क्या है कर्नाटक में उपजी बाइबल-गीता कंट्रोवर्सी, जानिए...
कर्नाटक एक नए विवाद की गिरफ्त में है जिसके तार जुड़े हैं बाइबिल से. ध्यान रहे ये सब एक ऐसे समय में हो रहा है जब विधानसभा चुनाव पूर्व स्कूलों में भगवत गीता पढ़ाने योजना पहले ही समाज को दो वर्गों में विभाजित कर चुकी है.
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अभी दिन ही कितने हुए हैं कर्नाटक में हिजाब को लेकर चले नाटक ने पूरे देश को अपनी तरह की एक अलग बहस में पड़ने का मौका दिया था. विरोध हुआ.विवाद हुआ और मामला कोर्ट की क्षरण में आया. भले ही हिजाब कॉन्ट्रोवर्सी पर कोर्ट ने अपना पक्ष रख दिया हो लेकिन हर बीतते दिन के साथ कर्नाटक मीडिया की सुर्खियों के अलावा सोशल मीडिया ट्रेंडिंग लिस्ट में जगह बनाए हुए है. ऐसा क्यों? वजह बहुत साफ है और वो है कर्नाटक विधानसभा चुनाव. कर्नाटक में चुनाव होने में भले ही कुछ समय शेष हो लेकिन किसी न किसी बात पर लोगों की भावनाएं आहत होने का दौर बदस्तूर जारी है. पुनः कर्नाटक एक नए विवाद की गिरफ्त में है जिसके तार जुड़े हैं बाइबिल से. ध्यान रहे ये सब एक ऐसे समय में हो रहा है जब स्कूलों में भगवत गीता पढ़ाने योजना पहले ही समाज को दो वर्गों में विभाजित कर चुकी है.
कर्नाटक के बेंगलुरु में एक स्कूल में जबरन बाइबिल पढ़ाए जाने के मामले ने चुनाव पूर्व हिंदूवादी संगठनों को एकजुट कर दिया है
जिक्र बाइबिल विबाद का हुआ है तो बताते चलें कि राजधानी बेंगलुरु के क्लेरेंस हाई स्कूल में मैनेजमेंट की ओर से बच्चों के अभिभावकों से कहा गया है कि वो बच्चों को स्कूल में बाइबिल लाने के लिए मना नहीं करेंगे. स्कूल प्रबंधन द्वारा इस बात को कहना भर था , अभिवाहकों का गुस्सा सातवें आसमान पर है.
चूंकि मामला धार्मिक है इसलिए क्लेरेंस हाई स्कूल के खिलाफ हिंदूवादी/दक्षिणपंथी संगठन भी एकजुट हो गए हैं और उन्होंने भी स्कूल के फरमान पर नाराजगी जताते हुए इसे कर्नाटक शिक्षा अधिनियम का उल्लंघन माना है.
मामले के मद्देनजर जो जानकारी आई है यदि उसपर यकीन करें तो एडमिशन के लिए आवेदन पत्र पर क्रमांक संख्या 11 में लिखा गया है कि 'अभिभावक इसकी पुष्टि करते हैं कि उनका बच्चा अपने आध्यात्मिक कल्याण के लिए मॉर्निंग असेंबली, स्क्रिप्चर क्लास सहित अन्य क्लासेज में पार्टिसिपेट करेगा. बच्चे स्कूल में पवित्र धर्मग्रंथ बाइबिल की शिक्षा पर कोई आपत्ति नहीं करेगा.'
हिंदू जनजागरण समिति जैसे संगठन स्कूल के इस फैसले से न केवल आहत हैं बल्कि उन्होंने आरोप लगाया है और कहा है कि इस तरह से स्कूल गैर हिंदू बच्चों को ईसाई धर्म पढ़ने के लिए बाध्य कर रहा है.मामले में जिक्र भगवत गीता का भी हुआ है तो बताना जरूरी है कि अभी बीते दिनों ही कर्नाटक सरकार ने स्कूलों में भगवत गीता पढ़ाने की पैरवी की थी.
सीएम बोम्मई ने कहा था कि भगवद गीता को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने के निर्णय पर राय मश्वरा किया जा रहा है. सरकार की इस घोषणा के बाद वो लोग जो स्कूलों में बाइबिल पढ़ाए जाने के समर्थन में हैं उनका यही कहना है कि जब सरकार स्कूलों में श्रीमद भगवत गीता पढ़ा सकती है तो फिर यदि कहीं पर बाइबिल पढ़ाई जा रही है तो उसमें परेशानी क्या है?
ऐसे लोगों को राज्य के शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने आड़े हाथों लिया है और कहा है कि भगवद गीता और बाइबिल को न मिलाएं. भगवद गीता एक धार्मिक पुस्तक नहीं है. यह धार्मिक प्रथाओं के बारे में बात नहीं करती है. यह यह नहीं बताती है कि प्रार्थना कैसे करें. मूल रूप से यह सबसे ऊपर है. हम नैतिक विज्ञान में कुछ भी शामिल करने के लिए तैयार हैं जो छात्रों के मनोबल में सुधार करेगा.
गौरतलब है कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने अभी बीते दिनों ही बेंगलुरु के जिला आयुक्त को पत्र लिखकर क्लेरेंस स्कूल के खिलाफ जांच शुरू करने को कहा था. NCPCR ने यह आदेश इस अवलोकन के आधार पर जारी किया था कि स्कूल द्वारा बाइबिल पढ़ाने का आदेश भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 का उल्लंघन है.
बहरहाल जैसा कि हम ऊपर ही बता चुके हैं कर्नाटक में चुनाव होने हैं इसलिए अब जबकि ये मामला हमारे सामने आ गया है तो इतना तो तय है कि हिजाब मामले की तरह इसमें भी राजनीति होगी जिसका बड़ा फायदा सत्ताधारी दल भाजपा को मिलेगा. कुल मिलाकर कर्नाटक में चुनाव के पहले और बाद का समय दोनों ही खासा मजेदार है.
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