कर्नाटक चुनाव में अब बारी दागियों पर दाव लगाने की !
कर्नाटक चुनावों में भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियों ने जो उम्मीदवारों की घोषणा की है उसमें दागियों की भरमार है. दोनों पार्टियों ने उम्मीदवारों के चयन में उनके जीतने की संभावना को प्राथमिकता दी है चाहे वो दागदार ही क्यों न हों.
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कर्नाटक चुनाव में भाजपा और कांग्रेस नेताओं के द्वारा मठों के दर्शन का दौर खत्म हो चुका है और अब बारी है उम्मीदवारों के चयन की, जो अपनी पार्टियों को जीत दिला सकें. ऐसे में भाजपा और कांग्रेस ने उम्मीदवारों की घोषणा करना शुरू कर दिया है. अभी तक भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियों ने जो उम्मीदवारों की घोषणा की है उसमें दागियों की भरमार है. दोनों पार्टियों ने उम्मीदवारों के चयन में उनके जीतने की संभावना को प्राथमिकता दी है चाहे वो दागदार ही क्यों न हों. यहां तक कि भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलने वाले मोदी-शाह की पार्टी भाजपा ने भी दागियों को टिकट देने में कोई परहेज़ नहीं किया, जो लगातार सिद्धारमैया सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते रहे हैं. आखिर करें भी क्यों नहीं, किसी प्रकार चुनाव जो जितना है.
भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियों के उम्मीदवारों में दागियों की भरमार है
भाजपा-
अगर हम भाजपा की बात करें तो पिछली बार की भाजपा सरकार में खनन घोटाले के आरोपी मंत्री रहे जनार्दन जनार्दन रेड्डी के भाई जी. सोमशेखर रेड्डी को बेल्लारी सिटी से टिकट दिया है. सोमशेखर रेड्डी पर कथित तौर पर आरोप है कि उन्होंने अपने भाई जनार्दन रेड्डी को जमानत दिलाने के लिए एक जज को रुपये दिये थे. हालांकि इस मामले में उन्हें जमानत मिल चुकी है. भाजपा ने बीएस येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया है जो खुद ही भ्रष्टाचार के आरोप के कारण कठघरे में खड़े हैं.
भाजपा ने एस एन कृष्णैया सेट्टी को मलूर विधानसभा सीट से उमीदवार बनाया है जो भाजपा की येदुरप्पा सरकार में मंत्री थे तथा वर्ष 2011 में येदुरप्पा के साथ ही भ्रष्टाचार के एक मामले में आरोपी बनाए गए थे. इनपर आरोप था कि इन्होंने एक प्राइवेट कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए गलत तरीके से सरकारी जमीन उनके नाम कर दी थी. बाद में युदरप्पा के साथ ही ये आरोपमुक्त कर दिए गए थे. इसी प्रकार भाजपा ने विवादित नेता और पूर्व मंत्री कट्टा सुब्रमण्यम नायडू को शिवाजी नगर से उमीदवार बनाया है जिन्हें लोकायुक्त ने भ्रष्टाचार के मामले में आरोपी बनाया था. हरतालु हलप्पा को भाजपा ने सागर विधानसभा का उम्मीदवार बनाया है जो बलात्कार के मामले में जेल की सैर कर चुके हैं. उनपर अपने ही दोस्त की पत्नी के साथ बलात्कार का आरोप था. हालांकि बाद में उन्हें इस आरोप से बरी कर दिया गया था.
कांग्रेस-
भाजपा को टक्कर देने के लिए कांग्रेस जो लगातार भाजपा को भ्रष्टाचार के मुद्दे पर घेरती रही थी, ने भी दागदारों को चुनाव में उतारा है. कांग्रेस ने खनन घोटाले के आरोपी और करवार के विधायक सतीश सेल को भी करवार से उम्मीदवार बनाया है. साल 2013 में वो कांग्रेस के खिलाफ चुनाव लड़े थे और जीत हासिल की थी. सतीश सेल ने कुछ महीने जेल में भी बिताए हैं. कांग्रेस ने दूसरे विवादित नेता आनंद सिंह को विजयनगर से टिकट दिया है, जो अवैध खनन घोटाले में नामित रह चुके हैं. कांग्रेस ने नागेंद्र को भी टिकट दिया है जिनपर अरबों डॉलर के खनन घोटाले में शामिल होने का आरोप है. ये भी कुछ समय जेल में रहे हैं.
ये दोनों पार्टियों के कुछ दागदार नेता हैं जो हो सकता है चुनावों में जीतकर आएं और कर्नाटक विधानसभा की शोभा बढ़ाएं. लेकिन जानते हैं पिछली बार के विधानसभा चुनाव में किस पार्टी के कितने विधायक जीतकर आए थे? एडीआर के रिपोर्ट के अनुसार, 2013 के कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस के 32 फीसदी विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज़ थे. वहीं भाजपा के 33 फीसदी तो जेडीएस के 31 फीसदी विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज़ थे.
हालांकि चुनावों में दागियों को टिकट देना कोई नई बात नहीं है लेकिन इन चुनावों में जब जीत दाव पर लगी हो तो राजनीतिक पार्टियां कोई भी जोखिम उठाने को तैयार रहती हैं. यहां तक कि नैतिकता की दुहाई देने वाली पार्टियां भी दागदार उम्मीदवारों को चुनाव-ए-जंग में उतार देती हैं, अगर उनमें जीतने की संभावनाएं होती है.
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