में बिहार विधानसभा चुनाव में भले ही एनडीए की जीत हुई पर नतीजों से ये भी साफ हुआ कि यहां एनडीए बनाम राजद के नेतृत्व वाले गठबंधन में बराबर की टक्कर थी.

नतीजोंं में एनडीए बीस तो गठबंधन उन्नीस था. भाजपा समर्थक और शक्ति प्रदर्शन की तस्वीर पेश करने वाले भारत बंद में उत्तर प्रदेश की तस्वीरों ने ज़ाहिर किया कि यहां फिलहाल भाजपा के खिलाफ माहौल नहीं है. प्रदेश की आम जनता ने भारत बंद को नकार दिया. मोदी-योगी पर अटूट विश्वास करने वाला ख़ासकर व्यापारी वर्ग ने भारत बंद को अफसल करने में अपनी मुख्य भूमिका निभाई. 

यूपी की जनता सरकार विरोधी प्रदर्शन से दूर रही और सामान्य जनजीवन नज़र आया. कृषक प्रधान पश्चिमी उत्तर प्रदेश के दिल्ली बार्डर में थोड़े-बहुत असर को छोड़ दीजिए तो यूपी जैसे विशाल सूबे में भारत बंद का कोई ख़ास असर नहीं दिखा. जबकि यहा सपा,बसपा और लोकदल जैसे क्षेत्री दल हैं. कांग्रेस भी तमाम असफलताओं के बाद भी लगातार जमीनी संघर्ष करके अपनी खोई हुई जमीन तैयार करने का प्रयास कर रही है. यूपी के सबसे बड़े विपक्षी दल सपा की राजनीति का आधार किसान-मजदूर और ग्रामीण परिवेश रहा है.

कांग्रेस, बसपा और लोकदल जैसे सभी छोटे-बड़े दल भी कृषि और कृषक प्रदान राज्य उत्तर प्रदेश के किसानों की समस्याओं के किसी भी मुद्दे को लेकर मुखर रहते हैं. इसके बावजूद इन विपक्षी दलों के भारत बंद के समर्थन के बाद भी उत्तर प्रदेश में नब्बे प्रतिशत भी बंदी नजर नहीं आई. और ना ही बड़े स्तर पर प्रदर्शन, चक्का जाम या गिरफ्तारियां देने की खबर सामने आई. हां बीते सोमवार भारत बंद के एक दिन पहले सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को प्रतीकात्मक तौर पर तब लखनऊ में गिरफ्तार किया गया जब वो किसानों के समर्थन में कन्नौज तक यात्रा निकालने जा रहे थे.

इसके अतिरिक्त बसपा ने केवल ट्वीट और बयान तक ही किसानों के समर्थन को सीमित रखा. कांग्रेस और लोकदल जैसा कोई भी दल किसानों के समर्थन में भारत बंद को सफल करने में यूपी में किसी भी प्रकार की सफलता हासिल नहीं कर पाया. बाकी भाजपा विरोधी तब्के भी योगी सरकार की सख्त पुलिस के भय मे भी किसी किस्म के भी विरोध प्रदर्शन में सक्रिय नहीं दिखे.

गौरतलब है कि सीएए के विरोध में हिंसक प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ उत्तर प्रदेश सरकार ने सख्त कार्रवाई की थी. जिसके तहत सरकारी सम्पत्तियों को नुकसान पंहुचाने के आरोपी भारी भरकम राशि की रिकवरी का दंश भोग रहे है. शातिर अपराधियों की तरह इनके पोस्टर लखनऊ के चौराहों पर लगलाये गये थे. जिसके बाद योगी के यूपी में हिंसक प्रदर्शन करने की घटनाएं वर्तमान से दूर होकर अतीत में सिमट गईं हैं.

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लेखक

नवेद शिकोह नवेद शिकोह @naved.shikoh

लेखक पत्रकार हैं

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