जानिए, क्यों वायरल हुई नीतीश के पाकिस्तान दौरे की तस्वीरें
आज सुबह #JungleRajKiDastak ट्विटर पर ट्रेंड कर रहा था. इस हैश टैग के सहारे नीतीश कुमार और उनकी सरकार के खिलाफ प्रचार किया जा रहा है.
-
Total Shares
आज सुबह #JungleRajKiDastak ट्विटर पर ट्रेंड कर रहा था. इस हैश टैग के सहारे नीतीश कुमार और उनकी सरकार के खिलाफ प्रचार किया जा रहा है. और सबसे खास बात यह कि नीतीश कुमार के पाकिस्तान दौरे की तस्वीरों को शेयर करके उन पर असल्पसंख्यक तुष्टीकरण के आरोप लगाए जा रहे हैं. उनके सेक्यूलरिज्म को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं. उनकी सरकार की विफलताओं को बताया जा रहा है.
#JungleRajKiDastak हैश टैग का इस्तेमाल करने वाले नीतीश-लालू गठजोड़ को राज्य के लिए नुकसानदायक बता रहे हैं. सीधे तौर पर कहें तो वे लोग सीधे बीजेपी के समर्थक हैं. जो इस काम को अंजाम दे रहे हैं. इन लोगों ने नीतीश के पाकिस्तान दौरे की तस्वीरों को खास तरजीह दी है. तस्वीरों में नीतीश कहीं नवाज शरीफ के साथ दिख रहे हैं तो कहीं इमरान खान के साथ. किसी तस्वीर में एक दरगाह पर हाथ फैलाए दुआ मांग रहें तो कहीं सिंध इलाके में दौरा करते नजर आ रहे हैं. तस्वीरों के साथ लिखा गया है कि 'बिना किसी निमत्रंण के पाकिस्तान गए नीतीश कुमार खुद को सबसे बड़ा सेक्यूलर साबित करने में लगे हैं'.
दरअसल उनके विरोधी इस कोशिश में लगे हैं कि बिहार में भी वोटों का बंटवारा कर दिया जाए. राज्य की 8.5 करोड़ आबादी में 16.5 फीसदी मुस्लिाम हैं. वे विधानसभा की 243 सीटों में से 60 के नतीजे सीधे तौर पर प्रभावित करते हैं. ऐसे में धर्म के नाम पर वोटों का बंटवारा सियासी मकसद पूरा करता है. इसी कोशिश को कामयाब बनाने के लिए ट्विटर और सोशल मीडिया का सहारा लिया गया है. सबसे ज्यादा हैरान करने वाली बात यह है कि जिन तस्वीरों को शेयर किया जा रहा है, वे नवंबर 2012 की हैं. जब नीतीश कुमार दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने के बाद पाकिस्तान दौरे पर गए थे.
हककीत ये है कि पाकिस्तान में एक बड़ी तादाद उन मुसलमानों की है जो बंटवारे के वक्त हिंदुस्तान छोड़कर चले गए थे. अधिकांश ये सभी उत्तर भारत से थे. इनमें यूपी और बिहार से जाने वालों की संख्या अधिक थी. इन लोगों को पाकिस्तान में मुहाजिर कह कर बुलाया जाता है. इन लोगों के रिश्तेदार अभी भी यूपी और बिहार में रहते हैं. यही वजह है कि बिहार के नेता वोट हासिल करने की रणनीति के तहत पाकिस्तान के दौरे करते रहे हैं. चाहे वो लालू प्रसाद यादव हों या फिर राम विलास पासवान.
अचानक पुरानी तस्वीरों का सोशल मीडिया में शेयर किए जाना, उनका वायरल होना कोई इत्तेफाक नहीं है. चुनाव नजदीक हैं, ये तो होना ही है.
आपकी राय