हरियाणा में कांग्रेस कर्नाटक वाले रास्ते पर!
भाजपा का विजय रथ रोकने के लिए कांग्रेस ने कर्नाटक में जेडीएस के साथ गठबंधन कर के सीएम पद उन्हें ही दे दिया था. अब हरियाणा में भी कर्नाटक जैसी स्थिति बन रही है. देखना दिलचस्प होगा कि दुष्यंत चौटाला को कांग्रेस सीएम बनाती है या नहीं.
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कर्नाटक विधानसभा चुनाव तो आपको याद ही होंगे. इस समय हरियाणा में जैसी स्थिति बन रही है, कुछ वैसा ही कर्नाटक में भी हुआ था. वहां भी किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला था और अंत में कांग्रेस ने जेडीएस के साथ मिलकर सरकार बनाई थी. जेडीएस भी यूं ही कांग्रेस के साथ नहीं आ गई थी, बल्कि इसके बदले में कुमारस्वामी ने मुख्यमंत्री पद मांगा था. कांग्रेस मरती क्या ना करती, अधिक सीटें होने के बावजूद मुख्यमंत्री पद सौंप दिया, ताकि भाजपा को हराया जा सके. अब हरियाणा में भी कांग्रेस उसी रास्ते पर चलती दिख रही है. यहां भी जेजेपी के पास 10 सीटें हैं और भूपिंदर सिंह हुड्डा जेजेपी के दुष्यंत सिंह चौटाला से बात कर रहे हैं. यहां भी गठबंधन की सरकार बनेगी और हो सकता है कि भाजपा को हराने और सत्ता में आने के लिए अधिक सीटें होने के बावजूद दुष्यंत सिंह चौटाला को मुख्यमंत्री बना दिया जाए.
कर्नाटक की तरह ही हरियाणा में भी कहीं कांग्रेस को मुख्यमंत्री पद दुष्यंत चौटाला को ना देना पड़े.
कर्नाटक में ज्यादा दिन नहीं टिकी थी कांग्रेस की खुशी
भाजपा को हराने के लिए कांग्रेस ने जेडीएस के साथ मिलकर सरकार तो बना ली थी, लेकिन उसके बाद से ही कांग्रेस और जेडीएस में तकरार शुरू हो गई. आपको बता दें कि भाजपा को 104 सीटें मिली थीं, कांग्रेस को 78 और जेडीएस को सिर्फ 37 सीटें मिली थीं. कर्नाटक में जेडीएस के साथ मिलकर सरकार बनाने पर कांग्रेस सिर्फ इस बात से खुश थी कि उसने भाजपा को हरा दिया है. मन ही मन तो वह दुखी थी ही, क्योंकि कम सीटें होने के बावजूद जेडीएस के कुमारस्वामी को मुख्यमंत्री पद देना पड़ा था. खैर, कांग्रेस को सिर्फ यही खुशी थी कि भाजपा को हराया है, लेकिन वो भी ज्यादा दिन नहीं टिकी. करीब 14 महीने बाद कुछ विधायकों ने इस्तीफा दे दिया और देखते ही देखते कांग्रेस-जेडीएस के गठबंधन की सरकार गिर गई और वहां भाजपा की सरकार बन गई.
अब बारी हरियाणा की...
भले ही आने वाले दिनों में भाजपा सरकार बना ले, लेकिन अभी तो कांग्रेस की यही कोशिश रहेगी कि सरकार उसी की बने. फिर भले ही इसके लिए जेजेपी के नेता दुष्यंत चौटाला को सीएम पद क्यों ना देना पड़े. हो सकता है कि भूपिंदर सिंह हुड्डा सीएम पद देने के लिए राजी ना हों, तो भी कम से कम डिप्टी सीएम का पद तो चौटाला लेंगे ही. इससे कम में कांग्रेस के साथ आना तो उनके लिए भी घाटे का सौदा ही होगा.
हरियाणा में सरकार बनाने का दारोमदार पूरी तरह से भूपिंदर सिंह हुड्डा के कंधों पर है. वैसे भी, हरियाणा चुनाव में राहुल-सोनिया ने कुछ किया भी नहीं है, सब कुछ हुडा ने ही किया है. अब ये देखना दिलचस्प रहेगा कि कांग्रेस और जेजेपी का गठबंधन होने की स्थिति में सीएम किस पार्टी का बनता है. हुडा तो बोल चुके हैं कि बात की जाएगी. वह ये भी इशारा कर चुके हैं कि कांग्रेस बड़ी पार्टी है तो सीएम कांग्रेस का होगा, लेकिन अगर चौटाला नहीं माने तो कांग्रेस को घुटने टेकने ही होंगे, क्योंकि भाजपा भी चौटाला को अपनी ओर खींच सकती है.
भाजपा-जेजेपी गठबंधन की कितनी संभावना?
वैसे तो इस एंगल से कोई बात कर नहीं रहा है, लेकिन हो सकता है कि दुष्यंत चौटाला भाजपा के साथ गठबंधन कर लें. एक बात तो तय है कि भाजपा उन्हें सीएम नहीं बनाएगी, हां डिप्टी सीएम का पद जरूर दे सकती है. वैसे जेजेपी और भाजपा के गठबंधन से चौटाला को फायदा हो सकता है. दरअसल, चौटाला के पिता और दादा एक घोटाले को लेकर जेल में हैं. ऐसे में अगर चौटाला को कोई मदद मिल सकती है तो वो सिर्फ भाजपा से. हालांकि, उम्मीद कम ही है कि भाजपा और जेजेपी का गठबंधन हो, क्योंकि दुष्यंत चौटाला ने भाजपा के खिलाफ ही अपनी जाट पॉलिटिक्स खड़ी की है. जाटों ने भाजपा को तो सबक सिखा दिया है, लेकिन अब वह खुद भी अधर में फंसे दिख रहे हैं. रास्ता नहीं सूझ रहा कि किधर जाया जाए.
वैसे कर्नाटक में कांग्रेस एक तीसरे विकल्प से भी सरकार बना सकती है. इसके लिए जेजेपी के विधायकों को तोड़ना होगा. दरअसल, जेजेपी में ऐसे भी विधायक हैं, जो हुडा के साथ हो सकते हैं. यानी हुडा अन्य के साथ-साथ जेजेपी के विधायकों को तोड़ सकते हैं और सरकार बना सकते हैं. हालांकि, ऐसा करने का मतलब होगा कि जाट-जाट में लड़ाई. लेकिन हां, अगर ऐसा करने में वह कामयाब हो जाते हैं तो सीएम और डिप्टी सीएम के पद कांग्रेस सुरक्षित करने में सफल हो जाएगी.
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