नीतीश जी आपका डीएनए है विश्वासघात का, बिहार का नहीं
चिट्ठी की राजनीति एक कदम आगे बढ़ गई है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक दिन पहले ही प्रधानमंत्री मोदी को खुली चिठ्ठी लिखी थी. अब उसका जवाब भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी ने दिया है. पढ़िए उन्होंने क्या लिखा है-
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आदरणीय श्री नीतीश कुमार जी,
बिहार का डीएनए तो परस्पर विश्वास, अतिथि सत्कार और सद्भाव का है. यह अलग बात है कि आपका राजनीतिक डीएनए इससे भिन्न है. माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने आपके उस राजनीतिक डीएनए पर क्षोभ व्यक्त किया था, जो अतिथि के तिरस्कार, विश्वासघात और अहंकार से भरा है.
आपने 1994 में लालू प्रसाद को धोखा दिया. भाजपा ने 17 साल में आपको दो बार केंद्रीय मंत्री और तीन बार मुख्यमंत्री बनाया, फिर भी आपने नरेंद्र भाई मोदी के बहाने गठबंधन तोड़कर भाजपा को धोखा दिया. सन् 2010 में आपको जगंलराज के विरुद्ध जनादेश मिला था, लेकिन आप जनता को धोखा देकर उसी लालू प्रसाद के गोड़ पर गिर गए, जिनके खिलाफ वोट मांगकर सत्ता में आये थे. विश्वासघात का डीएनए आपका है, बिहार की जनता का नहीं.
आपने जीतनराम मांझी को धोखा देकर उनसे मुख्यमंत्री की कुर्सी छीन ली और महादलित नेता का अपमान किया. जार्ज फर्नाडिज के आर्शीवाद से आपको राजनीतिक ऊँचाई मिली. आपने उनको भी धोखा दिया. बड़ों से ऐसा आचरण करना बिहार के डीएनए में नहीं है.
आप बिहारियों के अपमान की बात कर रहे हैं, जबकि आपने लालू प्रसाद से मिल कर राज्य के उन लाखों लोगों को अपमानित किया, जिन्हें बिहार में जंगलराज के चलते रोटी कमाने के लिए राज्य से बाहर जाना पड़ा. जिनके राज्य में बिहारी कहलाने में शर्म महसूस होती थी, उन्हीं के साथ सिद्धांतहीन गठबंधन कर आपने बिहारी समाज को आहत किया. सत्ता के लिए सिद्धांतहीन गठबंधन करना आपकी फितरत हो सकती है, यह बिहार के डीएनए में नहीं है.
बिहार के लोग अच्छी मेजबानी के लिए जाने जाते हैं. ये तो खुद आधा पेट खाकर भी अतिथि को भरपेट भोजन कराते हैं. अतिथि सत्कार बिहार का डीएनए है, लेकिन आपने 2009 में भाजपा नेताओं को दावत देने के बाद सामने से थाली खींचकर साबित कर दिया कि आपका राजनीतिक डीएनए बिहार के डीएनए से अलग है.
आपने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर स्वंय को गांधी-जे.पी.-लोहिया के आदर्श पर चलने वाला व्यक्ति बताया है, इसलिए जानना चाहता हूं कि आपने लोहिया के गैरकांग्रेसवाद को ठोकर क्यों मार दी? कांग्रेस की मदद से आप सरकार चला रहे हैं और उसकी संगत से आपके भीतर खुद को ही बिहार समझने का अंहकार पैदा हो गया है. बिहार के लोगों का डीएनए सादगी और सहजता है.
बड़ी विनम्रता से कहना चाहता हूं कि अतिथि के तिरस्कार, विश्वासघात और अहंकार के अपने राजनीतिक डीएनए को बिहार का डीएनए बताने की कोशिश मत करिेये. इसी में आपके पद की गरिमा है, इसी में 11 करोड़ बिहारियों का सम्मान है.
सादर,
सुशील कुमार मोदी
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